Thursday 25 February 2010

विदेशों में भी फैलेगा वेद व पुराण का ज्ञान

-जगद्गुरु आश्रम चला रहा है विशेष मुहिम - वेद पाठियों को किया जा रहा तैयार -पहले चरण में 25 वेदपाठी होंगे पारंगत Pahar1- हरिद्वार भारतीय जीवन दर्शन के प्राण वेद व पुराण में समाहित हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजनों की परिपाटी भी वेद व पुराणों पर ही चलती आ रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा, तो विदेशों में भी वेद व पुराण का महात्म्य प्रचारित किया जाएगा। मजेदार बात यह कि संबंधित देश की भाषा में ही वेद व पुराण की महत्ता बताई जाएगी। जगद्गुरु आश्रम ने इस दिशा में पहल शुरू की है। वेदपाठियों को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। एक साल पूर्व हरिद्वार के जगद्गुरु आश्रम के स्वामी श्री राजराजेश्वराश्रम ने इस दिशा में पहल शुरू की थी। मंशा यह थी कि वेद व पुराण का आध्यात्मिक महत्व देश की सीमाओं से बाहर पहुंचाने के लिए वेदपाठी तैयार किए जाएं। इसे एक अभियान के तौर पर लिया जाए। इसके तहत उक्त आश्रम में दस से बीस वर्ष तक के कुल 25 वेदपाठियों को वेद व पुराणों की शिक्षा देनी शुरू की गई। उनको वेद, पुराणों में पारंगत बनाने का जिम्मा आचार्याें को सौंपा गया। वेदपाठियों के रहने-ठहरने के साथ ही अन्य समस्त सुविधाएं आश्रम की ओर से मुहैया कराई गई। आश्रम में हर रोज उन्हें सुबह व शाम वेद, पुराणों की शिक्षा दी जा रही है। समय-समय पर उनके ज्ञान का मूल्यांकन भी आचार्य करते हैं। यह शिक्षा पूरी तरह हाइटेक पद्धति से दी जा रही है। कहने का मतलब है कि कंप्यूटर के जरिये वेदपाठियों को वेद व पुराणों में दक्ष किया जा रहा है। एक साल की अवधि के मूल्यांकन में ही अध्ययनरत वेदपाठियों में दक्षता पायी गई है। वेद, पुराणों में निपुणता हासिल करने के बाद वेदपाठियों को किसी एक देश विशेष की भाषा का भी ज्ञान कराया जाएगा। जब वे विदेशी भाषा में पारंगत हो जाएंगे, तो उन्हें संबंधित देश में भेजा जाएगा। वहां वे वेद, पुराणों का प्रचार-प्रसार करेंगे। इसके बाद फिर अगले सत्र में भी उनको इसी ढंग से तैयार करने की योजना है। फिलहाल, अध्ययनरत वेदपाठियों को वेद, पुराणों में दक्ष बनाने में अभी एक से डेढ़ साल और लगेगा। इस बाबत जगदगुरु आश्रम के स्वामी श्री राजराजेश्वराश्रम ने बताया कि इन वेदपाठियों को धर्म प्रचार के लिए तैयार किया जा रहा है। इनके जरिये भारतीय जीवन दर्शन के प्राण तत्व वेद, पुराणों के आध्यात्मिक महात्म्य को विदेशों में भी प्रचारित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वेद, पुराणों के प्रति विदेशों में भी खासा उत्साह बढ़ने लगा है, जिसकी बानगी महाकुंभ में भी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में इस बार विदेशियों की संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि आश्रम की यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी।

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