Thursday 10 June 2010

-नवदुर्गा की छत्र-छाया में सुरक्षित है अल्मोड़ा

-चारों दिशाओं में विविध रूपों में विराज मान हैं मां - पर्यटन के रूप में विकसित नहीं हो पायी सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा-संस्कृति, परम्परा व ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे कुमाऊं में अल्मोड़ा का विशिष्ट स्थान है। यहां नौ दुर्गा के मंदिरों में हर साल सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं। अल्मोड़ा शहर को बसाने वाले चंद राजाओं ने इसे जहां भौतिक रूप से सुरक्षित बनाया, वहीं दैवीय शक्तियों से भी चारों दिशाओं से सुरक्षित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कभी चंद राजाओं की राजधानी रही अल्मोड़ा नगरी की चारों दिशाओं मेंं विघ्न विनाशक भगवान गणेश स्थापित हैं। यही नहीं नगर की रक्षा के लिए अष्ट भैरव विपदाओं को हरने के लिए हर पल मौजूद हैं। प्रदेश में यहीं नौ दुर्गाओं के मंदिर भी स्थापित हैं। इसके बावजूद सरकारें इस सांस्कृतिक नगरी को पर्यटन के रूप में विकसित नहीं कर पायीं। अल्मोड़ा के चारों ओर की चोटियों व नगर में विभिन्न रूपों में शक्ति स्वरूपा देवी माताएं रक्षा कर रही हैं। माता के नौ रूपों का वर्णन पुराणों व धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलता है। नगर में अलग-अलग स्थानों पर मां कई रूपों में विद्यमान हैं। इसी प्रकार मां के अलग-अलग उपासक भी हैं। कोई उपासक मां को वैष्णवी रूप में पूजता है, तो कोई शक्ति के रूप में मां के अराधना करता है। इसी लिए कहीं पर 'या देवी सर्वभूतेषु दया रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:Ó तो कोई भक्त 'जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुतेÓ के भाव से मां का वंदन नमन करता है। इसे अल्मोड़ा नगरी का सौभाग्य ही कहा जाएगा कि अल्मोड़ा के चारों ओर रहने वाले वाशिंदों को प्रात: उठते ही हर दिशा में शिखरों पर स्थित मां के दर्शन होते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अल्मोड़ा की रक्षा चारों ओर से देवी-देवता करते हैं। नगर के चारों ओर नजर डालें तो कलेक्टे्रट के ठीक सामने मां बानड़ी देवी (विंध्यवासिनी), पीछे की ओर स्याही देवी (श्यामा देवी), बायीं ओर कसार देवी, पश्चिम दिशा की ओर मां दूनागिरी, नगर में चंद राजाओं की कुल देवी मां नंदा-सुनंदा, मां त्रिपुरा सुन्दरी, मां उल्का देवी, मां शीतला देवी, मां पाताल देवी, मां कालिका देवी, मां जाखन देवी जागृत अवस्था में हैं। मां के भक्त अल्मोड़ा में देश भर से पहुंचते हैं। प्रदेश में केवल अल्मोड़ा ही ऐसा स्थान है जहां नौदुर्गा के मंदिर स्थित हैं। इसके बावजूद सरकार ने इस सांस्कृतिक नगरी को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किये।

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