Wednesday 30 November 2011

लोक साहित्य लोक के हाथ में

पहल : संस्कृति महकमे के सहयोग से प्रकाशित हुई लोक से जुड़ी बीस कृतियां
    


  लोक विधाओं का संरक्षण राज्याश्रय के बिना संभव नहीं। लेकिन, उत्तराखंड में अब तक ऐसा ही देखने को मिलता रहा है, जिससे कला एवं कलाकार, दोनों ही उपेक्षित पड़ गए। इस बात का अहसास संस्कृति महकमे को अब जाकर हुआ। तभी तो इस साल उसने लोक से जुड़े 20 साहित्यकारों को उनकी पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराई है। उम्मीद है कि इस पहल से जनमानस को लोक से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हासिल हो पाएंगी।
  लोक विधाओं और इनसे जुड़े लोगों को राज्याश्रय देने की मांग लंबे अर्से से उठती आ रही है। राज्य गठन के बाद तो यह मांग काफी मुखर हो गई, लेकिन न तो सरकार और न संस्कृति विभाग के स्तर से ही इस ओर ध्यान दिया गया। यदा-कदा हुई घोषणाएं भी फाइलों में ही ज्यादा फलीभूत नजर आती हैं। नतीजा, वह सपना आज भी अधूरा है, जिसे पूरा करने को पृथक राज्य की जरूरत महसूस हुई। लेकिन अब लगता है कि महकमे की आंखें खुल रही हैं और इसका प्रमाण है लोक साहित्यकारों एवं कवियों को उनकी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता दिया जाना। इससे जहां आम जनमानस को लोक विधाओं की व्यापक जानकारी हासिल होगी, वहीं शोधार्थियों को भी काफी मदद मिलेगी।
साहित्यकार/कवि-कृति
मनोहर लाल-पौड़ी-लोक संस्कृति का प्रतीक ढोल संग्रह
डॉ. चंद्र सिंह चौहान-अल्मोड़ा- गिरिराज की कोख से हरू और सैम
नंद किशोर हटवाल-चमोली-गढ़वाल हिमालय लोकोत्सव तथा पर्यटन
डॉ. मथुरादत्त जोशी-देहरादून-कुमाऊंनी रामलीला
प्रो. केशवदत्त रूवाली-अल्मोड़ा-कुमाऊं हिमालय की भाषा साहित्य एवं संस्कृति
शाक्त ध्यानी- पंच पधान
जीत सिंह नेगी-गीत संग्रह
भूपेंद्र सिंह बसेड़ा-नशा काव्य संग्रह
कर्नल रघु काला-सबला-गढ़वाली उपन्यास
प्रो.दीवा भट्ट- उत्तराखंड की सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां
प्रो. शेर सिंह बिष्ट-कुमाऊंनी-हिंदी कहावत कोष
डॉ. ेयोगेश चंद्र जोशी-थारू जनजाति : एक अध्ययन
प्रो. देव सिंह पोखरिया व डॉ.भगत सिंह-कुमाऊंनी भाषा का उद्भव एवं विकास
प्रो. डीडी शर्मा-उत्तराखंड की लोकोपचार परंपराएं
विश्वम्बर दत्त जोशी-अत्र श्री सिद्धिदात्री मां दूनागिरी
डॉ. जगदीश प्रसाद जग्गू-रंवाई क्षेत्र के लोक साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन
डॉ. यशवंत सिंह कठौच-भारतवर्षीय ऐतिहासिक स्थल कोश
विष्णु प्रसाद सेमवाल-भितर कु उमाल
पूरन पंत पथिक-स्वस्ति श्री गढ़वाली व्यंग्य संग्रह
डॉ.शिवप्रसाद नैथानी-उत्तराखंडी गाथाओं के रहस्य
 

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