Tuesday 4 August 2009

सूबे की तीन संरक्षित विरासतें गुम

देहरादून उत्तराखंड में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित 44 विरासतों में से तीन का कोई पता नहीं है। अल्मोड़ा जिले की रानीखेत तहसील के द्वाराहाट स्थित कुटंबरी मंदिर, हरिद्वार जिले की रुड़की तहसील के खेड़ा की बंादी और नैनीताल जिले की रामनगर तहसील के ढिकुली स्थित विराटपत्तन की प्राचीन इमारतों के अवशेषों का भी कुछ पता नहींहै। उत्तराखंड में केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का देहरादून सर्किल प्रदेश में 44 पुरातात्विक महत्व के ढांचों और स्थानों का देखरेख करता है। इनमें से तीन का गुम हो जाना अचरज की बात है। मालूम हो कि हाल में ही केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि देश भर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित कुल 3675 पुरातात्विक महत्व की इमारतों व स्थानों में से 36 गुम हो गई हैं। इनमें से तीन उत्तराखंड, 12 दिल्ली की, आठ यूपी की, तीन जम्मू कश्मीर, दो राजस्थान, दो हरियाणा, दो गुजरात, दो कर्नाटक व एक-एक असम व अरुणाचल प्रदेश से हैं। देहरादून सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद डा. देवकी नंदन डिमरी का कहना है कि पचास के दशक में जब देश में पहली बार पुरातत्व स्थलों की सूची बनाई गई तो उसमें कई नाम स्थानीय लोगों की सूचना पर दर्ज कर लिए गए। इनमें से कई स्थानों का पुरातत्व विभाग ने भौतिक सत्यापन भी नहीं किया। तब पुरातत्व विभाग ने द्वाराहाट के कुटुंबरी मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों से जानकारी चाही तो उन्हें इसकी कोई जानकारी नहींथी। बहुत संभव है कि वह द्वाराहाट के मंदिर समूहों में से ही कोई मंदिर रहा हो या समय की मार से नष्ट हो गया हो। ढिकुली के विराटपत्तन के बारे में कहा जाता है कि यहां महाभारत का विराटनगर था और यहां पांडव आए थे। वैसे ढिकुली में कत्यूरी शासक जाड़ों में धूप सेंकने आते थे। एएसआई के मुताबिक विराटपत्तन का अब तक कुछ पता नहीं है। तीसरी गुम हुई जगह रुड़की की खेड़ा बांदी कब्र है। डा. डिमरी का कहना है कि खेड़ा बांदी के गुम होने के बारे में भ्रम है, क्योंकि इसी नाम का एक स्थल आगरा सर्किल में भी संरक्षित है। दरअसल पचास के दशक में जब पुरातात्विक जगहों का नोटिफिकेशन हुआ तब तक यह क्षेत्र सहारनपुर जिले में था। उस समय रुड़की, हरिद्वार भी सहारनपुर जिले में था।

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