Thursday 29 September 2011

अब होंगी ग्राम सरकारें


पंचायती राज विधेयक सदन में पेश
देहरादून - राज्य में पंचायती राज एक्ट बनने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने बुधवार को पंचायती राज विधेयक सदन में पेश कर दिया है। इससे पूर्व कैबिनेट ने आज ही विधेयक को मंजूरी दी है।
अब गांवों की चौपाल से पंचायतों की सरकार चला करेगी। नए विधेयक के अनुसार पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए भवन कर, कृषि बागवानी को छोड़कर दूसरे प्रकार के व्यवसाय, हाट बाजार, मेलों, विवाह पर शुल्क लगाने के अलावा और पंचायत की सीमा में शराब की दुकान होने पर प्रति बोतल पर एक रुपया कर वसूला जाएगा। पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त- दुरुस्त करने के लिए 670 न्याय पंचायतों में पंचायत सचिव के लगभग 870 नए पद सृजित किए जाएंगे। संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने बुधवार को पंचायती राज विधेयक सदन के पटल पर रखा। वर्ष 2002 से पंचायत राज एक्ट लागू किए जाने की मांग को लेकर पंचायतों के आंदोलन के बाद भाजपा सरकार ने विधेयक लाकर पंचायतों की नाराजगी को कम कर दिया है। चुनावी वर्ष होने की वजह से ग्राम प्रधानों द्वारा विधेयक न लाए जाने पर 11 अक्टूबर से बेमियादी हड़ताल की चेतावनी दी थी। खंडूड़ी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के लिए एक ही एक्ट बनाया गया है। अब तक सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंचायतों की वित्तीय स्थिति को लेकर थी। कई राज्यों के पंचायती राज एक्ट का अध्ययन कर सरकार ने नए विधेयक में त्रिस्तरीय पंचायतों को मजूबत करने के लिए आय के संसाधन तलाशे हैं। इसके अंतर्गत पंचायतें पंचायत भवन को छोड़कर अपनी सीमा में बनने वाले भवनों पर कर, पशुओं के क्रय विक्रय पर शुल्क, वाहन शुल्क और सफाई व्यवस्था के बदले भी शुल्क वसूल सकेंगी। नए विधेयक के हिसाब से अब कस्बों में लगने वाले हाट और मेलों पर भी पंचायत शुल्क लेगी। पंचायत की सीमा में होने वाले विवाह पर 50 रुपये का शुल्क, शराब की बिक्री पर प्रति बोतल एक (शेष पेज 15)

विधेयक के अहम बिंदु

भवन, हाट, मेलों और शराब पर लगेगा कर

670 न्याय पंचायतों में पंचायत सचिव के 870 नए पद होंगे सृजित

रेत व बजरी के खनन का अधिकार पंचायतों को होगा ज्येष्ठ औ र कनिष्ठ प्रमुख का पद समाप्त, अगले चुनाव से होगा लागू

14 के बजाय 29 विषय होंगे पंचायतों के अधीन

त्रिस्तरीय पंचायतों का एक ही होगा एक्ट

पर्वतीय क्षेत्रों में 500- 1000 और मैदानों में 1000-2000 की आबादी पर बनेंगी नई ग्रामसभाएं

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