Saturday 31 October 2009
उडऩखटोलों को नहीं लग पा रहे पंख
उत्तराखंड की मनोरम वादियों में उडऩखटोले की सवारी अभी दूर की कौड़ी
पहाड़ी राज्य में 12 रोप वे प्रोजेक्टों का कछुआ गति से चल रहा काम
कुछ प्रोजेक्टों की डीपीआर तैयार नहीं, तो कुछ भू-अधिग्रहण के फेर में लटके
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने की राज्य सरकार की मंशा समय रहते परवान नहीं चढ़ पा रही है। कारण कि पर्यटन प्रदेश का सपना सच करने के लिए कागजों पर तो कई योजनाएं तैयार हैं, मगर उन्हें धरातल पर उतारने की कसरत बेहद ही सुस्त है। राज्य के विभिन्न जनपदों में स्वीकृत 12 रोप वे परियोजनाओं का भी कुछ यही हाल है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में बनने वाली इन अधिकतर परियोजनाओं का निर्माण कार्य 3-4 वर्ष बीतने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है।
नैसर्गिक सौंदर्य व गंगा-यमुना जैसी मनोरम नदी घाटियों वाले इस प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2005-06 व 2006-07 में 12 बड़े रोपवे प्रोजेक्टों के निर्माण को मंजूरी दी थी। करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत की इन परियोजनाओं का निर्माण पीपीपी मोड में किया जाना है, जो पर्यटन के मुख्य आकर्षण के अलावा राजस्व जुटाने का भी जरिया बनेंगी। इसके लिए यूआईपीसी व यूडेक को कंसल्टेंट बनाया गया है, लेकिन कार्यादेश के तीन-चार वर्ष गुजरने के बाद भी ज्यादातर प्रोजेक्टों का निर्माण कार्य भी प्रारंभ नहीं हो सका है। किसी प्रोजेक्ट की अभी तक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तक नहीं बन पाई तो कोई भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के कारण अधर में है। उत्तरकाशी जिले में स्वीकृत 3.83 किमी लंबे जानकीचट्टी-यमुनोत्री रोपवे प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने व भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इनमें से सबसे बड़े व 800 करोड़ की लागत वाले देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट (10 किमी) के लिए भी भूमि-अधिग्रहण की कार्रवाई जारी है।
श्रीनगर-पौड़ी रोपवे (40 करोड़) का सर्वे पूरा नहीं हो सका है तो रानीखेत-चौबटिया रोपवे की डीपीआर भी तैयार नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्राजेक्टों के निर्माण में हो रही यह लेटलतीफी उनकी लागत में वृद्धि का कारण बन सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो परियोजनाओं के अधर में लटकने से पर्यटन विकास की उम्मीदों को करारा झाटका लगेगा। हालांकि उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अधिकारियों का कहना है कि भू-अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया के कारण कुछ विलंब हो रहा है, लेकिन प्रोजेक्टों की भौतिक प्रगति की निरंतर समीक्षा के बाद अब काम तेज करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रदेश में स्वीकृत 12 बड़े रोपवे-प्रोजेक्ट
रोपवे-प्रोजेक्ट-लागत
जानकीचट्टी-यमुनोत्री-30 करोड़
देहरादून-मसूरी-800 करोड़
श्रीनगर-पौड़ी-40 करोड़
रानीखेत-चौबटिया-75 करोड़ .
मुनस्यारी-खालियाटाप- ---
ठुलीगाड-पूर्णागिरी-17 करोड़
सुरकंडा देवी-3.35 करोड़
रामबाड़ा-केदारनाथ-70 करोड़
ऋषिकेश-नीलकंठ-33 करोड़
मुनिकीरेती-कुंजापुरी-49 करोड़
स्नोब्यू-चिडिय़ाघर, नैनीताल-20 करोड़
कसारदेवी-अल्मोड़ा-1.70 करोड़
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