Thursday 30 June 2011

सिसकता पहाड़, मुस्कुराते अपराधी

पहले भी कई बड़े अपराधों के तार जुड़ते रहे हैं उत्तराखंड से - यह महज संयोग नहीं है कि बड़े अपराधी तथा आपराधिक घटनाओं के तार लगातार उत्तराखंड से जुड़ते जा रहे हैं। बावजूद इसके खुफिया तथा पुलिस के आला अफसरों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। शुरूआती दौर में हर मामलों पर इनकार करने वाली उत्तराखंड पुलिस बाद में मुंह की खाती है और सत्यापन के दावे भर चुप्पी साध लेती है। हालात इस कदर खराब हो रहे हैं कि आतंकी उत्तराखंड की राजधानी तक में बेखौफ घूम रहे हैं व उनकी गिरफ्तारी व धरपकड़ की योजनाएं दिल्ली व अन्य राज्यों से बन रही हैं। जे डे हत्याकांड में इस्तेमाल हथियार की खरीद को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड सुर्खियों में है। साथ ही यहां की मित्र पुलिस एक बार फिर सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने की कहावत को चरितार्थ करती नजर आ रही है। देश में ऐसे कई बड़े मामले प्रकाश में आए हैं, जिसके तार बार-बार उत्तराखंड से जुड़ रहे हैं। सांसद फूलनदेवी हत्याकांड से लेकर जे डे हत्याकांड के बीच सूबे की राजधानी तक में आतंकियों की उपस्थिति अब प्रमाणित हो चुकी है। बावजूद इसके मित्र पुलिस अब भी अपनी किरकिरी को छुपाने के लिए दावों की लफ्फाजी में उलझी दिखाई देती है। राजधानी देहरादून में ही सांसद फूलनदेवी हत्याकांड के मुख्य आरोपित की गिरफ्तारी हुई थी। गौरतलब है कि फूलन की हत्या में प्रयुक्त कार भी देहरादून से ही चोरी हुई थी। मुख्य आरोपित शेर सिंह राणा भी रुड़की का ही रहने वाला था। वावजूद इसके उत्तराखंड पुलिस को उसकी गिरफ्तारी से पहले तक कोई भी जानकारी नहीं थी। हालात इस कदर खराब थे कि हत्या में प्रयुक्त कार देहरादून से चोरी गई थी यह बात भी तब पता चली जब राज्य के आला पुलिस अफसरों को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने यह जानकारी दी। बात सिर्फ अपराधियों के पकड़े जाने की नहीं है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिससे पता चला कि खूंखार आतंकवादियों की भी बुरी नजर उत्तराखंड की धरती पर है। यह बात साबित हो चुकी है कि पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी भी देहरादून में शरण ले चुके हैं। इसी साल पुलिस ने केंद्रीय खुफिया विभाग की सूचना पर पटेलनगर क्षेत्र से आतंकवादी को गिरफ्तार किया था। बाद में पता चला कि वह हूजी का खुंखार आतंकी है तथा पहले कई घटनाओं में उसकी तलाश पुलिस को हैं। इसी क्रम में रुड़की रेलवे स्टेशन से आतंकी फुरकान की गिरफ्तारी हुई थी। इससे पूर्व सेना में अपने को मृत दिखा चुके एक सैनिक को खुफिया पुलिस ने गिरफ्तर किया। बाद में दिल्ली में खुलासा किया गया कि उक्त सैनिक ने अपने को मृत दिखाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को फौज की वर्दी पहनाई व बाद में तेजाब आदि डालकर शव को क्षत-विक्षत कर दिया कि उसकी पहचान नहीं हो सकी। बाद में परिजनों ने कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान की। सेना ने उसे मृत मान लिया था। इस घटना के कुछ वर्षो के बाद उसी सैनिक की गिरफ्तारी से इस मामले का खुलासा हुआ। इसी सैनिक को बाद में आतंकी बताया गया। उसके पास से भारतीय सैन्य अकादमी के नक्शे भी बरामद किए गए थे। उसने बताया था कि देहरादून में स्थित आईएमए पर आतंकियों की नजर है और वह उनके लिए कार्य करता है। इसकी गिरफ्तारी के बाद दून में आतंकी ठिकानेकी जानकारियों के आधार पर बाद में खुफिया व दून पुलिस ने प्रेमनगर आदि क्षेत्र से कुछ संदिग्ध आतंकियों को उठाया था। यहां भी पुलिस हाथ मलती रह गई थी।

माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल मे लिपिक वर्गीय सेवा परिक्षा 2011 मे भर्ती अंतिम तिथि 23 july 2011 उम्र 40 साल

माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल मे लिपिक वर्गीय सेवा परिक्षा 2011 मे भर्ती अंतिम तिथि 23 july 2011 उम्र 40 साल

Wednesday 29 June 2011

अशासकीय स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती पर पाबंदी हटने की उम्मीद

देहरादून )। प्रदेश सरकार जल्द ही प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों में अध्यापकों की भर्ती पर पिछले एक साल से लगा प्रतिबंध हटा सकती है। शासन के सूत्रों के मुताबिक जल्द ही विद्यालयी शिक्षा विभाग इस बाबत फैसला ले सकता है। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के सैकड़ों अशासकीय विद्यालयों में अध्यापकों की भर्ती की राह खुल सकती है। बता दें कि प्रदेश में इस वक्त करीब प्रदेश में शिक्षा के प्रसार में अशासकीय विद्यालयों का बहुत योगदान रहा है। लेकिन अशासकीय विद्यालयों की नियमावली में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता का प्राविधान न होने से प्रदेश सरकार ने नियमावली संशोधित होने तक उनमें शिक्षकों की नई भर्ती पर पाबंदी लगा दी थी। विद्यालयी शिक्षा निदेशक सीएस ग्वाल से इस बाबत संपर्क करने पर उन्होंने इस बाबत जल्द फैसले की उम्मीद जताई। हालांकि जब इस बाबत शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट से संपर्क नहीं हो पाया, जबकि सचिव शिक्षा मनीषा पंवार ने कहा कि वह इन दिनों अवकाश पर हैं अवकाश से लौट कर ही वह इस बाबत ठोस जानकारी दे पाएंगी।

अगले वर्ष तक मिल जाएंगे 200 डाक्टर : निशंक

देहरादून - मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अगले वर्ष तक प्रदेश को श्रीनगर व हल्द्वानी मेडिकल कालेज से दो सौ डाक्टर मिल जाएंगे। इन मेडिकल कालेजों के छात्रों से सरकार ने अनुबंध किया हुआ है। इसके अतिरिक्त देहरादून व अल्मोड़ा में भी मेडिकल कालेज खुलने से स्वास्थ्य सेवा और मजबूत हो जाएगी। मंगलवार को यह बात डा. निशंक ने सहस्त्रधारा रोड डांडा लखौड़ स्थित नवनिर्मित स्वास्थ्य महानिदेशालय, आयुष महानिदेशालय व होम्यापैथिक निदेशालय के भवनों का लोकार्पण करने के दौरान कही। लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में एलोपैथिक और आयुष दोनों ही क्षेत्रों में तेजी से कार्य हो रहा है। आयुष ग्राम की स्थापना अल्मोड़ा (भवानी) में 100 करोड़ की लागत से की जाएगी। एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए श्रीनगर एवं हल्द्वानी मेडिकल कालेज स्थापित है, जबकि जल्द ही देहरादून और अल्मोड़ा में मेडिकल कालेज स्थापित होगा। इससे प्रदेश में डाक्टरों की कमी को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी मेडिकल कालेज में एमएस और एमडी पाठ्यक्रम में 27 सीटों की अनुमति मिलने से विशेषज्ञ डाक्टर प्रदेश को मिल पाएंगे। उन्होंने कहा कि देहरादून से प्रदेश का पहला बीएससी नर्सिग कालेज भी प्रारम्भ हो गया है और जल्द ही नर्सिग कालेजों की एक श्रृंखला प्रदेश भर में शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों को निजी क्षेत्र की सहभागिता से उच्चीकृत किया जा रहा है। व्याधि निधि योजना के अन्तर्गत 5 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया गया है। उन्होंने स्वयं अपने विवेकाधीन कोष से 3500 से अधिक लोगों को लगभग 12 करोड़ रुपये की राशि गम्भीर रोगों के उपचार के लिए दी है। जौलीग्रांट अस्पताल में कैंसर की यूनिट खोली है। अब कुमाऊं में भी कैंसर यूनिट खोलना प्रस्तावित है। सरकार का प्रयास है कि स्वास्थ्य सुविधाएं हर व्यक्ति तक पहुंचे। सीएम ने 108 एम्बुलेंस सेवा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उक्त सेवा आपात स्थिति के लिए कारगर साबित हो रही है। मुख्यमंत्री ने महानिदेशालय के कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर बनाने की बात पर स्वास्थ्य सचिव को संभावना तलाशने की बात कही। महानिदेशालय शहर से दूर होने पर कर्मचारियों के लिए दो बसे चलाने की स्वीकृति प्रदान की। कार्यक्रम में विधायक गणोश जोशी ने डांडा लखौड़ में स्टेडियम बनाने की मांग सीएम के आगे रखी। सचिव स्वास्थ्य डॉ. उमाकांत पंवार ने बताया कि उत्तराखण्ड में पिछले तीन वर्षो में 500 स्वास्थ्य उपकेन्द्र, 37 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक जिला अस्पताल खोला गया है। ब्लड बैंक और ट्रामा सेंटर भी खोले गये हैं। डाक्टरों की कमी से निपटने के लिए 141 आयुव्रेदिक चिकित्सकों को वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऐलोपैथिक अस्पतालों में तैनात किया गया है। बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत बच्चों के नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण हेतु चिरायु योजना चलाई जा रही है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आशा माथुर, आयुव्रेद महानिदेशक डॉ़ पूजा भारद्वाज, होमियोपैथिक निदेशक डॉ. बीसी लखेड़ा, एनआरएचएम के निदेशक पीयूष सिंह, अपर सचिव अजय प्रद्योत सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। स्वास्थ्य व आयुष महानिदेशालय तथा होम्योपैथिक निदेशालय के भवनों का लोकार्पण किया भवाली में होगी आयुष ग्राम की स्थापना

गढ़वाल विवि का बीएड एंट्रेंस 28 अगस्त को

देहरादून, लंबे इंतजार के बाद सोमवार को एचएनबी गढ़वाल विवि ने बीएड सत्र 2010-11 के लिए प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया। प्रवेश के आवेदन पत्रों की बिक्री 30 जून से शुरू होगी और इच्छुक छात्र 20 जुलाई तक आवेदन पत्र जमा कर सकेंगे। लगभग डेढ़ साल विलंब से चल रहा बीएड सत्र 2010-11 शून्य होने से तो बच गया, लेकिन इसके लिए लंबे इंतजार के बाद विवि ने प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम जारी किया। विवि प्रशासन के अनुसार 28 अगस्त को होने वाली प्रवेश परीक्षा के लिए 30 जून से आवेदन पत्रों की बिक्री शुरू होगी। छात्र 20 जुलाई तक आवेदन पत्र जमा कर सकेंगे। इसमें चौंकाने वाला मामला यह है कि विवि ने छात्रों को आवेदन के लिए जहां केवल 20 दिन का समय मिलेगा, वहीं विवि ने प्रवेश परीक्षा कराने को 40 दिन का समय रखा है। बीएड प्रवेश परीक्षा 31 जुलाई को देहरादून: हिमगिर जी यूनिवर्सिटी (पूर्व नाम हिमगिरि नभ विश्वविद्यालय) में सत्र 2011-12 के लिए बीएड की प्रवेश परीक्षा 31 जुलाई को होगी। प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन पत्र विश्वविद्यालय कार्यालय में पहुंचने की अंतिम तिथि 25 जुलाई निर्धारित की गई है। विवि की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक एनसीटीई से मान्यता प्राप्त बीएड कोर्स करने के इच्छुक छात्र-छात्राएं 25 जुलाई तक स्पीड पोस्ट अथवा रजिस्टर्ड डाक से आवेदन फार्म जमा करा सकते हैं। आवेदन फार्म विवि की वेबसाइट से भी डाउनलोड किए जा सकते हैं।

आइफा में पहुंची नैनीताल की बेटी दीक्षा

नैनीताल: भारतीय सिनेजगत में खास पहचान बना चुका आइफा अवार्ड। जिसमें सभी भारतीय सितारे अपनी आकर्षक प्रस्तुति देते हैं। वर्ष 2011 का आइफा अवार्ड हमारे लिए खास था, क्योंकि इस अवार्ड कार्यक्रम से जुड़ी है नैनीताल नगर की एक बेटी दीक्षा पाल नारायण। कुमाऊं के प्रतिष्ठित अस्कोट राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीक्षा की शुरूआती शिक्षा आल सेंट कालेज, बालिका विद्या मंदिर से हुई। कालेज की पढ़ाई डीएसबी परिसर नैनीताल से की। उसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई को दिल्ली रवाना चली गयी,जहां अपने बैच में टॉप किया और थोड़े संघर्ष के बाद दीक्षा ने एनडीटीवी इमेजिन चैनल में बतौर प्रोड्यूसर काम किया। दीक्षा ने कालेज के समय कैम्पस रिपोर्टर में सम्पादक रहते तत्कालीन छात्र-छात्राओं को पत्रकारिता के प्रति आकर्षित किया। वर्ष 2009 में विवाह के बाद कनाडा में बस चुकी दीक्षा पाल ने अपने अभियान को जारी रखा। कनाडा की सबसे बड़ी ब्राडकास्टिंग कम्पनी ऑमनी टीवी ज्वाइन किया। यहां उन्होंने कई हिन्दी भाषी कार्यक्रम प्रस्तुत किए। दीक्षा की लगन और मेहनत ने यहां भी रंग दिखाया और जल्द ही कम्पनी की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिली। अब बारी थी दीक्षा को सुनहरा अवसर मिलने की, जो जल्द ही पूरी हुई आइफा आवार्ड 2011 कार्यक्रम के रूप में। ऑस्कर अवार्ड की तर्ज पर आइफा अवार्ड पर बिछी ग्रीन कारपेट जिस पर तमाम भारतीय सितारों के आगमन को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बतौर प्रोड्यूसर दीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने अपनी कम्पनी की ओर से सभी भारतीयों सितारों को वेलकम किया। उन्होंने शाहरुख खान, अर्जुन रामपाल, रानी मुखर्जी, करन जौहर जैसे फिल्मी हस्तियों से भी साक्षात्कार किया।

Tuesday 28 June 2011

समूह ‘ग’ भर्ती के रिक्त पदों आवेदन पत्र स्वीकार किये जाने की अन्तिम तिथि:11 july , 2011

नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती की याचिकाएं निस्तारित

नैनीताल: हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड सचिवालय में रिक्त समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष एवं न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष याची तारा चन्द्र घिल्डियाल व अन्य द्वारा दायर विशेष अपील में एकलपीठ के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया कि समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी की मुख्य परीक्षा हेतु एक पद के सापेक्ष 20 अभ्यार्थियों को बुलाया जाना था, जबकि राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा नियमों का उल्लंघन कर एक पद के सापेक्ष कम लोगों को मुख्य परीक्षा के काल लेटर भेजे गए। पूर्व में इस मामले दायर याचिकाओं को एकलपीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि याचीकर्ता द्वारा मुख्य परीक्षा सम्पादित होने के पश्चात याचिका दाखिल की गई है, जिस कारण वह आधारहीन हैं। खंडपीठ ने भी इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया। इधर खंडपीठ द्वारा इस मामले में आशुतोष भट्ट एवं एक अन्य द्वारा याचिका को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया गया था कि याची प्रारिम्भक परीक्षा में सम्मिलित हुआ था एवं उसकी याचिका समयान्तर्गत दायर की गयी है

Monday 27 June 2011

और वैली ऑफ फ्लावर गायब!

-किसी दिन विश्व प्रसिद्ध वैली ऑफ फ्लावर अपनी जगह से गायब मिले तो..। यकीन हमें भी नहीं आ रहा, लेकिन वैज्ञानिकों की दस साल की मेहनत के नतीजे कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। ये बदलाव अनूठा है। पहले पहाड़ों से इंसान का ही पलायन हो रहा था, अब यह 'संक्रमण' पेड़ पौधों में भी फैल गया। वनस्पतियां अपनी जड़ों से विस्थापित होने लगी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इंसानों का रुख मैदानों की ओर है और वनस्पतियों का ऊंचाई की ओर। मसलन चीड़ के पेड़ अमूमन 3700 मीटर तक की ऊंचाई पर होते हैं, अब ये आठ सौ मीटर की चढ़ाई चढ़ लगभग साढ़े चार हजार मीटर तक जा पहुंचे हैं। वन पीपल और धूप घास भी इसी राह पर हैं। फूलों की घाटी में भी यह आश्चर्य देखने को मिल रहा है। कुदरत के करिश्मे से आम आदमी हैरान है और वैज्ञानिक चिंतित। वनस्पति जगत में मची उथल-पुथल को अस्तित्व बचाने की जुगत के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल जो पेड़-पौधे कम तापमान पर फलने -फूलने की आदी हैं, वे अधिक ऊंचाई की ओर माइग्रेट हो गए हैं और उनका स्थान गर्म जलवायु के पेड़ पौधे लेने लगे हैं। फूलों की घाटी में दस साल से वनस्पतियों के विस्थापन पर नजर रख रहे हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ डॉ. एमपीएस बिष्ट बताते हैं कि घाटी की वनस्पतियों के अनुक्रम (वेजिटेशनल सक्सेशन) में तेजी से परिवर्तन आया है। इसके तहत नई वनस्पति झुंड के रूप में पनपने लगती हैं। डा. बिष्ट कहते हैं कि घाटी के तापमान में आया बदलाव पौधों के पलायन का बड़ा कारण है। कम ऊंचाई पर मिलने वाला वन पीपल (पोपुलस), चीड़ की पाइनस वेल्सेयाना प्रजाति, एरीनिरीया जैसी वनस्पतियां 3700 से 4440 मीटर की ऊंचाई में पनप रही हैं, जबकि पहले ये 3700 मीटर की ऊंचाई तक ही पाई जाती थीं। घाटी में 3700 मीटर तक उगने वाली धूप घास (यूनिफर) जैसी वनस्पतियां पुराने स्नो कवर एरिया तक उगने लगी हैं। इस शोध को प्रतिष्ठित साइंस जनरल करंट साइंस ने भी अपने हालिया अंक में स्थान दिया है। साथ ही नेपाल में आयोजित भूवैज्ञानिकों की अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भी डॉ. बिष्ट स्लाइड शो के माध्यम से इसका प्रदर्शन कर चुके हैं।

भाई-चारे का प्रतीक है मौण मेला

जौनपुर का ऐतिहासिक मौण मेला अपने आप में एक अनोखी पहचान बनाए हुए है। मेले में हजारों लोग अगलाड़ नदी से सामूहिक रूप से मछलियां पकड़ते हैं। यह मेला एक जुलाई से शुरू होगा। इस बार मौंण लाने की बारी पट्टी लालूर के पंचगांई की है। मौण ऐसा मेला है, जिसमें लोगों टिमरू की छाल से बने महीन पाउडर को मौणकोण नामक स्थान पर अगलाड़ नदी में डालकर सामूहिक रूप से मछलियां पकड़ते हैं। इसमें 114 गांव के ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं, जिसमें पट्टी दशज्यूला, अठज्यूला, सिलवाड़, लालूर, इडवालस्यूं व जौनपुर द्वितीय के समेत जौनसार के लोग प्रतिभाग करते हैं। खास बात यह है कि टिमरू के इस पाउडर से मछलियां सिर्फ बेहोश होती हैं। बेहोश होने के बावजूद जो मछलियां मौणाइयों की पकड़ में नहीं आ पातीं, वह पानी के प्रवाह में फिर सामान्य अवस्था में आ जाती हैं। इस दौरान महिलाएं लोकगीत गाती है। इसके बाद लोग नदी में जाकर मछलियां पकड़ना शुरू कर देती है। मछली पकड़ने का सिलसिला लगभग तीन किमी लम्बी नदी में चलता है। मछली पकड़ने के विशेष उपकरण कुंडियाला, फटियाला, जाल, फांड, कुडली का प्रयोग किया जाता है। यह मेला टिहरी रियासत के राजा नरेन्द्र शाह ने स्वयं अगलाड़ नदी में पहुंचकर शुरू किया था, लेकिन वर्ष 1844 में आपसी भतभेद के कारण यह बंद हो गया। बाद में लोगों द्वारा गुहार लगाने बाद वर्ष 1949 में इस पुन शुरू किया गया। इस बार मौंण लाने की बारी पटटी लालूर के पंचगांई की है। प्रधान खजान सिंह चौहान, श्याम सिंह भंडारी, शांती सिंह, मोहन लाल धिमान आदि का कहना है कि इस बार आठ कुतंल मौंण के साथ सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं।

एएफएमसी के महिला वर्ग में दून की तनुश्री टॉपर

दून की अंकिता सिंह को 35वां और अनु राग मोहन को मिला 90वां रैंक देहरादून -सशस्त्र सेना मेडिकल कालेज (एएफएमसी) की प्रवेश परीक्षा में तनुश्री ने ऑल इंडिया में प्रथम स्थान हासिल किया है। एएफएमसी के घोषित परिणाम में तनुश्री ने शानदार प्रदर्शन करते हुए उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है। एएफएमसी से एमबीबीएस करना तनुश्री का लक्ष्य था। इसलिए तनुश्री एएफएमसी के अलावा किसी अन्य मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल नहीं हुई। तनुश्री ने हाईस्कूल व इंटर की पढ़ाई दून से ही की। तनुश्री के पिता रमेश रतूड़ी दून में गढ़वाल मंडल विकास निगम में कार्यरत हैं जबकि माता मंजू रतूड़ी अध्यापिका हैं। मूल रूप से टिहरी की भिलंगना घाटी के किरेथ गांव की रहने वाले श्री रतूड़ी वर्तमान में अजबपुर खुर्द में रह रहे हैं। टॉपर बनने की जानकारी मिलने के बाद तनुश्री की खुशी का ठिकाना नहीं था। तनुश्री ने बताया कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए ईमानदारी से मेहनत करना जरूरी है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और बलूनी क्लासेस के शिक्षकों को दिया। इसके साथ ही एएफएमसी में दून की अंकिता सिंह ने 35वीं रैंक और अनुराग मोहन ने 90वीं रैंक हासिल की।

विनोद शर्मा ने संभाला डीजी सूचना का पदभार

देहरादून -वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी विनोद शर्मा ने शनिवार को सूचना निदेशालय में महानिदेशक सूचना का कार्यभार ग्रहण किया। श्री शर्मा ने कहा कि विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। सूचना महानिदेशक का पदभार ग्रहण करने के बाद श्री शर्मा ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। योजनाएं तभी कारगर हो सकती हैं जब उनकी जानकारी आम जन तक पहुंचे। डीजी सूचना ने कहा कि विभाग के जनपदीय कार्यालयों को और अधिक मजबूत करते हुए सूचनाओं के आदान-प्रदान में गति लाई जाए।

Sunday 26 June 2011

नियुक्ति आदेश नहीं मिला, मनमाफिक तैनाती को लामबंदी

गुपचुप हो रहा है तैनाती का खेल अफसरों ने साधी चुप्पी नैनीताल- एलटी परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की अभी तक पड़ताल नहीं हो सकी है और ना ही औपचारिक रूप से नियुक्ति पत्र जारी किए गए। बावजूद इसके सफल अभ्यर्थियों ने मनमाफिक विद्यालय में तैनाती के लिए शिक्षा मंत्री समेत विभागीय अफसरों के जरिये सिफारिश शुरू कर दी है। ऊपरी दबाव को देखते हुए विभाग में शिक्षकों को मनमाफिक विद्यालय दिलाने के लिए होमवर्क शुरू हो चुका है। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद रुड़की के तत्वावधान में आयोजित एलटी शिक्षकों की लिखित परीक्षा के परिणाम पिछले माह घोषित किए जा चुके हैं। लिखित परीक्षा में करीब 1700 से अधिक अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। घोषित परिणामों में कई अभ्यर्थियों ने धांधली का आरोप भी लगाया था। विभागीय सूत्रों के अनुसार शासन स्तर से मौखिक निर्देशों के क्रम में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की पड़ताल शुरू हो चुकी है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि शासन स्तर पर तैनाती का होमवर्क भी शुरू हो चुका है। इधर विभागीय स्तर पर नियुक्ति आदेश जारी करने व विद्यालयों में तैनाती की तैयारियों की भनक लगते ही चयनित अभ्यर्थियों ने मनमाफिक विद्यालयों में तैनाती के लिए शिक्षा मंत्री स्तर से जुगाड़ बैठाना शुरू कर दिया है। सूत्र यह भी बताते हैं कि मंत्री स्तर से हरी झंडी मिलने में देरी की वजह से इसमें देरी हो रही है। यहां उल्लेखनीय है पिछले दिनों गुपचुप तरीके से किए गए दर्जनों शिक्षकों के तबादला आदेशों को एकाएक शिक्षा सचिव ने रद्द कर दिया था। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री स्तर पर जानकारी दिए बगैर इस पूरे खेल को अंजाम दिया गया। शिक्षा सचिव व एडी ने किया टिप्पणी से इनकार एलटी शिक्षकों को नियुक्ति आदेश अपर शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए जाते हैं, लेकिन अपर शिक्षा निदेशक डॉ.कुसुम पंत ने इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी से बचते हुए कहा एलटी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला निदेशालय स्तर का है। इस मामले में निदेशालय से ही कार्रवाई होगी। निदेशालय से निर्देश मिलने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है। इस संबंध में शिक्षा सचिव मनीषा पंवार से भी दूरभाष पर संपर्क साधा गया, लेकिन उन्होंने अवकाश पर होने की बात कहते हुए किसी भी मामले में टिप्पणी से इनकार कर दिया।

JOBS IN UTTARAKHAND OPEN UNIVERSITY ( LAST DATE- 20/7/2011

Saturday 25 June 2011

खबर ने दिखाया असर -

इस खबर को हमने सभी नेताओ चाहे वह सत्ता या विपक्षी दल का रहा हो सभी को भेज कर २३ जुलाई २०१० का कैबिनेट का फैसला भी भेजा जिसमे उम्र 40 वर्ष की आयु वाले भी आवेदन कर सकते है का जिक्र किया था

23जुलाई २०१० के अपने फैसले से बदल गयी उत्तराखंड सरकार

और आज सरकार ने लंबी जद्दोजहद के बाद बेरोजगारों की मांग मंजूर कर ली। अब लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर समूह ग के पदों की भर्ती में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी। यह लाभ एक बार ही मिलेगा। कैबिनेट ने समूह ग के पांच पदों को राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर किया था। उक्त पदों के लिए अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट दी गई है।

आयु सीमा में दी पांच वर्ष की छूट

देहरादून, सरकार ने लंबी जद्दोजहद के बाद बेरोजगारों की मांग मंजूर कर ली। अब लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर समूह ग के पदों की भर्ती में अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी। यह लाभ एक बार ही मिलेगा। कैबिनेट ने समूह ग के पांच पदों को राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर किया था। इन पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट नहीं दी गई थी। बेरोजगारों और आंदोलनकारी संगठन ऊपरी आयु सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इस मामले में शुरुआती दौर में सख्त नजर आ रही सरकार ने अपना स्टैंड बदला है। उक्त पदों के लिए अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट दी गई है। कार्मिक प्रमुख सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि उक्त संबंध में शासनादेश जारी किया गया है। यह छूट पद विशेष के लिए एक ही बार मिलेगी। आयोग की परिधि से बाहर समूह ग के जिन पदों पर चयन प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है, लेकिन प्रतियोगिता परीक्षा नहीं हुई, उनके लिए भी उक्त आदेश प्रभावी होगा। सरकार ने संबंधित महकमों के विभागाध्यक्षों को छूट संबंधी निर्देश जारी करने को कहा है। छूट के चलते आयु सीमा की परिधि में आने वाले अभ्यर्थियों को भर्ती के लिए आवेदन का मौका भी मिलेगा।

Friday 24 June 2011

होम्योपैथिक डिग्री धारियों का संशय हुआ खत्म

हल्द्वानी: भारत सरकार ने कुमाऊं विश्वविद्यालय को पैरा टू में शामिल कर राज्य के होम्योपैथिक डिग्रीधारियों की डिग्री को मान्य कर दिया है। इसके चलते राज्य के 100 से अधिक बीएचएमएस डिग्रीधारी सरकारी नौकरियों में आवेदन कर सकेंगे। राज्य में केवल एक चंदोला होम्योपैथिक कालेज रुद्रपुर में हैं। इस कालेज से अब तक 100 छात्र-छात्राओंने बीएचएमएस की डिग्री हासिल की है। विडंबना यह थी कि कुमाऊं विश्र्वविद्यालय केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के मानकों के अनुसार न होने के कारण पैरा टू में शामिल नहीं था। इसके चलते ऐसे डिग्रीधारियों के न ही रजिस्ट्रार होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड में पंजीकरण हो रहा था और न ही सरकारी अस्पतालों में चिकित्साधिकारी के लिए आवेदन कर सकते थे। इससे अभ्यर्थी से लेकर अभिभावक परेशान थे। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण भारत सरकार के संयुक्त सचिव डा. डीडी शर्मा द्वारा 14 जून 2011 को जारी पत्र के अनुसार कुमाऊं विश्र्वविद्यालय पैरा टू में शामिल हो गया है। विवि के कुलसचिव डा. केके पांडे ने बताया कि विवि में इस आशय का फैक्स आ गया है। होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार सुनील डिमरी ने बताया कि अभी उनके पास लिखित रूप से पत्र नहीं पहुंचा है। चंदोला होम्योपैथिक कालेज के चेयरमैन डा. केसी चंदोला ने कहा कि भारत सरकार के इस नोटिफिकेशन से पूर्व व वर्तमान छात्र-छात्राएं बेहद खुश हैं।

समूह ग के लिए 15 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी

नैनीताल: समूह ग में चयनित 15 अभ्यर्थियों को डेढ़ साल बाद नियुक्ति पत्र के रूप में सौगात मिली है। मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करते हुए शिक्षा विभाग ने इन सभी को हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में कनिष्ठ लिपिक पद पर तैनाती दी है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व शिक्षा विभाग ने समूह ग के रिक्त 205 पदों के लिए नियुक्तियां निकाली थीं। इनमें 190 को तो नियुक्ति मिल गई पर पद सृजित न होने से 15 अभ्यर्थी वंचित रह गए थे। इस पर डीएम शैलेश बगौली व अपर शिक्षा निदेशक डा.कुसुम पंत को इन अभ्यर्थियों ने ज्ञापन सौंप वार्ता भी की। सुनवाई न होने पर चयनित अभ्यर्थी रामनगर दौरे पर आए मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक से मिले। तब मुख्यमंत्री ने नियुक्ति की घोषणा की थी। गुरुवार को एडी डॉ. पंत ने चयनित अभ्यर्थियों की बतौर कनिष्ठ लिपिक नियुक्ति के आदेश जारी कर सूचना पंजीकृत डाक से भेज दी है। उन्हें 15 दिन के भीतर हाईस्कूल अथवा इंटर कालेजों में ज्वाइनिंग देने को कहा गया है।

Thursday 23 June 2011

देवप्रयाग में मिलीं 65 साल पुरानी रोटियां

देवप्रयाग में नक्षत्र वेधशाला की खुदाई की दौरान 65 वर्ष पुरानी रोटियां मिली हैं। ये रोटियां चूल्हे पर बनी और तवे पर सेकी गई हैं। देवप्रयाग में आजकल वेधशाला का जीर्णोद्धार चल रहा है। वेधशाला का निर्माण 1946 में किया गया था। यहां नक्षत्रों की जानकारी के लिए दूरबीन स्थापित की गई थी। जीर्णोद्धार के दौरान खुदाई करते समय भवन के नीचे उर्मिला बगराड़ी व सुलोचना को कुछ रोटियां जमीन में मिलीं। आस-पास के लोग रोटियों को देखने के लिए एकत्र हो गए। उल्लेखनीय है कि इन रोटियों में न फफूंद लगी और न ही जमीन के नीचे के कीटों ने इन रोटियों को नुकसान पहुंचाया है। रोटियां ताजी हैं। इनको तवे और चूल्हे पर बनाने के संकेत मिल रहे हैं। नक्षत्र वेधशाला की आजकल योगाचार्य भास्करानन्द द्वारा खुदाई व जीर्णोद्धार किया जा रहा है। फिलहाल इन रोटियां का सम्बन्ध 65 साल पुराना होने से लोगों में कौतूहल है कि इतने वर्ष पुरानी ये रोटियां जमीन के नीचे कैसे सुरक्षित रह गई।

Wednesday 22 June 2011

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी की सुनवाई के लिए अगली तारीख27 जून को

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी की नियुक्तियों के मामले में एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। याचिका कर्ता तारा चन्द्र घिल्डियाल व अन्य द्वारा पूर्व में एकलपीठ के समक्ष एक याचिका दाखिल कर राज्य लोक सेवा आयोग के समीक्षा अधिकारियों के पदों को भरने संबंधी आदेश 11 मार्च 10 को इस आधार पर चुनौती दी थी कि मुख्य परीक्षा हेतु एक के सापेक्ष 20 अभ्यार्थियों को सम्मिलित करने का नियम है, किन्तु आयोग द्वारा मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा हेतु कम लोगों को सफल घोषित किया गया। एकलपीठ द्वारा पूर्व में आयोग के निर्णय पर सहमति जताते हुए याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मुख्य परीक्षा पूर्व में ही हो चुकी है। किन्तु न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिया था कि वह अन्तिम परिणाम एक माह तक घोषित न करे। एकलपीठ के उक्त निर्णय के विरुद्ध दायर विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष व न्यायमूर्ति एसके गुप्ता की खंडपीठ ने एकलपीठ के पूर्व आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है और सुनवाई के लिए 20 जून को होने वाली तारीख अगले हफ्ते नियत की है।

Tuesday 21 June 2011

पॉलीटेक्निक संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित

इंजीनियरिग ग्रुप में रानीखेत के नितिन पाठक रहे टॉपर 10519 सीटों पर विद्यार्थियों को मिलेगा प्रवेश, ऑनलाइन काउंिसलिंग जुलाई के पहले सप्ताह में होगी result see- देहरादून -उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने पॉलीटेक्निक संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। प्रवेश परीक्षा में करीब 48,249 विद्यार्थी शामिल हुए थे। प्रवेश परीक्षा की रैंक के आधार पर 65 सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों की करीब 10,519 सीटों पर छात्र-छात्राओं को एडमिशन दिया जाएगा। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने सोमवार को संयुक्त प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित किया। प्रवेश परीक्षा पाठय़क्रमों के आधार पर कुल छह ग्रुपों में आयोजित की गई थी। इसमें से इंजीनियरिंग ग्रुप में सर्वाधिक 39160, पीजीडीसीए ग्रुप में 311, होटल मैनेजमेंट ग्रुप में 539, मॉडर्न ऑफिस मैनेजमेंट में 1071, फाम्रेसी ग्रुप में 6485, फैशन एंड डिजाइन में 683 विद्यार्थी शामिल हुए थे। घोषित परीक्षा परिणाम में इंजीनियरिंग ग्रुप में रानीखेत के नितिन पाठक, पीजीडीसीए ग्रुप में हरिद्वार के आकाश सैनी, होटल मैनेजमेंट ग्रुप में टिहरी के नवीन पंवार, मॉडर्न ऑफिस मैनेजमेंट में हल्द्वानी की अंजलि पाण्डे, फाम्रेसी ग्रुप में पिथौरागढ़ के चन्दन सिंह एवं फैशन एंड डिजाइन में देहरादून की दामिनी मेहता ने प्रथम स्थान हासिल कर टॉपर रहे। परिषद के सचिव डा. मुकेश पाण्डे ने बताया कि प्रवेश परीक्षा में 29, 30 व 31 मई को आयोजित की गई थी। छात्रों की सुविधा के लिए परीक्षा परिणाम को परिषद की वेबसाइट में डाल दिया गया है। प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद परिषद एडमिशन की तैयारियों में जुट गया है। इस संबंध में प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा राकेश शर्मा ने पाठय़क्रम टॉपर इंजीनियरिंग ग्रुप नितिन पाठक (रानीखेत) पीजीडीसीए आकाश सैनी (रुड़की) होटल मैनेजमेंट नवीन पंवार (टिहरी) मॉ. ऑफिस एंड मैनेजमेंट अंजलि पाण्डे (हल्द्वानी) फाम्रेसी चन्दन सिंह (पिथौरागढ़) फैशन एंड डिजाइन दामिनी मेहता (देहरादून)

महाराणा प्रताप स्पोट्स कालेज देहरादून में संविदा के आधार पर भर्ती साक्षात्कार 28 ,29 june 2011

महाराणा प्रताप स्पोट्स कालेज देहरादून में संविदा के आधार पर भर्ती साक्षात्कार 28 ,29 june 2011

निदेशालय उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण , अल्मोड़ा उत्तराखंड में भर्ती बीएसी(जीववि),बीएसी (एजी )अंतिम तिथि०- 30.6.2011

निदेशालय उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण , अल्मोड़ा उत्तराखंड में भर्ती बीएसी(जीववि),बीएसी (एजी )अंतिम तिथि०- 30.6.2011

Sunday 19 June 2011

Uttarakhand public service jobs - divisional Inspector (Provisional) and Assistant Divisional Inspector (Provisional) last date recruitment of 11 jul

उत्तराखंड लोक सेवा मे -सम्भागीय निरीक्षक (प्राविधिक)तथा सहायक सम्भागीय निरीक्षक (प्राविधिक)की भर्ती अंतिम तिथि 11 july 2011

Friday 10 June 2011

उत्तर प्रदेश माध्यिमक संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों मे मंण्डल वार भर्ती (आवेदक सम्पूर्ण भारत से आवेदन कर सकते है

उत्तर प्रदेश माध्यिमक संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों मे मंण्डल वार भर्ती (आवेदक सम्पूर्ण भारत से आवेदन कर सकते है) अंतिम तिथि 30.6.11 मंडल मेरठ,आगरा .मुरादाबाद मेरठ ,मुरादाबाद के लिए नीचे clik करे

Thursday 9 June 2011

मलेथा का ऐतिहासिक सेरा बंजर

कीर्तिनगर -वीर पुरुष माधोसिंह भंडारी के त्याग और बलिदान का प्रतीक मलेथा का ऐतिहासिक सेरा (खेत) इन दिनों सिंचाई विभाग की लापरवाही से बंजर पड़े हैं। ग्रामीणों के सिंचाई विभाग कार्यालय पर तालाबंदी करने के बावजूद भी विभागीय अफसर गहरी नींद में हैं। कीर्तिनगर ब्लॉक के अंतर्गत मलेथा गांव में मौजूद ऐतिहासिक सेरा (खेत) हैं, कहा जाता है कि इन खेतों को हरा-भरा करने के लिए माधव सिंह भंडारी ने गूल का निर्माण किया था। इस दौरान उन्हें अपने पुत्र की बलि भी देनी पड़ी थी। गूल ऐसी बनाई गई है कि यहां कभी पानी की कमी नहीं होती थी, खेत बारह महीने हरा- भरा रहा करते थे। अब बीआरओ के गूल (नहर) क्षतिग्रस्त करने से बंजर पड़े है। हालांकि बीआरओ ने नहर की मरम्मत करने के लिए सिंचाई विभाग को धन भी उपलब्ध कराया पर सिंचाई विभाग के अफसर इसके लिए कतई गंभीर नहीं हैं। अच्छी उपजाऊ भूमि होने के कारण यहां सालभर में तीन फसल उगाई जाती थी। इनमें गेहूं,चीणा व धान मुख्य फसल हैं। पर विगत कुछ माह पूर्व बीआरओ ने सड़क बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण कार्य किया इस दौरान यहां की ऐतिहासिक नहर क्षतिग्रस्त हो गयी थी। इस नहर की मरम्मत व नव निर्माण के लिए बीआरओ ने माह फरवरी 2010 में सिंचाई विभाग को 29 लाख रुपये भी दिये थे, लेकिन सिंचाई विभाग के ने एक साल से अधिक का समय बीतने के बाद भी आज तक काश्तकारों को सिंचाई के लिए कोई स्थायी व्यवस्था उपलब्ध नही करवायी गयी। इसका परिणाम यह हुआ कि काश्तकारों को सिंचाई के अभाव में गेहूं की पैदावार में काफी नुकसान हुआ। इसके अलावा अप्रैल में बोई जाने वाली चीणा व उड़द दाल की फसल से भी काश्तकारों को हाथ धोना पड़ा। मलेथा निवासी सोवन सिंह, रिखेश्वरी देवी, दुर्गा देवी, रघुबीर सिंह नेगी तथा ग्राम प्रधान सीता देवी का कहना है कि उनके जीवन में आज तक पहली बार ऐसा हुआ है जब इस समय यह भूमि बंजर पड़ी दिख रही है। ग्रामीणों ने बताया कि 14 मई से धान की पौध के लिए बीज बोया जाता था, लेकिन अब इसका समय बीत जाने के बाद व विभागीय कार्यशैली से लगता है कि इस बार धान की फसल से भी काश्तकारों को हाथ धोना पड़ सकता है। 'सिंचाई के लिए जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। नहर निर्माण कार्य भी दस दिन में पूर्ण होने के बाद काश्तकारों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा' विजय आर्य अवर अभियन्ता सिंचाई विभाग

तो खैरालिंग में बंद होगी पशुबलि

पौड़ी गढ़वाल, : देर से ही सही, लेकिन पहाड़ के लोग भी समझने लगे हैं कि निरीह पशुओं की मंदिर में बलि देकर उनका भला होने वाला नहीं है। यही कारण है कि ऐतिहासिक खैरालिंग में पिछले कुछ सालों में तेजी से पशु बलि का ग्राफ घटा है। लोग भी समझने लगे हैं कि पशु बलि के बजाय फूल व दूध का चढ़ावा देकर भी भगवान को खुश किया जा सकता है। वर्ष 2005 में पशु बलि के तीव्र विरोध के बाद से यहां होने वाली पशु बलि काफी कम हो चुकी हैं। पौड़ी के करीब ब्लाक कल्जीखाल की पट्टी असवालस्यूं के ऐतिहासिक खैरालिंग (मुंडनेश्वर) मेले में निरीह पशुओं की बलि की वर्षो पुरानी परंपरा है। बताते चलें कि मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का लिंग स्थापित है और इसके प्रवेश द्वार पर काली की एक प्रतिमा स्थापित है। इसे महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा जाता है। लोग सालों से काली को खुश करने के लिए नर भैंसे व बकरों की बलि देते आए हैं। लोगों का विश्वास है कि यहां बलि देने से नव ग्रहों की शांति होती है। सालों से इसी विश्वास को मानते हुए कल्जीखाल ब्लाक की 86 ग्राम सभाओं व आस-पास की पट्टियों के सैकड़ों गांवों के साथ ही इन क्षेत्रों से दिल्ली, मुंबई समेत अन्य शहरों में बसे अप्रवासी भी मेले पर गांव में आकर बलि देते हैं। एक समय ऐसा भी था, कि जब इस मंदिर में दो दर्जन नर भैंसों व सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती थी। गौरतलब है कि वर्ष 2005 में यहां बलि रोकने की दिशा में प्रशासन ने काफी प्रयास किए और तब बलि विरोधी संस्थाओं और ग्रामीणों के बीच तीखी झड़प हुई थी। ग्रामीणों ने इसके विरोध में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक दर्शन लाल चित्रांण को लोगों ने बंधक बना लिया और पुलिस का एक वाहन भी जला दिया। हालांकि इसके बाद से लोगों में तेजी से बदलाव आया है। वर्तमान में यहां हर साल एक या दो नर भैंसों की ही बलि होती है। उम्मीद है कि इस साल 8 व 9 जून को होने वाले मेले में बलि समाप्त भी हो सकती है। गांव के लोग अब दूध और फूल से ही देवी की पूजा करेंगे ऐसा ग्राम सभाओं की बैठकों में भी तय किया गया। हालांकि बताया जा रहा है कि इस साल भी खैरालिंग में एक नर भैंसे की बलि देने के लिए बरेली से एक प्रवासी परिवार पहुंच रहा है। ग्राम सूला के इस परिवार को फिलहाल ग्रामीणों की ओर से समझाया जा रहा है। 'क्षेत्र की ग्राम सभाओं व जन प्रतिनिधियों की बैठक हो चुकी है। ग्रामीण बलि बंद करने के लिए तैयार हैं। अब यह मेला विकास मेले के रूप में आयोजित किया जाएगा। दिलीप जावलकर, जिलाधिकारी पौड़ी। खैरालिंग में बलि बंद करने को ग्रामीण स्वयं ही वातावरण तैयार कर रहे हैं, लेकिन बाहर से आने वाली संस्थाएं लोगों को कानून की धौंस देते हैं और ऐसे में ग्रामीण इसे प्रतिष्ठा का विषय मानकर जबरन मंदिर में बलि देते हैं। संस्थाओं की श्रेय पाने की होड़ बंद होनी चाहिए। सुरेश चन्द्र सिंह नेगी, अध्यक्ष मुंडनेश्वर मेला समिति, पौड़ी। इनसेट- वर्ष पशुबलि 2007 - 03 2008 - 02 2009 - 01 2010 - 01

केंद्रीय टीम पहुंची धारी देवी मंदिर

श्रीनगर गढ़वाल, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय निरीक्षण कमेटी ने मंगलवार को प्रात: धारी देवी मंदिर पहुंचकर पुजारियों, क्षेत्र की जनता से वार्ता करने के साथ ही धारी देवी मंदिर की प्राचीनता के बारे में जानकारियां लीं। धारी देवी मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ भी उन्होंने वार्ता की। धारी देवी मंदिर परिसर में बहुत बड़ी संख्या में परियोजना समर्थक भी पहुंचे थे। उनसे भी कमेटी ने बात की। परियोजना के डेम साइट का भी विस्तार से निरीक्षण किया। मंगलवार को तड़के केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की निरीक्षण टीम के तीनों सदस्य डॉ. संचिता जिंदल, डॉ. नयनज्योत लहरी और डॉ. दास श्रीनगर से लगभग 13 किमी दूर धारी देवी मंदिर पहुंचे। मंदिर समिति के अध्यक्ष विश्वेश्वर पांडे, सचिव विवेक पांडे, पंडित मनीष पांडे, पंडित आशीष पांडे के साथ मंदिर सौंदर्यीकरण के मुद्दे पर उन्होंने विस्तार से वार्ता की। धारी देवी मंदिर की प्राचीनता के बारे में भी जानकारियां लीं। मंदिर समिति के पदाधिकारियों का कहना था कि परियोजना बनाने के लिए यदि मंदिर सौंदर्यीकरण अंतिम विकल्प है तो मंदिर को ऊंचाई पर उठाने के लिए वहां पर मिट्टी बोल्डर डालकर उठाया जाय। मां भगवती का मंदिर जमीन से जुड़ा होना चाहिए। मंदिर सौंदर्यीकरण को लेकर मापदंडों के अनुसार कार्य हो जिसके लिए मॉनिटरिंग कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही मंदिर समिति के लोग भी हों। प्रदेश के पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि परियोजना का निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर वह स्वयं भूख हड़ताल करेंगे। आनंद लाल ने कहा कि परियोजना के विरोध में उसे गुमराह कर उसके हस्ताक्षर लिए गए। इसके बाद कमेटी के सदस्यों ने कोटेश्वर में आकर डेम साइट का निरीक्षण किया। जीवीके कंपनी के मुख्य कार्यकारी निदेशक प्रसन्ना रेड्डी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष रेड्डी और ए बहादुर ने जानकारियां दीं। थापली पहुंचकर कमेटी के सदस्यों ने प्रभावित गांवों की जनता से वार्ता की। बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं और पुरुषों का कहना था कि परियोजना का निर्माण कार्य तुरंत शुरू किया जाय। राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट ने भी परियोजना का निर्माण कार्य तुरंत शुरू करने पर बल दिया। उमा के विरोध को लोगों ने गैर जिम्मेदार बताया। प्रकृति पर्यावरण संस्थान की अध्यक्ष बीना चौधरी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कमेटी के सदस्यों से भेंट कर धारी देवी मंदिर को डूब क्षेत्र से बचाने का अनुरोध किया।

Wednesday 8 June 2011

पहाड़ पर दौडेगी हाइटेक बस

अब पहाड़ी रूटों का सफर वाकई सुहाना होने वाला है। पहली बार पर्वतीय मार्गों पर डीलक्स बसें फर्राटा भरेंगी। ऐसी 20 बसों को आइएसबीटी से विभिन्न रूटों के लिए रवाना कर किया गया। इनका किराया सामान्य श्रेणी की बसों से महज 25 फीसदी अधिक रहेगा। मंगलवार को परिवहन मंत्री बंशीधर भगत ने आइएसबीटी से 10 पर्वतीय जिलों के लिए 20 हाइटेक बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिलों के लोग लंबे से हाइटेक बस सेवा की मांग करते रहे हैं। ये बसें जिला मुख्यालयों को सीधा राजधानी से जोड़ेंगी। परिवहन मंत्री ने उम्मीद जताई कि डीलक्स बसों से यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी। जल्द पहाड़ के लिए 80 सामान्य बसें भी चलाई जाएंगी। परिवहन निगम के महाप्रबंधक (तकनीकी) दीपक जैन ने बताया कि हर जिले में दो डीलक्स बसें चलाई जाएंगी। इनमें सर्दियों में हीटिंग सिस्टम की भी व्यवस्था रहेगी। इनका किराया भी खास अधिक नहीं है। यात्रियों को हाइटेक बसों में सफर के लिए सामान्य श्रेणी की बसों के मुकाबले केवल 25 फीसदी अधिक किराया देना होगा। उन्होंने बताया कि मैदानी क्षेत्रों के लिए जो 80 नई बसें आनी थीं, उसमें से 25 परिवहन निगम के बेड़े में शामिल हो गई हैं। इस अवसर पर परिवहन निगम के अध्यक्ष एसके मुट्टू, भाजपा महानगर अध्यक्ष पुनीत मित्तल आदि उपस्थित थे। यहां चलेंगी दो-दो डीलक्स बसें उत्तरकाशी, पौड़ी, गोपेश्वर, नई टिहरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, चंपावत, पिथौरागढ़।

मायावती की हां-ना पर टिकी रणनीति

भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को हिलाने के लिये बाबा रामदेव का आंदोलन अब नोएडा पर केंद्रित हो सकता है। आंदोलन के नए ठिकाने को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की हां-ना का इंतजार है। महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश के गृह सचिव का कहना है कि अगर बाबा रामदेव की तरफ से इस तरह का कोई अनुरोध किया जाता है तो सरकार इस पर विचार करेगी। रविवार को दिल्ली और उप्र सीमा से लौटाए जाने के बाद बाबा ने फिलहाल पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में अपना अनशन जारी रखा हुआ है लेकिन उनका मन नोएडा में ही लगा है। रविवार के बाद सोमवार को भी उन्होंने पत्रकारों और अपने कार्यकर्ताओं, समर्थकों से बातचीत में इस मुद्दे पर उप्र की मुख्यमंत्री से एक-दो दिन में बात करने की इच्छा दोहराई। जब उनसे ये जानना चाहा गया कि क्या उनकी बात बसपा सुप्रीमो मायावती से हुई, तो उनका जवाब था कि नहीं। साफ है कि मायावती की 'हांÓ होना अभी बाकी है और बाबा को उसका बेसब्री से इंतजार है क्योंकि यह उनके आंदोलन को धार देने का नया जरिया बन सकती है। हालांकि इस बीच ये भी चर्चा रही कि बाबा ने आंदोलन को हरियाणा में अपने पैतृक निवास स्थान पर चालू करने की सोची लेकिन हरियाणा की हुड्डा सरकार के इनकार से यह बात सोच से आगे न बढ़ सकी। इसके बाद बाबा रामदेव के लिए अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए नोएडा ही एकमात्र विकल्प बचता है। वैसे भी बाबा रामदेव ने रविवार को इस बात का खुला ऐलान किया था कि उनका आंदोलन दिल्ली के आस-पास दिल्ली की ही तरह तर्ज पर चलाया जाएगा। कहां, ये उन्होंने बाद में बताने को कहा था। अपनी इसी इच्छा को लेकर रविवार शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से लगभग एक घंटे की एकांत वार्ता के बाद वे अचानक से सड़क मार्ग द्वारा दिल्ली की ओर निकल भी पड़े थे। हालांकि कुछ घंटों बाद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर प्रशासन द्वारा लौटाए जाने के बाद बाबा ने देर शाम पतंजलि योगपीठ में यह कहते हुए अपना अनशन फिर से शुरू कर दिया कि एक-दो दिन वे मायावती से बात करने के बाद नोएडा जायेंगे। इतना सब होने के बाद भी बाबा ने बसपा के प्रति काफी नरम रुख अपनाया हुआ है। जाहिर है कि बसपा या मायावती के खिलाफ बोलकर वे अपने आंदोलन की नई रणनीति को बनने से पहले बिगडऩे नहीं देना चाहते। उधर, लखनऊ के मुताबिक उत्तर प्रदेश के गृह सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि अगर बाबा रामदेव की तरफ सेउप्र में अनशन करने का कोई अनुरोध पत्र राज्य सरकार को दिया जाता है तो सरकार उस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक बाबा रामदेव ने उप्र सरकार को कोई अनुरोध पत्र नहीं दिया है। इस सवाल पर कि उन्हें फिर कल मुजफ्फरनगर जिले से क्यों वापस लौटा दिया गया, नोएडा में उन्हें अनशन शुरू करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, गृह सचिव ने कहा कि रविवार को बाबा को वापस करने का फैसला मुजफ्फरनगर प्रशासन का था। मुजफ्फरनगर प्रशासन ने उन्हें स्पष्ट किया कि धरना-प्रदर्शन के लिए यहां पूर्व अनुमति जरूरी होती है, बिना पूर्व अनुमति के कोई धरना शुरू नहीं कर सकता। इसके बाद बाबा रामदेव लौट गए थे। इसके बाद से अभी तक बाबा रामदेव की ओर से प्रदेश में अनशन करने को लेकर कोई आग्रह नहीं किया गया है। इस सवाल पर कि बाबा रामदेव ने क्या मुख्यमंत्री से कोई बात की है, गृह सचिव दीपक कुमार का कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह सिर्फ इतना कह सकते हैं कि बाबा रामदेव की ओर से कोई आवेदन आता है तो उस पर विचार किया जाएगा।

Tuesday 7 June 2011

ENTRANCE EXAMINATION (AIEEE - 2011) RESULT CLICKDOWN

http://cbseresults।nic.in/aieee/cbseaieee.

पढ़ाई ही नहीं, खेलों में भी फिसड्डी हैं सरकारी स्कूल

पढ़ाई ही नहीं, खेलों में भी फिसड्डी हैं सरकारी स्कूल महज खानापूर्ति हो रही है सरकारी स्कूलों में । सरकारी स्कूल महज मास्टर लोगों की रोजी-रोटी के साधन बन कर रह गए हैं। पढ़ाई ही नहीं दूसरी गतिविधियों में इन स्कूलों की भूमिका सिफर ही है। बोर्ड परीक्षा के परिणामों ने देहरादून जैसे विविख्यात शिक्षा के केंद्र की आंखें खोल दी हैं। देहरादून के सरकारी स्कूलों का सिर शर्म से झुक गया है। मामला सिर्फ पढ़ाई का नहीं है, शिक्षक बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन भरपूर स्टाफ होने के बाद भी यहां खेल व दूसरी गतिविधियों का परिणाम भी कुछ ऐसा ही है। इन मदों में पैसा जमकर खर्च होता है, लेकिन उपलब्धि करीब-करीब शून्य ही है। सोमवार को उत्तराखंड में 10वीं 12वीं के बोर्ड परिणाम घोषित किए गए। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाला दून सरकारी स्कूलों के चलते अपनी पहचान दिनों दिन खोता जा रहा है। इस साल भी यहां का बोर्ड परिणाम कुछ खास नहीं रहा है। वैसे तो सरकारी स्कूलों के मास्टर अपने-अपने स्कूलों को हर गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। पढ़ाई के अलावा खेल, सांस्कृतिक समारोह या जीके प्रतियोगिता हो इसमें भी सरकारी स्कूलों के छात्र फिसड्डी साबित हुए हैं। इन स्कूलों के अलावा दून के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों के छात्र हर गतिविधियों में वास्तव में अव्वल स्थान बनाए हुए हैं। खेल हो जीके प्रतियोगिता उनके नाम गोल्ड ही आया है। हाल ही में आईसीएसई, सीबीएसई के परिणाम घोषित हुए थे उसमें भी दून के प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने टॉप किया। सरकारी स्कूलों में इतना पैसा खर्च करने के बावजूद यहां के छात्र पीछे ही रह जाते हैं। सही मायने में देखा जाये तो प्राइवेट स्कूलों में छात्रों से अधिक पैसा वसूला जाता है, लेकिन सरकारी स्कूलों में सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं छात्रों तक नहीं पहुंच पातीं शायद इसलिए ही प्राइवेट स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूल हमेशा से ही पीछे रहा है। राष्ट्रीय स्कूल की खेल प्रतियोगिताओं में भी सरकारी स्कूलों के छात्रों को न के बराबर प्रोत्साहित किया जाता है। जिसके चलते गिने-चुने ही सरकारी स्कूलों छात्र प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक अपने नाम कर पाते हैं, इनके अलावा प्राइवेट स्कूलों के छात्र लगभग सभी खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपना डंका पिटते नजर आए हैं। पढ़ाई हो या खेल राज्य सरकार केवल अपनी डींगे हांकती रही है। जबकि देखा जाय तो सरकारी स्कलों में छात्रों की ओर से किसी का ध्यान आकषिर्त नहीं है। स्कूलों में बैठे मास्टर भी केवल अपनी नौकरी पूरा करना चाहते हैं। श्रीगुरु राम राय इंटर कालेज नेहरूग्राम के खेल अध्यापक रमाशंकर शर्मा ने कहा कि राजकीय स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों के छात्र सभी गतिविधियों में ज्यादा सफल रहते हैं। उनका मानना है कि सरकारी स्कूलों में अधिक कार्य होने के बावूजद अन्य काम भी सौंप दिए जाते हैं। स्कूलों में कम संख्या होने पर टीचर्स के ट्रांसफर भी कर दिये जाते हैं। साई कोच पीके महषर्ि का मानना है कि अधिकतर सरकारी स्कूल दूर होते हैं, स्कूल दूर होने की वजह से छात्र थक जाते हैं, जिसके कारण खेल तो दूर की बात बच्चे पढ़ने में भी हिचकिचाते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए बच्चों की शारीरिक फिटनेस बहुत जरूरी है, जिसके लिए बच्चों का खेलना अत्यंत जरूरी है। शरीर फिट रहेगा तो मानसिक तनाव भी दूर होंगे। महषर्ि का यह भी कहना है कि गरीब तबके के लोग ट्यूशन नहीं पढ़ पाते जिसकी वजह से उन्हें सर्वाधिक अंक लाने में भी परेशानी होती है, प्राइवेट स्कू लों में पढ़ने वाले छात्रों को आर्थिक समस्या कम होती है।

शहरों में पढ़ाते नहीं गुरुजी!

गुरु जी को नौकरी घर के नजदीक चाहिए, पर पढ़ाई का लोड उठाने को कतई नहीं हैं तैयार। दायित्वबोध तो जैसे भूल ही गए हैं। शहरी इलाकों के गुरुजी शायद, यही सोच नौकरी बजा रहे हैं कि उनकी तो एप्रोच है, पढ़ाई से उन्हें क्या लेना-देना। चौंकिए नहीं जनाब! यही सच है और इसे बयां कर रहा है उत्तराखंड बोर्ड का रिजल्ट। शहरी इलाकों के स्कूल मेरिट में बस, नाम दर्ज करा सके, इसके उलट पहाड़ी इलाकों का खूब जलवा रहा। टाप टेन में ये भारी पड़े। इंटरमीडिएट और हाईस्कूल की मेरिट लिस्ट बुद्धिजीवियों को यह सोचने को विवश कर रही है कि शहरों में क्या मास्साब पढ़ा नहीं रहे हैं। अगर, यह सही नहीं तो फिर यहां से टेलेंट क्यों उभर कर सामने नहीं आ रहा। शहरी इलाकों के स्कूल मेरिट और ओवरआल परफारमेंस के इस मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुए हैं। वह भी तब जबकि इन इलाकों में न केवल मानव संसाधन सरप्लस हैं, बल्कि दूसरी बुनियादी सुविधाओं के टोटे जैसे हालात भी नहीं हैं। मेरिट में उन स्कूलों ने बाजी मारी, जहां विषय शिक्षक न होने के कारण एक ही टीचर दो-तीन विषयों की पढ़ाई करवा रहे हैं। बोर्ड परीक्षाओं में पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चमोली और अल्मोड़ा उम्मीदों से बढ़कर परफार्म ही नहीं किया, बल्कि शहरों को आइना दिखाया है। राजधानी देहरादून, जिसे कि एजुकेशन हब के नाम से जाना जाता है, हाईस्कूल की मेरिट में टाप टेन में जगह तक नहीं बना पाया। इंटर के 62 मेधावी बच्चों में बामुश्किल एक स्थान बना पाया। हरिद्वार भी इसी राह पर चला। यह हालात तब हैं जब सरकार की इन पर चौबीसों घंटे नजर टिकी है। उसकी नाक के नीचे चल रहे इन स्कूलों में वैल क्वालीफाइड स्टाफ है, टीचर मानक से ज्यादा हैं, छात्र-शिक्षक अनुपात भी आदर्श, सुविधाओं में बाकी को मात दे रहे और इलाका भी अति सुगम। फिर भी रिजल्ट देखकर सिर चकराए तो इसे क्या कहेंगे..। परफारमेंस के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि सरकारी स्कूलों के गुरुजी कुछ ज्यादा ही आरामतलब होते जा रहे हैं। कुल संख्या के तीन चौथाई शिक्षक पूरे साल गांवों से शहरों में आने के लिए दांव-पेच भिड़ाते हैं। मकसद, उनका इतना भर कि नौकरी बजाने में जरा भी तकलीफ न हो। इसके लिए उन्होंने एप्रोच को बना रहे हैं हथियार। पहले गांव से शहर आ के लिए और फिर आराम से नौकरी बजाने में एप्रोच का गुरु जी बड़ी ही चतुराई से इस्तेमाल करने लगे हैं। टोका टोकी की भी जल्दी से किसी की हिम्मत नहीं होती, फिर क्या गुरुजी की तो मौज ही मौज.. । ऐसे में बेचारे बच्चों का क्या होगा, इससे गुरुजी को जैसे कोई खास सरोकार ही नहीं।

Uttarakhand Board Class X Class XII Exam rsult

|उत्‍तराखंड माध्यिमिक शिक्षा बोर्ड ने सोमवार को 10वीं और 12वीं कक्षा के नतीजे घोषित किए। see- http://www.indiaresults.com सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 12वीं के नतीजों में 75.80 ने सफलता प्राप्‍त की। 10वीं में 68.14 % स्‍टूडेंट ने सफलता प्राप्‍त की। इस बार उत्‍तराखंड में हुई परीक्षाओं में 3 लाख छात्रों ने भाग लिया था। काशीपुर के सरस्‍वती स्‍कूल के निशांत कौशिक ने 94.60 % अंकों के साथ 10वीं में राज्‍य में पहला स्‍थान प्राप्‍त किया है। अल्‍मोड़ा से विवेकानंद इंटर कॉलेज की नीलम बिष्‍ट ने 94.4 % अंकों के साथ लड़कियों में राज्‍य में पहला स्‍थान हासिल किया। भारती शहीद सैनिक नैनीताल स्‍कूल के कंचक कुमार ने 95.20 % अंकों के साथ 12वीं में राज्‍य में पहला स्‍थान हासिल किया। कोटवार के सरस्‍वती मंदिर की अंकिता बोरा ने 95. 20 % अंकों के साथ लड़कियों के साथ पहला स्‍थान हासिल किया।

Monday 6 June 2011

साधु से ’शैतानी‘ पर देवभूमि ’पानी-पानी‘

। भ्रष्टाचार व विदेशी बैंकों में जमा कालेधन की वापसी की मांग को लेकर गांधी पार्क में भारत स्वाभिमान ट्रस्ट व पतंजलि योग समिति का उपवास दूसरे दिन भी जारी रहा। इस मौके पर बाबा रामदेव व उनके भक्तों के साथ पुलिस के व्यवहार की कड़ी निन्दा की गई। साथ ही दिल्ली से दून पहुंचे कार्यकर्ताओं का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया गया। रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव की गिरफ्तारी व उपवास पर बैठे लोगों के साथ पुलिस बर्बरता की खबर जैसे ही दून में बाबा के समर्थन में अनशन पर बैठे लोगों को मिली आक्रोश फैल गया। सुबह से ही विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक संगठनों का गांधी पार्क में आने का सिलसिला शुरू हो गया। दूसरे दिन भी भारत स्वाभिमान के 20 कार्यकर्ताओं ने अपना उपवास जारी रखा। इसके अलावा क्रमिक अनशन पर बड़ी संख्या में आम लोग भी बैठे। भारत स्वाभिमान के मीडिया प्रभारी लोकेश बहुगुणा ने बताया कि रात को दिल्ली की घटना के बाद से ही सभी पदाधिकारी एवं सत्याग्रही काफी गुस्से में थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में भारत स्वाभिमान का सत्याग्रह चल रहा है और जब तक बाबा स्वयं इस सत्याग्रह की समाप्ति की घोषणा नहीं करते तब तक यह सत्याग्रह चलता रहेगा। दिल्ली में हुई घटना के बाद गांधी पार्क में सभा को संबोधित करते हुए भारत स्वाभिमान के प्रदेश अध्यक्ष मोहन जोशी ने कहा कि यह स्वामी रामदेव का शान्ति पूर्ण आन्दोलन है। यह आन्दोलन किसी भी पार्टी के खिलाफ नहीं है। उन्होंने सभी को शांति व्यवस्थता बनाए रखने को कहा। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सत्याग्रह स्थल पर पहुंच कर सत्याग्रहियों की हौसला अफजाई की। पूर्व खेल मंत्री नारायण सिंह राणा, राकेश ओबराय सत्याग्रह स्थल पर पहुँचे। अभिनव गुप्ता, पीयूष अग्रवाल, कुलदीप स्वेडिया, संजय नलू महासचिव वाल्मीकि संगठन, धाद संगठन के अध्यक्ष लोकेश नवानी, उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी की सुशीला ध्यानी, सामाजिक कार्यकर्ता सुलोचना भट्ट, सैयद मुहम्मद खालिद, राजेन्द्र कोठियाल , संजय भट्ट सहित बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों ने धरना स्थल पर पहुंच कर अपने विचार व्यक्त किए और दिल्ली में हुई बर्बर पुलिस कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को जमकर कोसा। इस अवसर पर भारत स्वाभिमान के संरक्षक केके अग्रवाल, दीपा शर्मा, बीसी ओली, मनीष देव, कमल किशोर राणा सहित बड़ी संख्या में भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े लोग उपस्थित थे। टीवी से चिपके रहे बाबा के समर्थक दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव की गिरफ्तारी व उपवास पर बैठे हजारों लोगों के साथ पुलिस बर्बरता की खबर ने दून में भी हलचल मचाई। इस घटना के बाद बाबा से जुड़ी पल-पल की जानकारी के लिए गांधी पार्क में लगाए गए टेलीविजन से जोड़कर एक बड़ी स्क्रीन लगाई गई। उपवास व क्रमिक अनशन पर बैठे लोग दिनभर बाबा से जुड़ी खबरें देखते रहे। भक्तों ने बाबा की हरिद्वार में हुई प्रेस कॉन्फ्रेस का भी सीधा प्रसारण देखा। बाबा ने रविवार व सोमवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है। दिल्ली की घटना के बाद बाबा के समर्थन में अखिल भारतीय भ्रष्टाचार एवं अपराध निवारण परिषद, वीर सावरकर संगठन, उत्तरांचल स्थानीय निकाय स्वास्थ्य संघ, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन सहित कई संगठनों ने बाबा रामदेव के आन्दोलन को अपना समर्थन दिया है। दिल्ली से दून लौटे भक्तों ने सुनाया हाल रामलीला मैदान दिल्ली से लौटे अनशनकारियों ने गांधी पार्क में बाबा के समर्थन में उपवास पर बैठे लोगों को घटना का आंखों देखा हाल बताया तो लोगों ने दांतों तले अंगुली दबा ली। रविवार की दोपहर मुनि वैष्णव, ललिता बंपाल, पुष्पा नेगी व शक्ति प्रभा शर्मा दिल्ली से दून पहुंचीं। सत्याग्रह स्थल पर लोगों ने फूल-माला पहनाकर उनका स्वागत किया। ललिता बंपाल ने बताया कि रात्रि दस बजे बाबा रामदेव ने सभी से कहा कि अब आप लोग सो जाइए, सुबह योग भी करना है। इसके बाद रात के एक बजे हल्ला शुरु हो गया। बाबा रामदेव पुलिस वालों से महिलाओं व बच्चों पर लाठी न चलाने का अनुरोध करते रहे, लेकिन पुलिस वालों ने एक नहीं सुनी। रामलीला मैदान में अफरा तफरी मच गई। उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्रवाई उनके इरादों को डिगा नहीं सकती। वह राजधानी देहरादून में अपना उपवास जारी रखेंगे। सत्याग्रह स्थल पर टेंट उखड़ा रविवार शाम आई आंधी से गांधी पार्क में सत्याग्रह के लिए लगाया गया टेंट उखड़ गया। भारत स्वाभिमान के मीडिया प्रभारी लोकेश बहुगुणा ने बताया कि उपवास पर बैठे लोग रात्रि में भी गांधी पार्क में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि आंधी-तूफान के कारण टेंट उखड़ गया, जिसे ठीक किया जा रहा है। दिल्ली की घटना के बाद आगे का कार्यक्रम भी बाबा रामदेव के निर्देशों के अनुसार तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि काला दिवस मनाने का निर्णय भी बाबा के निर्देशों के बाद लिया जाएगा। पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में उबाल योग गुरु बाबा रामदेव के सत्याग्रह स्थल (दिल्ली) में पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में दून में भी उबाल आ गया है। अनेक संगठनों ने शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे सत्याग्रह पर पुलिस कार्रवाई की तीखी निंदा की। भारतीय जनता पार्टी ने धरना देकर केन्द्र सरकार को जमकर कोसा, जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने केन्द्र सरकार का पुतला फूंक कर अपना गुस्सा उतारा। रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव एवं समर्थकों पर हुए दमन की जानकारी मिलने के बाद दून में विरोध- प्रदर्शन तीव्र हो गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने घंटाघर में एकत्रित होकर केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जमकर प्रदर्शन किया। परिषद नेताओं ने कहा कि महात्मा गांधी के रास्ते पर चलते हुए बाबा रामदेव सत्याग्रह के जरिये भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने व काले धन को वापस लाने की मांग कर रहे थे, लेकिन केन्द्र सरकार ने दमन के जरिये सत्याग्रह को समाप्त कराने का प्रयास कर लोकतंत्र की हत्या की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की कार्रवाई से जाहिर हो गया है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि काला धन वापस आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। पूरा देश बाबा रामदेव के साथ खड़ा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ विद्यार्थी परिषद द्वारा राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक आंदोलन चलाएगा। बाद में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी के बीच केन्द्र सरकार के पुतले को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों में डीएवी के छात्र संघ अध्यक्ष अंशुल चावला, पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र रावत मोनी, आशीष बहुगुणा, मोहित शर्मा, हिमांशु गोगिया, देवेन्द्र सिंह, महेश गुंसाई समते अनेक लोग शालिम थे। वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प. दीनदयाल उपाध्याय पार्क में धरना देकर केन्द्र सरकार को जमकर कोसा। प्रदेश के कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अहिंसात्मक तरीके से काला धन को विदेश से देश में लाने की मांग कर रहे योग गुरु व समर्थकों पर आधी रात को हुई दमनात्मक कार्रवाई ने आपातकाल की यादें ताजा कर दी है। उन्होंने कहा कि सोते हुए बाबा रामदेव के समर्थकों पर लाठीचार्ज कराकर कांग्रेस ने अपना बर्बर चेहरा उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद केन्द्र सरकार व कांग्रेस के आला नेता बौखला कर योग गुरु के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। भाजपा के अन्य नेताओं ने कहा कि भ्रष्टाचार व कांग्रेस एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एक से बढ़कर एक घोटाले व भ्रष्टाचार उजागर हुए हैं। केन्द्र के मंत्री से लेकर अधिकारी तक भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र की कार्रवाई से यह भी साफ हो गया है कि विदेशों में जमा काला धन कांग्रेस से जुड़े लोगों का ही है। इसीलिए कांग्रेस नहीं चाहती है कि काला धन देश में वापस लाये। धरना देने वालों में विधायक गणोश जोशी, भाजपा के महानगर अध्यक्ष पुनीत मित्तल, महामंत्री गोवर्धन भारद्वाज व सुनील उनियाल गामा, प्रदेश कोषाध्यक्ष विनय गोयल, रविन्द्र कटारिया, रविन्द्र जुगरान, संजय गुप्ता, राजेश शर्मा, सचिन गुप्ता, बबीता सहोत्रा, मंजीत सिंह, कमला रावत, श्याम अग्रवाल, मोहित जायसवाल, सत्यपाल वासन समेत अनेक भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे। कांग्रेसियों ने फूंका बाबा का पुतला बाबा रामदेव द्वारा सोनिया गांधी पर निशाना साधे जाने पर कांग्रेसियों ने कड़ा ऐतराज जताया है। नाराज कांग्रेसियों ने किशन नगर चौक पर बाबा का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए प्रदेश सचिव विजय चौहान ने कहा कि बाबा रामदेव भाजपा व आरएसएस के इशारे पर यह आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्याग्रह के नाम पर देश की जनता को भ्रमित किया जा रहा है जबकि केंद्र सरकार बाबा द्वारा उठायी गयी सभी मांगों को मानने के लिए सहमत हो गयी थी। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह महात्मा गांधी की तरह सड़क पर चलाया जाना चाहिए न कि एयरकंडीशन पंडाल में। पुतला फूंकने वालों में अनिल नेगी, लालचंद शर्मा, संजय कनौजिया, सयाद लाट हसन, ममता गुरुंग, अमित रावत, अभिषेक गोयल, मोहन काला, दीपा चौहान, देवेन्द्र सेठी, पार्षद मोहन जोशी सहित दर्जनों की संख्या में लोग मौजूद थे। सत्याग्रह को षडयंत्र के तहत कुचला गया भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार द्वारा योगगुरु बाबा रामदेव के सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने की निंदा की है। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि बाबा रामदेव काला धन, भ्रष्टाचार आदि ज्वलंत मुद्दों को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने एक षडयंत्र के तहत बाबा के सत्याग्रह आंदोलन का दमन किया है। इससे साफ जाहिर है कि केंद्र की यूपीए सरकार किसी भ्रष्टाचार को मिटाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने शनिवार रात्रि को केंद्र सरकार की शह पर पुलिस द्वारा रामलीला मैदान में किए गए बर्बर कृत्य को उन्होंने अलोकतांत्रिक बताया है। रविवार को प्रदेश कार्यालय में आहूत बैठक में मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुंदरलाल उनियाल ने कहा कि केंद्र सरकार की कथनी व करनी में अंतर है। सरकार अघोषित इमरजेंसी का माहौल बनाकर राष्ट्रवादी ताकतों के आंदोलन व शक्तियों को षडयंत्र के तहत समाप्त करने की कोशिश कर रही है। बाबा रामेदव के आंदोलन को कुचलना इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ रामदेव के आंदोलन का पूरा समर्थन करेगा। बैठक में महामंत्री गोविंद सिंह बिष्ट, प्रदेश मीडिया प्रभारी वीके देवरा, देवदत्त आर्य आदि भी उपस्थित रहे। सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ ने भी रामलीला मैदान में हुई बर्बर कार्रवाई की निंदा की है। परिसंघ कार्यालय में आहूत बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष एसएस चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने न सिर्फ बाबा रामेदव व उनके समर्थकों के आंदोलन भड़का आक्रोश बाबा रामदेव व उपवास पर बैठे समर्थकों के साथ पुलिस र्दुव्‍यवहार की निन्दा गांधी पार्क में सत्याग्रह का दूसरा दिन विभिन्न सामाजिक संगठनों ने दिया बाबा को समर्थन जारी रहा सत्याग्रहियों का उपवास व क्रमिक अनशन सत्याग्रह स्थल गांधी पार्क में लगाई गई टेलीविजन स्क्रीन बाबा रामदेव के निर्देशों का होगा पालन अभाविप ने केन्द्र सरकार का पुतला फूंका भाजपा ने भी धरना देकर केन्द्र पर निशाना साधा भारतीय मजदूर संघ ने की निंदा, समर्थन में आंदोलन घंटाघर पर केंद्र सरकार का पुतला फूंकते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता।

हरिद्वार के राघव बने प्रदेश टॉपर

एआईईईई का परिणाम घोषित रिजल्ट आने के बाद विद्यार्थियों के चेहरे खिले )। ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एन्ट्रेंस एग्जाम (एआईईईई) का परिणाम घोषित हो गया है। हरिद्वार के राघव गुप्ता ने आईआईटी-जेईई के बाद एआईईईई में भी अपना जलवा दिखाया। राघव गुप्ता ने स्टेट रैंकिंग में प्रथम स्थान हासिल कर उत्तराखंड के टॉपर बने। वहीं दून की अंजलि विश्वकर्मा ने स्टेट रैंकिंग में ओबीसी वर्ग में टॉपर रही। देहरादून के अलावा पहाड़ के अन्य जनपदों के छात्र-छात्राओं ने भी एआईईईई में शानदार प्रदर्शन किया है। रविवार को एआईईईई का परिणाम को लेकर छात्र-छात्राओं में सुबह से उत्साह का माहौल रहा। दोपहर बाद परिणाम घोषित होते ही छात्रों के चेहरे खिल उठे। बाजी इस बार भी राघव गुप्ता के नाम रही। राघव गुप्ता ने एआईईईई की ऑल इंडिया में 29वां,जबकि उत्तराखंड स्टेट में पहला रैंक हासिल किया। राघव गुप्ता ने 460 में से 322 अंक (89.44) हासिल किए। अरविंद पंत ने स्टेट में पांचवा रैंक, राहुल शर्मा ने 11वां, मयंक गुप्ता ने 12वां, विवेक भान ने 13वां, राजकमल ने 16वां, अर्पित गुप्ता ने 17वां, साहिल सलीम अंसार ने (आरक्षित वर्ग) में 24वां, अजहर ने 25वां, पुलकित गेरा ने 30वां, अभिषेक ममगाई ने 37वां, आशीष कुमार बहुखंडी ने 40वां, रविंद्र सिंह ने 41वां और आशीष पंवार ने 43वां, रैंक हासिल की। आईईटी-जेईई में बाजी मारने वाले अधिकांश छात्रों का जलवा एआईईईई में जलवा दिखाने वाले अधिकांश छात्रों का चयन पहले ही आईआईटी में हो चुका है। एआईईईई के जरिए छात्रों को नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईआईटी, दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय व डीम्ड विश्वविद्यालय की करीब 26816 सीटों एवं प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश ले सकेंगे।

Saturday 4 June 2011

पीजी में प्राइवेट परीक्षा को बाय-बाय

नए सत्र से हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्र्वविद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाओं में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के साथ ही प्राइवेट परीक्षा को बाय-बाय कर रहा है। इससे गढ़वाल के 30 डिग्री शिक्षण संस्थाओं के तकरीबन 26 हजार प्राइवेट परीक्षार्थी संकट में पड़ गए हैं। संकट समाधान को सरकार विकल्प तलाश कर रही है। उत्तराखंड मुक्त विवि को भी यह जिम्मा सौंपने पर मंथन किया जा रहा है। ऐसा होने पर परीक्षार्थियों को बतौर प्राइवेट नहीं, बल्कि डिस्टेंस लर्निग मोड में परीक्षा देनी होगी। केंद्रीय गढ़वाल विवि ने यूजीसी के निर्देशों के मुताबिक नए सत्र से पीजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले से पीजी स्तर पर प्राइवेट परीक्षा खतरे में पड़ गई हैं। विवि नए सत्र में एक ही कक्षा के लिए अलग-अलग परीक्षा व्यवस्थाएं संचालित करने के पक्ष में नहीं है। इससे विवि से अगले सत्र में पीजी कक्षाओं की प्राइवेट परीक्षा देने की तमन्ना पूरी नहीं होगी। अलबत्ता, स्नातक स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होने से फिलहाल स्नातक कक्षाओं की प्राइवेट परीक्षा पर खतरा नहीं है। हालांकि विवि प्रशासन प्राइवेट परीक्षा से कन्नी काटने का इरादा शासन के सामने जाहिर कर चुका है। मुख्य सचिव सुभाष कुमार के साथ बीते दिनों कुलसचिव एसके सिंह की बैठक के दौरान भी यह मुद्दा उठा। शासन के अनुरोध पर स्नातक स्तर पर प्राइवेट परीक्षा नए सत्र में जारी रखने का आश्र्वासन कुलपति दे चुके हैं, लेकिन पीजी स्तर पर समय रहते विकल्प की तलाश करने के उनके सुझाव पर अमल किया जा रहा है। प्राइवेट परीक्षा का दबाव किसकदर है, यह परीक्षार्थियों की संख्या से पता चल जाता है। अंतिम दौर में चल रहे मौजूदा सत्र में एमए और एमकॉम की प्राइवेट परीक्षा में 26475 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए हैं। स्नातक कक्षा के प्राइवेट परीक्षार्थियों को शामिल करने पर यह आंकड़ा 78462 हो जाता है। संपर्क करने पर कुलपति एसके सिंह ने कहा कि नए सत्र में पीजी स्तर पर पहले वर्ष के लिए प्राइवेट परीक्षा नहीं होगी। सिर्फ अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के लिए यह परीक्षा होगी। उधर, सरकार केंद्रीय विवि का दरवाजा बंद होने के बाद प्राइवेट परीक्षा के विकल्प तलाश कर रही है। इसके लिए मुक्त विवि का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। विवि प्रशासन के साथ इस बाबत बैठक हो चुकी है। विवि प्राइवेट परीक्षा संचालित नहीं करेगा। परीक्षार्थियों को डिस्टेंस लर्निग मोड में परीक्षा देनी होगी। फायदा यह होगा कि परीक्षार्थियों को कम फीस में पाठ्यक्रम के मुताबिक किताबें और असाइनमेंट भी मुहैया कराए जाएंगे।

अब गांवों व शहरों के नाम और इतिहास का चलेगा पता

भाषा वैज्ञानिक करेंगे गांवों के नामों पर अध्ययन, पांच सदस्यीय समिति का गठन, आज होगी बैठक स्थान और नाम खुद करते हैं अतीत का खुलासा देहरादून।- निकट भविष्य में उत्तराखंड के लोग यह जान सकेंगे कि उनके गांव या शहर का नाम कैसे पड़ा और इसका क्या इतिहास है। उत्तराखंड भाषा संस्थान प्रदेश के स्थान नामों के भाषा वैज्ञानिक अध्ययन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू कर रहा है। प्रदेश में कुछ भाषाविदों ने कुछ खास इलाकों के स्थान नामों का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन किया है लेकिन अब तक समूचे प्रदेश के स्थान नामों का कोई एक व्यापक व समग्र अध्ययन नहीं हो पाया है। भाषाविद मानते हैं कि स्थान नाम खुद बहुत कुछ कहते हैं अगर उनके विकास और उनकी मौजूदा स्थिति का अध्ययन किया जाए तो इतिहास की कई परतें खुलती हैं। उत्तराखंड में बोली जाने वाली गढ़वाली व कुमाऊंनी बोलियां खस प्राकृत से विकसित हुई हैं। ऐसे में इन स्थान नामों के पीछे इस भाषा के विकास का क्या इतिहास रहा है यह भी अध्ययन किया जाएगा। उत्तराखंड में माना जाता है कि कुछ स्थानों का नाम वहां रहने वाली जातियों के नाम से पड़ा है या जाति नाम ही स्थान नामों से बनी हैं। मसलन नौटी के नौटियाल, सुंद्री के सुंदरियाल, डोभ के डोभाल आदि जातिनाम स्थान नाम से विकसित हुए या जातियों के नाम से स्थानों ने नाम पड़े। भाषाविद यह भी मानते हैं कि मानव समाज का इतिहास घमंतू जातियों का इतिहास भी रहा है। विभिन्न मानव समूह इतिहास की उथलपुथल के बीच एक स्थान से दूसरे स्थान में बसते रहे हैं। इसी लिए उत्तराखंड में बहुत से स्थान एक नाम वाले मिलते हैं मसलन अस्कोट पिथौरागढ़ में भी है तो गढ़वाल में भी, इसी तरह पौड़ी नाम का गांव बागेर जिले में भी है। अब सवाल यह है कि क्या वहीं के लोग किसी ऐतिहासिक राजनैतिक हलचल की वजह से दूसरे स्थान पर पहुंचे या इसकी कोई और वजह है। इसी तरह खांद या खाल वाले स्थान नाम जैसे जड़ाऊखांद, अदालीखाल, सफदरखाल, कद्दूखाल आदि के पीछे क्या उनकी कोई भौगोलिक संरचना वाली विशेषता है। इसी तरह के तमाम सवालों का इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अध्ययन किया जाएगा। उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक डा. सविता मोहन ने बताया कि उत्तराखंड के स्थान ग्राम नामों के भाषा वैज्ञानिक व ऐतिहासिक अध्ययन के लिए भाषाविदों व इतिहासकारों की एक समिति भी बना ली गई है जिसमें डा. केशव दत्त रुबाली, डा. तारादत्त त्रिपाठी, डा. उमा मैठाणी, डा. कल्पना पंत और डॉ. राम विनय सिंह को शामिल किया गया है। इस समिति की पहली बैठक चार जून को हल्द्वानी स्थित उत्तराखंड मुक्त विविद्यालय परिसर में होगी। जिसमें विशेषज्ञों की सलाह से परियोजना का खाका तैयार किया जाएगा।

Friday 3 June 2011

राजनीतिक हलकों में नेगी के इस गीत को लेकर है चर्चा

कमीशन की मीट भात, रिस्बत को रैलो रिस्बत को रैलो रे बसकर भन्डि ना सपोड़ अब कथगा खैल्यो कथगा जि खैल्यो रे यनि घुळुणू रैल्यो, कनुकै पचैल्यो दुख्यरू ह्वे जैल्यो रे कमिसन की.. घुन्ड घुन्डों शिकार सुर्वा कमर कमर भात रे-भात रे भात बासमति भात इथगा खाण पचाण तेरै बसै बात रे मैंगै की मरीं जनता, कनुकै बुथैल्यो रे नयु नयु राज उत्तराखंड आस मा छन लोग-लोग रे बियाणा छन डाम यख, लैन्दा को तेरो जोग कुम्भ नह्येगे भुलू, अब आपदा नह्येल्यो रे नियुकत्यूं की रसमलाई ट्रांसफरूकों हलुवा-हलुवा रे हलुवा सोनहलुवा मालदार विभागुमा तेरा चेलों को जलुवा भन्डि मिट्ठु ना खलौ तौऊं सुगर बढ़ि जालो रे छप्पन डामूकि डडवार कै कैन बांटी बांटी रे बॉटी स्टरडियाकी रबड़ि कथगौन चाटी बारामा चुनौ छ भुलू हैंसल्यो के र्वेल्यो कमिसन को डेंगू रोग सैरि दिल्लीमा फैल्यूं नेता अफसर ल्हीगैनि भोरी भोरि थैल्यू भरिगेनि विदेशी बैंक अब कख कोचैल्यो रे राष्ट्रमंडल खेल टू जी घोटाला-घोटाला रे घोटाला टूजि घोटाला अरबू खरबू को माल लगेयालि छाला ये देसै लाज प्रभो कनुकै बचैल्यो रे।

जाएगी सरकार,, धारों धार( नेगी जी की नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी)

आज नेगी अपनी नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी कर चुके हैं। कितनी मिसालें हैं कि एक गीत ने सरकार पलट दी हो। एक बहुरुपिया जो पचास साल से अधिक समय तक सार्वजनिक जीवन में रहते हुए भी अपना ढोंग बचाने में सफल रहा, नेगी के एक गीत के आगे ढेर हो गया है। गौर फरमाएं कि ये बहुरुपिया कोर्ट से भी नहीं डर रहा है, कोर्ट की तमाम फटकार के बाद भी खून का कतरा देने में उसे अपना ‘ओपन सीक्रेट’ खुलने का डर है। सत्ता तो हर वक्त उसके जेब में ही रही है। बस एक नेगी थे जो इस पर नकेल कस सके। खैर, उसे छोड़िए नेगी की बात करते हैंं। आज नेगी अपनी नई एलबम ‘अब कथगा खैल्यो’ जारी कर चुके हैं। इस अलबम में दो गीत हैं जो सीधे सीधे निशंक और मनमोहन की खबर लेते हैं। दस जनपद की अनुकंपा और किस्मत के धनी मिस्टर सिंह तो शायद नेगी के वार से बच जाएं, लेकिन निशंक बुरे फंसे नजर आ रहे हैं। नेगी ने अपने गीतों में कुंभ, स्टर्डिया जमीन घोटाला, आपदा राहत की लूट, पावर प्रोजेक्ट की बंदरबांट पर कलम चलाई है। बस निशंक का जिक्र ही नहीं किया है। पूछने पर नेगी ने साफ कहा कि नाम क्या लेना किसे पता नहीं है कि कौन खा रहा है? ठीक ही कह रहे हैं नेगी दा आखिर उत्तराखंड में तो बच्चा बच्चा लूट की कहानी बयां कर रहा है। शायद अपनी दुधबोली भूल चुके और संस्कृत में सोचेन वाले, बोलने वाले और समझने वाले निशंक को अपनी दुधबोलियों की बात न सुनाई दे रही हो या हो सकता है कि वो भूल ही चुके हों इस पिछड़ी भाषा को पिनानी की पगड़डियों की तरह। शायद इसीलिए उन्होंने समूह ग से अपनी दुधबोलियों को बाहर का रास्ता दिखा, संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्दा दिया। सॉरी फिर विषय भटक रहा हूं, नौछमी, निंशक को छोड़ते हुए नेगी दा पर आता हूं। नई एलबम में नेगी ने अपने सुपुत्र कविलास के साथ भी एक गीत गाया है। मीडियावलों के कैमरों की खचाखच करती आवाज के बीच कविलास की आवाज पिताजी के साथ गाते हुए खोई हुई सी नजर आई। लेकिन नेगी के साथ उनका बेटा पहली बार सार्वजनिक रूप से गा रहा है ये देखकर अच्छा लगा। अब तक कविलास कोरस ही गा रहे थे। इस तरह यह उनकी पहली प्रस्तुति हुई। एलबम रिलीज होने से पहली चर्चा बटोर चुका है, चुनाव आने वाले हैं लगता यही है कि नौछमी की तरह निशंक की सरकार भी नेगी के वार से धारों धार जा जाएगी। - प्रखर कंडवाल देहरादून पहला गीत कमिशन की मीट भात, रिस्बत को रैलो रिस्बत को रैलो रे बसकर भंडि ना सपोड अब कथगा खैल्यो कथगा जि खैल्यो रे यनि घुलुणे रैल्यो, कनुके पचैल्यो दुख्यारू ह्वे जैल्यो रे, कमिसन की-----------। छप्पन्न ड़ामूकि ड़डवार, कै कैन बांटी-बांटी रे बांटी कै कैन बांटी स्टरडियाकी रबडि, कथगौन चाटी बारामा चुनौ छ भुलू, हैंसल्यो कै र्वेल्यो रे। ------------- राष्ट्रमंडल खेल, टू जी घोटाला-घोटाला रे घोटाला टूजि घोटाला अरबू खरबू को माल लगेयालि छाला ये देसै लाज प्रभो, कनुकै बचैल्यो रे। --------------- दूसरा गीत माछू पाणी पेन्दू नी दिखे पंछी ड़ाला, स्येन्दु नी दिखे लेन्दु छैंच भैजि घूस सब्बि जणदन पर झूट क्यो बोन्न लेन्दू नी दिखे -- बाबु क्या साब क्या मंत्रि संत्रि कै कैका जब्कौण झौला घूसखौरुकि यूनियन बणीछ लोलै लोला सबि एक्कि खोला माछू पाणी पेन्दू नी दिखे

Wednesday 1 June 2011

जलमणि योजना : टॉप सेवन में है उत्तराखंड

पिछले वित्त वर्ष में हासिल किया 711 वाटर प्यूरीफायर स्थापित करने का लक्ष्य प्रदेश भर के 1300 ग्रामीण स्कूलों में वाटर प्यूरीफायर स्थापित करने का प्रस्ताव् देहरादून । अपना प्रदेश उत्तराखंड देश के उन सात राज्यों की कतार में शामिल हो गया है जिन्होंने जलमणि योजना में 100 फीसद या उससे ऊपर भौतिक और वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में कामयाबी पाई है। मजेदार बात यह है कि ग्रामीण स्कूलों में वाटर प्यूरीफायर स्थापित करने की इस योजना का देश के स्तर पर केवल 63.36 फीसद ही लक्ष्य हासिल हो पाया है। पिछले वित्तीय वर्ष में देश में एक लाख वाटर प्यूरीफायर स्थापित करने का लक्ष्य था जिसके विपरीत देश में केवल 63 हजार 360 वाटर प्यूरीफायर ही स्थापित हो पाए। केंद्र की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में सात राज्यों कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु,उत्तराखंड और मिजोरम ने 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। जबकि पांच राज्य बिहार,उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और नागालैंड ने 60 फीसद से ज्यादा लक्ष्य तो प्राप्त किया लेकिन पूरा लक्ष्य पाने में नाकाम रहे। राजस्थान केरल और गोवा ने तो इस मामले में कुछ किया ही नहीं यानी उनकी लक्ष्य प्राप्ति शून्य रही। अब केंद्र ने सभी राज्यों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य अपना 100 फीसद लक्ष्य हासिल करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जलमणि के लिए पूरी वित्तीय सहायता देती है। 2009 में प्रदेश में शुरू हुई जलमणि योजना को पेयजल निगम क्रियान्वित कर रहा है। शुरूआत में प्रदेश में पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चंपावत में ये योजना शुरू की गई थी। प्रमुख सचिव पेयजल उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि जलमणि के तहत प्रदेश में 1300 ग्रामीण स्कूलों में वाटर प्यूरीफायर स्थापित करने का प्रस्ताव है। पिछले वित्तीय वर्ष तक प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों के ग्रामीण स्कूलों में 711 वाटर प्यूरीफायर स्थापित किए जा चुके हैं। जिन पर इसके लिए केंद्र से मिली पूरी रकम यानी 55 .23 लाख रुपये भी खर्च किए जा चुके हैं। इस तरह पेयजल विभाग की ओर से प्रदेश के कुछ प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में स्थापित वाटर फिल्टर न केवल बच्चों की प्यास बुझा रहे हैं बल्कि उन्हें सुरक्षित और साफ पानी भी मुहैया करा रहे हैं। जल निगम ने अब वाटेक्स कंपनी को खुली निविदा के जरिए 2014 तक जलमणि का काम सौंपा है। यह भी कहा गया है कि स्कूलों के हैंड पंपों को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के धन से फोर्स लिफ्ट पंप में बदल दिया जाए और साफ पानी के लिए हैंड पंपों के पास ही टेराफिल फिल्टर स्थापित किए जाएं ताकि बच्चों को हैंडपंप से सीधा साफ व सुरक्षित पेयजल मिल सके।

आस्था की भेंट चढ़ा उत्तराखंड का एक और बांध

उत्तराखंड की पनबिजली की एक और परियोजना अब साध्वी उमा भारती के अनशन की भेंट चढ़ गई। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने श्रीनगर बांध का काम रोकने का आदेश दिया पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने अलकनंदा नदी पर बनाई जा रही 200 मेगावाट क्षमता की श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के काम को रोकने के आदेश दिए हैं। इससे पहले पिछले साल जून में भी केंद्र ने उत्तराखंड की दो परियोजनाओं को पूरी तरह से निरस्त कर दिया था। श्रीनगर-गढ़वाल के समीप 200 मेगावाट क्षमता का जलविद्युत प्रोजेक्ट चल रहा है। बांध के बनने से धारी देवी का मंदिर डूब जाएगा। बांध का निर्माण करीब 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है। यह प्रोजेक्ट 1981 में शुरू हुआ था और करीब 30 साल बाद भी तमाम अड़चनों के कारण पूरा नहीं हो पाया है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 1995 में इस प्रोजक्ट की क्षमता बढ़ाकर 330 मेगावाट करने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इसकी ऊं चाई बढ़ाने पर रोक लगा दी। तब से केवल 200 मेगावाट क्षमता का बिजली घर ही बनाया जा रहा था। उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहे मोहन सिंह गांववासी ने करीब दो साल पहले से इस प्रोजेक्ट के विरोध में जनजागरण अभियान शुरू किया था। उन्हें विश्व हिंदू परिषद और संघ का भी समर्थन मिला। इसके बाद 9 मई से मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने हरिद्वार में आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके कारण केंद्र सरकार को उनके आंदोलन पर विचार करना पड़ा। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में निदेशक संचिता जिंदल की तरफ से जारी निर्देश में निर्माण करनेवाली कंपनी जीवीके से कहा गया है कि वह तुरंत बांध का निर्माण कार्य रोक दे। मंत्री जयराम रमेश ने निर्देश दिया है कि मंत्रालय की एक तकनीकी टीम बांध का दौरा करेगी और तीन हफ्तों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। उसके बाद मंत्रालय बांध के निर्माण कार्य पर अंतिम निर्णय लेगा। रमेश ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र ने अलकनंदा और भागीरथी घाटी में निर्माण की जानेवाली सभी जल विद्युत परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन का काम गत वर्ष आईआईटी रुड़की को सौंपा था। आकलन का काम पूरा हो गया है और इसे इसी हफ्ते के अंत में सार्वजनिक कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की की सिफारिश के आधार पर मंत्रालय उस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि कम से कम प्रत्येक परियोजना से पर्यावरणीय अनापत्ति के लिए जितने पानी के बहाव की आवश्यकता होती है उससे तीन या चार गुना पानी का बहाव निरंतर होता रहे । रमेश ने कहा कि इससे हर समय नदी में जितने पानी के बहाव की जरूरत होगी उतना पानी बहता रहेगा। मालूम हो कि डूब क्षेत्र में आने के कारण धारी देवी मंदिर को नजदीक की पहाड़ी पर पुनर्स्थापित करने का काम भी चल रहा है। नए भव्य मंदिर का निर्माण 2012 तक पूरा जाएगा, लेकिन साध्वी उमा भारती, स्थानीय निवासियों और मोहन सिंह गांववासी का कहना है कि धारी देवी मंदिर शक्ति पीठ है। देवी का स्थान बदला नहीं जा सकता। यह हजारों लोगों की आस्था का सवाल है, इसलिए परियोजना को ही निरस्त किया जाना चाहिए। उमा भारती ने मंगलवार को अपना अनशन इसीलिए तोड़ा। वह चाहती हैं कि बांध को निरस्त किया जाए। इससे पहले साधु समाज, विश्वहिंदू परिषद और आरएसएस के समर्थन से जीडी अग्रवाल के अनशन के कारण जयराम रमेश ने उत्तराखंड की दो परियोजनाओं 385 मेगावाट वाली भैरोंघाटी परियोजना और 480 मेगावाट वाली पाला मनेरी परियोजनाओं को पूरी तरह से रद्द कर दिया था।

आवेदन पत्रों की बिक्री से सरकारी तिजोरी फुल

पीसीएस व एलटी के आवेदन पत्रों की बिक्री से वसूले चार करोड़ 36 लाख रुपये समूह ‘ग’ के लिए 10 करोड़ से अधिक का लक्ष्य निर्धारित आवेदन शुल्क की राशि बढ़ने से आवेदक असमंजस में देहरादून।- पढ़े-लिखे बेरोजगारों को सरकारी महकमों में रोजगार मुहैया कराने के नाम पर प्रदेश में चोखा धंधा चल रहा है। रोजगार के लिए निर्धारित आवेदन पत्रों की ब्रिकी से सरकार की तिजोरी में करोड़ों की राशि जमा हो रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य अधीनस्थ सिविल सेवा (पीसीएस) व एलटी प्रशिक्षित परीक्षा के आवेदन पत्रों की बिक्री से राज्य सरकार के खाते में चार करोड़ से अधिक की राशि जमा हुई है। इनमें पीसीएस के आवेदन पत्रों की बिक्री से सरकारी महकमों ने 66 लाख 80 हजार रुपये और एलटी के आवेदन पत्रों की बिक्री से तीन करोड़ 70 लाख रुपये जुटाए हैं। अगला लक्ष्य है समूह ‘ग’ की सम्मिलित भर्ती प्रक्रिया का। बताया जा रहा है कि समूह ग के आवेदन पत्रों की बिक्री से सरकारी महकमों ने बेरोजगारों (आवेदकों) से 10 करोड़ से अधिक की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है। बेरोजगारों को सरकारी महकमों में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में वर्तमान में समूह ग के अंतर्गत आने वाले दो हजार से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। आवेदकों की बढ़ती संख्या को मद्देनजर प्राविधिक शिक्षा परिषद रुड़की ने आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि चार जून से बढ़ाकर 20 जून तक कर दी है। समूह ग की भर्ती प्रक्रिया से कुछ समय पहले पीसीएस व एलटी परीक्षा के लिए राज्य में आवेदन पत्रों की खूब बिक्री हुई। करीब 16 सौ एलटी प्रशिक्षितों के चयन के लिए प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा लिखित परीक्षा आयोजित की जा चुकी है। जबकि पीसीएस के अंतर्गत आने वाले 171 रिक्त पदों के लिए प्रारम्भिक परीक्षा फिलहाल विचाराधीन है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीसीएस व एलटी के आवेदन पत्रों की बिक्री से सरकार की तिजोरी भरी है। पीसीएस के लिए कुल 32 हजार आवेदन पत्र बिके हैं। पीसीएस के लिए सामान्य, ओबीसी, एससी व एसटी वर्ग के आवेदन पत्रों की बिक्री (निर्धारित शुल्क) से सरकार के खाते में 66 लाख 80 हजार रुपये जमा हुए। इसी तरह शिक्षा विभाग में एलटी प्रशिक्षतों के आवेदन पत्रों की ब्रिकी से तीन करोड़ 70 लाख रुपये जुटाए गए। एलटी के लिए कुल 52 हजार आवेदन पत्रों की बिक्री हुई। इस हिसाब से पीसीएस व एलटी की परीक्षा के लिए परीक्षा शुल्क के तौर पर बेरोजगारों से चार करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपये की राशि वसूली गई। आवेदकों से लिखित परीक्षा के दौरान प्रश्न पुस्तिका, उत्तर पत्रक, प्रवेश पत्र जारी करने व लिखित परीक्षा केंद्र आवंटित करने के लिए आवेदन शुल्क लिया जाता है। लेकिन अभी तक न तो एलटी की लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ और न ही पीसीएस की प्रारम्भिक परीक्षा का मसौदा तैयार हुआ। प्राविधिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों का दावा है कि एलटी की लिखित परीक्षा के नतीजे जल्द घोषित कर दिए जाएंगे। आवेदन पत्रों की बिक्री से सरकारी तिजोरी फुल डाक विभाग भी काट रहा चांदी आवेदन पत्रों की बिक्री से राज्य सरकार ही नहीं भारतीय डाक विभाग भी खूब चांदी काट रहा है। डाक विभाग आवेदन पत्रों की बिक्री के लिए आवेदन शुल्क के अतिरिक्त डाक व्यय वसूलता है। डाक विभाग ने प्रति आवेदन पत्र की बिक्री के लिए 40 रुपये का डाक चार्ज निर्धारित किया है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीसीएस व एलटी के आवेदन पत्रों की बिक्री से डाक विभाग ने भी 32 लाख रुपये का चोखा व्यवसाय किया। पीसीएस के आवेदन पत्रों की बिक्री से विभाग को डाक चाज्रेज के रूप में 11 लाख 20 हजार रुपये और एलटी के आवेदन पत्रों की बिक्री से 20 लाख 80 हजार रुपये वसूले हैं।

समूह ‘ग’ भर्ती के रिक्त पदों आवेदन पत्र स्वीकार किये जाने की अन्तिम तिथि: जून 20, 2011

60 वर्ष की आयु से मजदूरों को मिलेगी पेंशन

श्रम एवं पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में हुई बैठक में हुआ फैसला भवन निर्माण मजदूरों को 150 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी देहरादून - प्रदेश सरकार 60 साल व इससे अधिक उम्र के भवन निर्माण मजदूरों को 150 रुपये मासिक पेंशन देगी। यही नहीं पेंशन का आधा या 100 रुपये महीना पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी। सोमवार को संसदीय कार्य, श्रम एवं पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में संपन्न उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में श्रमिकों के हित में कई फैसले लिए गए। श्रम मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि इस फैसलों से राज्य में काम कर रहे निर्माण मजदूरों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में मदद मिलेगी। बैठक के दौरान श्रम मंत्री ने श्रम विभाग के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए कि वे श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं को लागू करने में किसी भी तरह की कोताही न बरतें और प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं का सौ फीसद लाभ मजदूरों को मिलना सुनिश्चित करें। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि कामगारों को मकान की खरीद या निर्माण में 50 हजार रुपये की अग्रिम राशि की सुविधा दी जाएगी। इसी तरह लकवा, कुष्ठरोग, तपेदिक या दुर्घटना के शिकार निशक्त कामगारों को 150 रुपये मासिक निशक्तता पेंशन और 5000 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। कार्य के दौरान मौत हो जाने पर 50 हजार और सामान्य मृत्यु होने पर आश्रितों को 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। श्रमिकों के उपचार के लिए एक हजार रुपये और दुर्घटना में निशक्त हो जाने पर 5000 रुपये तक की चिकित्सा सहायता दी जाएगी। श्रमिकों के बच्चों को औजार, उपकरण के लिए पांच रुपये की ऋण सुविधा दी जाएगी और महिला कामगारों को प्रसूति के लिए एक हजार रुपये की मदद दी जाएगी। बैठक में श्रम विभाग और बोर्ड के अधिकारियों को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि जून माह में निर्माण श्रमिकों के कल्याणकार्यक्रमों के संबंध में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। और जुलाई में निर्माण बाहुल्य वाले इलाकों में अधिक से अधिक श्रमिकों का पंजीयन कराने के लिए व्यापक स्तर पर मेले आयोजित किए जाएं। बैठक में सचिव न्याय डीपी गैरोला, अपर सचिव वित्त अजरुन सिंह, श्रमायुक्त यूडी चौबे, प्रतिनिधि सदस्य नौशाज अली, बोर्ड सदस्य वीरेंद्र भंडारी, सुंदर लाल उनियाल, वीके नागियान,सदस्य हेमलता जोशी और महेश चंद्र कार्की के अलावा श्रम विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

कुमाऊं में होगा लोक सेवा आयोग का कैंप कार्यालय

हरिद्वार: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने कुमांऊ मंडल के युवाओं को सौगात देते हुए भीमताल में अपना कैंप कार्यालय खोलने का फैसला किया है। आयोग के नए भवन के लिए सरकार ने जमीन भी उपलब्ध करा दी है। अभी तक उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षाओं का आयोजन हरिद्वार में होता है, जिनमें प्रदेश भर के युवा शामिल होते थे। पिछले दस सालों से आयोग की सभी परीक्षाओं की मुख्य परीक्षाएं और साक्षात्कार हरिद्वार में ही आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा आयोग से परीक्षाएं संबंधी जानकारी लेने के लिए भी प्रदेश भर के युवा हरिद्वार ही आते थे। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी कुमांऊ मंडल के युवाओं को होती थी। क्योंकि कुमांऊ मंडल के युवाओं के लिए हरिद्वार आना बेहद खर्चीला होता था। एक तो सफर का खर्च और दूसरा हरिद्वार में ठहरने का खर्च युवाओं की जेब काफी ढीली करता है। ऐसे में आयोग ने अब कुमांऊ के युवाओं को तौहफा देते हुए भीमताल में अपना कैंप कार्यालय बनाने की योजना बनाई है।