Friday 16 October 2009

ब्लॉग पर पहाड़, पहाड़ पर ब्लॉग

अऱविद शेखऱ देहरादून-: ब्लॉग की दुनिया से पहाड़ अछूते नहीं रहे, बल्कि अब बहुत से ऐसे हिंदी ब्लॉग सामने आ रहे हैं, जो अपने-अपने अंदाज में पहाड़ की कहानी कह रहे हैं। जितेंद्र भट्ट का अपना पहाड़ हो, विनीता यशस्वी का यशस्वी हो या राकेश जुयाल का पहाड़वन डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम। बुरांस, बुग्याल, पहाड़ीबोली, म्यर पहाड़, घुघुती-बसुती, जय उत्तराखंड, नैनीताली, नई सोच जैसे सैकड़ों ब्लॉग आज पहाड़ खासकर उत्तराखंड से जुड़े समाचार, लेख, समाज और संस्कृति की जानकारी इंटरनेट की दुनिया में उड़ेल रहे हैं। लिखोयहांवहां डॉट ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम और कबाड़खाना जैसे ब्लॉग भी यूं तो साहित्य संस्कृति पर वैश्विक दृष्टिकोण रखते हैं लेकिन इनमें उपलब्ध साहित्यिक विधाओं की कृतियों में अक्सर व्यापक पहाड़ी समाज नजर आ जाता है। समाजविज्ञानी देवेंद्र बुड़ाकोटी कहते हैं ब्लॉग की दुनिया में पहाड़ खासकर उत्तराखंड से जुड़े ब्लॉगों के विस्फोट के पीछे उत्तराखंड राज्य आंदोलन से उपजी राजनीतिक चेतना है, जिसने पहाड़वासियों में अपनी अलग पहचान स्थापित करने की छटपटाहट को जन्म दिया। दरअसल उत्तराखंड राज्य आंदोलन का समय भी वह समय है जब सूचनाक्रांति आम जन तक पहुंच रही थी। इसी दौर में उत्तराखंड ने क्षेत्रीय पहचान को स्थापित करती ढेरों पत्र-पत्रिकाओं को बाजार में अपनी जगह की तलाश करते देखा। मगर उत्तराखंड के लोगों की पहचान स्थापित करने और खुद को दोबारा से खोजने की प्यास इससे पूरी नहीं हो सकती थी। ऐसे में पहले पहाड़ से जुड़ी वेबसाइट सामने आईं, लेकिन वेबसाइट शुरू करना खर्चीला था। जैसे ही ब्लॉगिंग की शुरुआत हुई तो देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा या देश के महानगरों में बसे उत्तराखंडी लोगों की अपनी बात कहने छटपटाहट बाहर आने लगी। ब्लॉग बनाने में न तो कोई अतिरिक्त खर्च है न किसी की रोकटोक आप अपने मन की बात जब चाहे जैसे कह सकते हैं। इस सबका यह परिणाम यह हुआ कि ए-नए ब्लॉग सामने आने लगे। कई ब्लॉगरों ने तो अपने नाम से ही ब्लॉग शुरू किए हैं। लिखोयहांवहां डॉट ब्लॉग स्पॉट डॉय कॉम संचालित करने वाले युवा कवि व लेखक विजयगौड़ कहते हैं कि ब्लॉग दरअसल माइक्रो स्तर पर सामयिक इतिहास को दर्ज कर रहा है। ब्लॉग पर लोगों के निजी विचार हों या डायरी या अन्य रचनाएं वह बड़े रचनात्मक तरीके से अपने आसपास के समाज का चित्र रचती हैं। यह सूचना संसार भविष्य में इतिहासवेत्ताओं के लिए पहाड़ का इतिहास जानने का अहम औजार साबित होगा।

1 comment:

  1. बहुत सही है ब्लाग एक ऎसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपनी क्षमताओं का सदुपयोग कर सकते है।

    सुनीता शर्मा
    स्वतंत्र पत्रकार
    ऋषिकेश
    http://sunitakhatri.blogspot.com

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