Thursday 6 May 2010

नदियों का उद्गम स्थल ही 'प्यासा

हालात बेकाबू: प्रति व्यक्ति जरूरत 135 लीटर पानी की, मिल नहीं रहा आधा भी -17 लाख आबादी मात्र 10 लीटर प्रति व्यक्ति में ही चला रही है काम Pahar1- हल्द्वानी: पहाड़ों का पानी भले ही देशभर का गला तर कर रहा हो, पर यह सच है कि आज 'पहाड़Ó खुद भी प्यासा है। सरकारी विभाग के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि उत्तराखंड के ग्र्रामीण इलाकों में रहने वाली 17 लाख आबादी को बमुश्किल 10 लीटर प्रति व्यक्ति पानी मिल रहा है, जबकि मानक अनुरूप जरूरत 135 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की है। ऐसे में व्यक्ति क्या नहा रहा होगा और क्या पी रहा होगा, समझना कठिन नहीं है। उत्तराखंड नदी-नहरों का प्रदेश कहा जाता है। हल्द्वानी में गौला नदी, कुमाऊं नेपाल सीमा में काली, अल्मोड़ा में नयार, बागेश्वर से सरयू, चौखुटिया से रामगंगा, बागेश्वर से गोमती तो अल्मोड़ा से कोसी नदी निकलती है। यहां से निकलने वाली यही नदियां देश की लाखों आबादी की प्यास बुझा रही हैं। मगर हैरत की बात तो यह है कि पानी देने वाला उत्तराखंड आज खुद ही प्यासा है। थोड़ी-बहुत राहत केवल तराई में है, पहाड़ पर तो केवल त्राहि-त्राहि है। सिंचाई विभाग के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि नदियों का जलस्तर जहां तेजी से गिर रहा है तो जलस्रोतों की कमी के कारण नहरें सूखती जा रही हैैं। कोसी नदी का जलस्तर गिरने से अल्मोड़ा जिला त्राहि-त्राहि कर रहा है तो बागेश्वर समेत राज्य के कई पर्वतीय हिस्सों में तो लोग कई-कई दिनों का रखा पानी पीने को मजबूर हैं। गौला नदी का जल स्तर गिरने से कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की जनता को भी अब गला तर करने में दिक्कतें आ रही हैं। अगर जल संस्थान के निर्धारित मानकों की बात करें तो हर व्यक्ति को 135 लीटर पानी की जरूरत होती है। मगर पहाड़ के 21 ऐसे शहर-कस्बे हैं, जहां की आबादी को आधा यानि 70 लीटर पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण अंचलों में तो लोग 40 लीटर प्रति व्यक्ति पानी से ही काम चला रहे हैैं। सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में करीब 39,180 ग्र्रामीण क्षेत्र हैैं। जिनमें करीब 70.60 लाख आबादी निवास करती है। इस आबादी में करीब 17 लाख लोगों को महज दस लीटर पानी ही रोजाना मिल पा रहा है। सोचने वाली बात है कि 135 लीटर पानी की जरूरत वाला व्यक्ति 10 लीटर पानी में कैसे जरूरत पूरी कर रहा होगा। संकट हल करने का पूरा प्रयास: पंत हल्द्वानी: पेयजल मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि पेयजल संकट तो है, मगर सरकार भी पूरी गंभीरता से उसको ले रही है। शहर की सीमा में आ चुकी ग्र्रामीण बस्तियों को स्वैप योजना से बाहर किया जा रहा है, ताकि इन्हें मानकों के अनुसार पानी दिया जा सके। ::::

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