Friday 3 June 2011

जाएगी सरकार,, धारों धार( नेगी जी की नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी)

आज नेगी अपनी नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी कर चुके हैं। कितनी मिसालें हैं कि एक गीत ने सरकार पलट दी हो। एक बहुरुपिया जो पचास साल से अधिक समय तक सार्वजनिक जीवन में रहते हुए भी अपना ढोंग बचाने में सफल रहा, नेगी के एक गीत के आगे ढेर हो गया है। गौर फरमाएं कि ये बहुरुपिया कोर्ट से भी नहीं डर रहा है, कोर्ट की तमाम फटकार के बाद भी खून का कतरा देने में उसे अपना ‘ओपन सीक्रेट’ खुलने का डर है। सत्ता तो हर वक्त उसके जेब में ही रही है। बस एक नेगी थे जो इस पर नकेल कस सके। खैर, उसे छोड़िए नेगी की बात करते हैंं। आज नेगी अपनी नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी कर चुके हैं। इस अलबम में दो गीत हैं जो सीधे सीधे निशंक और मनमोहन की खबर लेते हैं। दस जनपद की अनुकंपा और किस्मत के धनी मिस्टर सिंह तो शायद नेगी के वार से बच जाएं, लेकिन निशंक बुरे फंसे नजर आ रहे हैं। नेगी ने अपने गीतों में कुंभ, स्टर्डिया जमीन घोटाला, आपदा राहत की लूट, पावर प्रोजेक्ट की बंदरबांट पर कलम चलाई है। बस निशंक का जिक्र ही नहीं किया है। पूछने पर नेगी ने साफ कहा कि नाम क्या लेना किसे पता नहीं है कि कौन खा रहा है? ठीक ही कह रहे हैं नेगी दा आखिर उत्तराखंड में तो बच्चा बच्चा लूट की कहानी बयां कर रहा है। शायद अपनी दुधबोली भूल चुके और संस्कृत में सोचेन वाले, बोलने वाले और समझने वाले निशंक को अपनी दुधबोलियों की बात न सुनाई दे रही हो या हो सकता है कि वो भूल ही चुके हों इस पिछड़ी भाषा को पिनानी की पगड़डियों की तरह। शायद इसीलिए उन्होंने समूह ग से अपनी दुधबोलियों को बाहर का रास्ता दिखा, संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्दा दिया। सॉरी फिर विषय भटक रहा हूं, नौछमी, निंशक को छोड़ते हुए नेगी दा पर आता हूं। नई एलबम में नेगी ने अपने सुपुत्र कविलास के साथ भी एक गीत गाया है। मीडियावलों के कैमरों की खचाखच करती आवाज के बीच कविलास की आवाज पिताजी के साथ गाते हुए खोई हुई सी नजर आई। लेकिन नेगी के साथ उनका बेटा पहली बार सार्वजनिक रूप से गा रहा है ये देखकर अच्छा लगा। अब तक कविलास कोरस ही गा रहे थे। इस तरह यह उनकी पहली प्रस्तुति हुई। एलबम रिलीज होने से पहली चर्चा बटोर चुका है, चुनाव आने वाले हैं लगता यही है कि नौछमी की तरह निशंक की सरकार भी नेगी के वार से धारों धार जा जाएगी। - प्रखर कंडवाल देहरादून पहला गीत कमिशन की मीट भात, रिस्बत को रैलो रिस्बत को रैलो रे बसकर भंडि ना सपोड अब कथगा खैल्यो कथगा जि खैल्यो रे यनि घुलुणे रैल्यो, कनुके पचैल्यो दुख्यारू ह्वे जैल्यो रे, कमिसन की-----------। छप्पन्न ड़ामूकि ड़डवार, कै कैन बांटी-बांटी रे बांटी कै कैन बांटी स्टरडियाकी रबडि, कथगौन चाटी बारामा चुनौ छ भुलू, हैंसल्यो कै र्वेल्यो रे। ------------- राष्ट्रमंडल खेल, टू जी घोटाला-घोटाला रे घोटाला टूजि घोटाला अरबू खरबू को माल लगेयालि छाला ये देसै लाज प्रभो, कनुकै बचैल्यो रे। --------------- दूसरा गीत माछू पाणी पेन्दू नी दिखे पंछी ड़ाला, स्येन्दु नी दिखे लेन्दु छैंच भैजि घूस सब्बि जणदन पर झूट क्यो बोन्न लेन्दू नी दिखे -- बाबु क्या साब क्या मंत्रि संत्रि कै कैका जब्कौण झौला घूसखौरुकि यूनियन बणीछ लोलै लोला सबि एक्कि खोला माछू पाणी पेन्दू नी दिखे

1 comment:

  1. यह सरकार भी घोटालो की है जायेगी प्रखर जी पहले भी एक गीत ने पहाड़ मे सरकार गिराई फिर दूसरे की बारी आयी

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