Friday 20 November 2009

-यह 'उपलब्धि' है तो खुदा खैर करे

-यह 'उपलब्धि' है तो खुदा खैर करे नौ साल में रोपे गए साढ़े तीन लाख पौधे, हाथ आए सिर्फ बयासी हजार - बचे हुए पौधों में से भी हजारों को 'अंकुरित हो रहे' बताया जा रहा - जानवरों के स्वच्छंद विचरण के बहाने सुरक्षा के भी कोई उपाय नहीं - वृक्षारोपण को मिली 4515092 की राशि में से 3393158 रुपये गर्त में डूबे दिनेश कुकरेती़ देहरादून: यह है राजाजी नेशनल पार्क की 'उपलब्धि'। नौ साल में पैंतालीस लाख से अधिक की धनराशि खर्च कर करीब साढ़े तीन लाख पौधे रोपे और हाथ आए सिर्फ बयासी हजार। यह तो विभागीय दावा है, जबकि हकीकत इससे कहीं अधिक निराशाजनक हो सकती है। पार्क के अधिकारियों का यह तर्क भी कम मजेदार नहीं है कि रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए कारगर उपाय किया जाना जानवरों के स्वच्छंद विचरण को देखते हुए संभव नहीं है। ऐसे में लगता नहीं कि पार्क क्षेत्र में राज्य गठन के बाद वृक्षों का घनत्व बढ़ा होगा। हरिद्वार, देहरादून व गढ़वाल जनपद के 820.42 वर्ग किमी भूभाग को मिलाकर वर्ष 1983 में स्थापित राजाजी राष्ट्रीय उद्यान देश का यही एकमात्र पार्क है, जिसका भूगोल सबसे जटिल है। चारों ओर घनी आबादी है तो बीच से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरता है। इसके अलावा बीसियों कच्चे मार्ग भी आबादी वाले इलाकों में खुलते हैं। उम्मीद की जा रही थी राज्य गठन के बाद पार्क की दशा सुधरेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पार्क क्षेत्र में वृक्षों का घनत्व बढ़ाने के लिए बीते नौ सालों में जो नए पौधे रोपे गए, उनकी सुरक्षा भी भगवान भरोसे है। सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार राज्य गठन के बाद पार्क क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के 331530 पौधे रोपे गए, लेकिन इनमें से सुरक्षित होने का दावा सिर्फ 82374 पौधों का ही किया जा रहा है। इसमें भी हजारों पौधों को 'अंकुरित हो रहे' बताया जा रहा है। इन पौधों के रोपण में 4515092 की धनराशि व्यय हुई, जिसे मामूली राशि नहीं माना जा सकता। इस हिसाब से पार्क प्रशासन महज 1121933.88 रुपये के पौधों को ही बचा पाया। बाकी 3393158.12 की राशि गर्त में डूब गई। हैरत तो इस बात से होती है कि रोपी गई पौध को न बचा पाने के लिए पार्क प्रशासन सिर्फ प्राकृतिक कारणों को ही जिम्मेदार मानता है। उसका कहना है सेही, सांभर, चीतल, सुअर, हाथी आदि जानवरों द्वारा पौध नष्ट कर दिए जाने के अलावा अत्यधिक पाला व गर्मी से भी अधिकांश पौध मर गई। रही रोपित पौध की सुरक्षा की बात तो इसमें भी पार्क प्रशासन का तर्क है कि जानवरों के स्वच्छंद विचरण को देखते हुए इसके लिए कोई कारगर उपाय किया जाना संभव नहीं था। रेंज वाइज रोपित पौधे, जीवित पौधे और पौधरोपण पर हुआ व्यय रेंज रोपित जीवित व्यय धनराशि मोतीचूर 28100 4278 295897 हरिद्वार 15000 8750 613722 धौलखंड(पू.)36155 5500 629200 चिल्लावाली 93500 13205 842350 गौहरी 16500 8670 351400 धौलखंड(प.)36500 18600 707689 चीला 17500 1125 395000 कासरो 88275 22246 728244 -

No comments:

Post a Comment