Sunday 3 April 2011

छोटे सुर की लंबी तान

श्रीनगर - इन दिनों सोहन लाल अमेरिका जाने की तैयारी में व्यस्त हैं। अपने बड़े भाई सुकारु के साथ वे सात समंदर पार के लिए यात्रा की औपचारिकताएं पूरी करने में जुटे हैं। उत्साह से लबरेज सोहन में थोड़ा सा संकोच है और मन में कुछ सवाल। न अपनी भाषा और न अपना देश यानि परदेश। फिर भी एक तार उनके दिल में झंकृत है। संगीत का तार। संगीत की भाषा तो दूसरी नहीं है। सुर दिल से निकलते हैं और दिल की जुबां दुनिया खूब समझती है। ये सोहन लाल हैं कौन? चलिए पहले परिचय हो जाए। टिहरी जिले के पुजार गांव के सोहन विवाह समारोह में ढोल बजाते हैं। अब अमेरिका की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी ने दोनों भाइयों को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में आमंत्रित किया है। इस दौरान वे करीब तीन माह तक वहां रहेंगे। यानि छोटे सुर की लंबी तान। बेशक पूरब में पश्चिमी हवाओं का असर है, लेकिन पश्चिम को हमेशा ही पूरब की लाली भाती है। सोहन लाल और सुकारु दास पूरब की इसी लाली के प्रतीक हैं। सालों से बारातों में ढोल बजा रहे दोनों भाइयों के हुनर के कद्रदान इलाके में बहुत हैं, लेकिन उन्हें वह पहचान नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। गढ़वाल के प्रसिद्ध ग्रंथ ढोल सागर के ज्ञाता दोनों भाइयों को थोड़ी पहचान मिली वर्ष 2002 में। जब उन्होंने दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में अपने हुनर का प्रदर्शन किया। सोहन और सुकारू के लिए साल 2009 टर्निग प्वाइंट साबित हुआ। इस वर्ष सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफान सिओल ढोल सागर पर शोध करने सोहनलाल के घर पहंुचे। जागर और ताल के संग्रह ढोलसागर 1932 में पौड़ी के ब्रह्मानंद थपलियाल ने तैयार किया था। स्टीफान ढोलसागर के विद्वान सोहनलाल के शिष्य बने। तीन माह इनके साथ बिताने के बाद वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना नाम बदलकर फ्योंलीदास रख लिया। अमेरिका लौटने के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में ढोल को पाठ्यक्रम में शामिल करने की पैरवी की। अंतत: उनका प्रयास रंग लाया और सूत्रधार बनाया सोहन और सुकारु को। छठवीं कक्षा तक पढ़े सोहन अपनी सफलता पर बिना इठलाए बस भगवान को धन्यवाद देते हैं। वह बताते हैं कि उनके लिए वीजा का प्रबंध गढ़वाल विवि कर रहा है। इस दौरान वे अमेरिका के विभिन्न शहरों में अपने हुनर का प्रदर्शन भी करेंगे। गढ़वाल विश्वविद्यालय में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के प्रो. दाताराम पुरोहित के अनुसार

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