Thursday 30 June 2011

सिसकता पहाड़, मुस्कुराते अपराधी

पहले भी कई बड़े अपराधों के तार जुड़ते रहे हैं उत्तराखंड से - यह महज संयोग नहीं है कि बड़े अपराधी तथा आपराधिक घटनाओं के तार लगातार उत्तराखंड से जुड़ते जा रहे हैं। बावजूद इसके खुफिया तथा पुलिस के आला अफसरों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। शुरूआती दौर में हर मामलों पर इनकार करने वाली उत्तराखंड पुलिस बाद में मुंह की खाती है और सत्यापन के दावे भर चुप्पी साध लेती है। हालात इस कदर खराब हो रहे हैं कि आतंकी उत्तराखंड की राजधानी तक में बेखौफ घूम रहे हैं व उनकी गिरफ्तारी व धरपकड़ की योजनाएं दिल्ली व अन्य राज्यों से बन रही हैं। जे डे हत्याकांड में इस्तेमाल हथियार की खरीद को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड सुर्खियों में है। साथ ही यहां की मित्र पुलिस एक बार फिर सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने की कहावत को चरितार्थ करती नजर आ रही है। देश में ऐसे कई बड़े मामले प्रकाश में आए हैं, जिसके तार बार-बार उत्तराखंड से जुड़ रहे हैं। सांसद फूलनदेवी हत्याकांड से लेकर जे डे हत्याकांड के बीच सूबे की राजधानी तक में आतंकियों की उपस्थिति अब प्रमाणित हो चुकी है। बावजूद इसके मित्र पुलिस अब भी अपनी किरकिरी को छुपाने के लिए दावों की लफ्फाजी में उलझी दिखाई देती है। राजधानी देहरादून में ही सांसद फूलनदेवी हत्याकांड के मुख्य आरोपित की गिरफ्तारी हुई थी। गौरतलब है कि फूलन की हत्या में प्रयुक्त कार भी देहरादून से ही चोरी हुई थी। मुख्य आरोपित शेर सिंह राणा भी रुड़की का ही रहने वाला था। वावजूद इसके उत्तराखंड पुलिस को उसकी गिरफ्तारी से पहले तक कोई भी जानकारी नहीं थी। हालात इस कदर खराब थे कि हत्या में प्रयुक्त कार देहरादून से चोरी गई थी यह बात भी तब पता चली जब राज्य के आला पुलिस अफसरों को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने यह जानकारी दी। बात सिर्फ अपराधियों के पकड़े जाने की नहीं है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिससे पता चला कि खूंखार आतंकवादियों की भी बुरी नजर उत्तराखंड की धरती पर है। यह बात साबित हो चुकी है कि पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी भी देहरादून में शरण ले चुके हैं। इसी साल पुलिस ने केंद्रीय खुफिया विभाग की सूचना पर पटेलनगर क्षेत्र से आतंकवादी को गिरफ्तार किया था। बाद में पता चला कि वह हूजी का खुंखार आतंकी है तथा पहले कई घटनाओं में उसकी तलाश पुलिस को हैं। इसी क्रम में रुड़की रेलवे स्टेशन से आतंकी फुरकान की गिरफ्तारी हुई थी। इससे पूर्व सेना में अपने को मृत दिखा चुके एक सैनिक को खुफिया पुलिस ने गिरफ्तर किया। बाद में दिल्ली में खुलासा किया गया कि उक्त सैनिक ने अपने को मृत दिखाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को फौज की वर्दी पहनाई व बाद में तेजाब आदि डालकर शव को क्षत-विक्षत कर दिया कि उसकी पहचान नहीं हो सकी। बाद में परिजनों ने कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान की। सेना ने उसे मृत मान लिया था। इस घटना के कुछ वर्षो के बाद उसी सैनिक की गिरफ्तारी से इस मामले का खुलासा हुआ। इसी सैनिक को बाद में आतंकी बताया गया। उसके पास से भारतीय सैन्य अकादमी के नक्शे भी बरामद किए गए थे। उसने बताया था कि देहरादून में स्थित आईएमए पर आतंकियों की नजर है और वह उनके लिए कार्य करता है। इसकी गिरफ्तारी के बाद दून में आतंकी ठिकानेकी जानकारियों के आधार पर बाद में खुफिया व दून पुलिस ने प्रेमनगर आदि क्षेत्र से कुछ संदिग्ध आतंकियों को उठाया था। यहां भी पुलिस हाथ मलती रह गई थी।

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