Friday 29 January 2010

महाकुंभ: आसमान से बातें करने लगीं धर्मध्वजाएं

- -सीना तानकर खड़ी पांच धर्मध्वजाओं ने रच दिया इतिहास -धर्मध्वजाएं लहराते ही झूम उठे हजारों साधु, संत और आम जन -ऋचाओं में वेद मंत्र, शंखनाद, घंटा घडिय़ाल ने माहौल में फूंका भक्ति रस हरिद्वार: तीर्थनगरी ने धर्म की अनूठी मिसाल पेश कर इतिहास रच दिया। जूना, आह्वïन, अटल, अग्नि और महानिर्वाणी अखाड़ों की धर्मध्वजाएं जब सीना तानकर आसमान की बुलंदियां छूने को आतुर हुईं तो ऐसा लगा कि मानो वह आसमान से बातें कर रही हों। हजारों संत और आम जन इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने। ऋचाओं में वेद मंत्र और शंख की ध्वनि घंटों गूंजती रही। महाकुंभ के माहौल को रंगने के सिलसिले में धर्मध्वजा ने पूरी ताकत झोंक दी। माना जा रहा है कि अब धीरे-धीरे तीर्थनगरी कुंभ नगर का स्वरूप लेते हुए महाकुंभ में डूब जाएगी। अखाड़ों में धर्म के प्रचार-प्रसार का अनूठा सिलसिला जल्द ही शुरू होगा। महाकुंभ में तीर्थनगरी के मायादेवी मंदिर और माया देवी क्षेत्र में 26 जनवरी को इतिहास रचा गया। एक तरफ देश भक्ति के गीत गूंज रहे थे, वहीं ऋचाओं में वेद मंत्र, घंटे-घडिय़ाल की ध्वनि, शंख से निकली पवित्र ध्वनि, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज रही थी। हजारों आंखें इस अद्भ्त क्षण को देखने के लिए आतुर थीं। सैकड़ों हाथ धर्मध्वजा को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए बेकरार दिखे। माया देवी मंदिर में जूना अखाड़े की धर्मध्वजा के ऊपर मोर पंख लगाकर जब साधु, संत और नागाओं ने उसे आसमान से बाते करने को लहराया तो तालियों की गडग़ड़ाहट से माहौल गूंज उठा। नागा साधुओं ने अपने करतब दिखाने शुरू कर दिए। नोटों की जमकर बारिश हुई। धर्मध्वजा का आशीर्वाद लेने को आम जन टूट पड़ा। पूरा माहौल महाकुंभ के सागर में डुबकी लगाता हुआ नजर आया। पचास से अधिक की तादाद में बैंड बाजों के भक्ति गीत वातावरण में मिठास घोल रहे थे। महिला संवासिनियों ने भी धर्मध्वजा के सीना तानकर खड़े होने पर खुशियां मनाईं। माया देवी मंदिर प्रांगण और माया देवी मंदिर क्षेत्र का नजारा पहली बार ऐसा लग रहा था कि अब महाकुंभ की जमात में साधुओं के कुंभ की शुरुआत हो रही है। गेरुआ धारी संतों की मायानगरी में अचानक बढ़ी चहलकदमी यह बता रही थी कि धर्मध्वजा को लेकर पिछले कई महीनों से उनकी तैयारी यूं ही नहीं थी।

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