Wednesday 25 August 2010

अब कहां सुनाई देंगे गिर्दा के मधुर बोल...

-कौन करेगा खालीपन दूर, किसके साथ होगी जुगलबंदी... नैनीताल: रंगकर्मी गिरीश तिवारी गिर्दा के अकस्मात चले जाने से कला एवं संस्कृति के पटल पर बहुत बड़ा शून्य छा गया है। उनकी रिक्तता की पूर्ति कैसे होगी, अब यहीं ज्वलंत प्रश्न जन संघर्षों से जुड़े लोगों के समक्ष उत्पन्न हो गया है। गिर्दा के बिछोह के गम से फिलवक्त कोई भी नहीं उबर सका है। अब उनके द्वारा जलाई गयी मशाल को आगे बढ़ाकर ही उनके खालीपन को दूर करने की कोशिश भर की जा सकती है। गिर्दा के अचानक चले जाने से हर कोई स्तब्ध है। जब तक गिर्दा सभी के बीच थे, किसी ने सोचा भी न था कि उनकी विरासत को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा। उनके चले जाने के बाद अब यही यक्ष प्रश्न जन संघर्षों तथा रंगमंच से जुड़े लोगों के सामने खड़ा हो गया है। हर कोई मानता है कि गिर्दा की कमी अब कतई पूरी नहीं की जा सकती। गिर्दा के साथ कई यात्राओं पर जाने वाले इतिहासकार डा.शेखर पाठक का भी यही मानना है कि गिर्दा के जाने से जन संघर्षों के समक्ष बहुत बड़ा शून्य छा गया है। इस शून्य को दूर करना किसी के वश में नहीं है। गिर्दा के साथ जुगलबंदी करने वाले लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी भी उन्हें इन्हीं शब्दों में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बकौल श्री नेगी जन संघर्षों को सुर देना वाला कुमाऊं में अब गिर्दा के समकक्ष का कोई और जनकवि मुझे नजर नहीं आ रहा है। वरिष्ठï पत्रकार एवं जन आंदोलनों में हमेशा सक्रिय रहने वाले राजीव लोचन साह गिर्दा के बारे में कहते हैं कि उन्हें मात्र जनकवि व रंगकर्मी कहकर शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता है। गिर्दा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, उनके खालीपन को अब दूर करना मुमकिन नहीं है। उत्तराखंड के चर्चित नशा नहीं-रोजगार दो आंदोलन समेत अन्य कई जन संघर्षों में गिर्दा के साथ रहे डा.शमशेर सिंह बिष्ट कहते हैं कि लोगों को साथ जोडऩे की जो कला उनमें थी, वह अब कहां से आएगी। प्रसिद्ध रंगकर्मी विश्वम्भर नाथ साह गिर्दा के उत्तराखंड राज्य आंदोलन मेें दिए गए अनुकरणीय योगदान की चर्चा करते हुए कहते हैं कि नैनीताल में उस आंदोलन में जिस तरह उन्होंने जान फंूकी थी, वह हर किसी के वश की बात नहीं है। गिर्दा के अन्य संगी साथी भी उनके बहुमुखी व्यक्तित्व को अब बस केवल याद करते हैं। इन्हीं यादों में उनकी आंखें भर आती हैं। हम सभी को मालूम है कि अब गिर्दा लौटकर नहीं आएंगे।

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