Sunday 9 August 2009

आजाद हिंद फौज के जांबाज को सम्मानित करेंगी राष्ट्रपति

- सालम क्रांति के गवाह राम सिंह दिल्ली को रवाना जैंती (अल्मोड़ा): आजाद हिंद फौज के जांबाज एवं सालम क्रांति के गवाह राम सिंह बिष्ट को अगस्त क्रांति की 67वीं वर्षगांठ पर सम्मानित किया जाएगा। श्री बिष्ट सहित उत्तराखण्ड के पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को इसके लिए आमंत्रित किया गया है। देश भर में अब गिने-चुने ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शेष हैं, जिनमें अल्मोड़ा जनपद के बांगी गांव में जन्मे राम सिंह बिष्ट, पौड़ी गढ़वाल से मुरली सिंह , उत्तरकाशी से चिन्द्रिया लाल, पिथौरागढ़ से श्याम सिंह एवं हरिद्वार से सत्यवली सिन्हा पत्नी जगदीश नारायण सिन्हा प्रमुख हैं। इन्हें भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर सम्मानित किया जाना है। सालम सपूत राम सिंह बिष्ट का जन्म 9 सितंबर 1909 को बांगी गांव में हुआ। बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों के श्री बिष्ट का संपर्क सालम के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह धौनी से हुआ। उन्हीं के साथ मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही स्कूली शिक्षा त्याग आजादी की लड़ाई में शरीक हो गए। बाद में 9 मई 1937 को ब्रिटिश सेना में भर्ती तो हो गए, लेकिन बगावती तेवर ने जल्दी ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संपर्क कराया। 1941 में जापान के साथ हुई जंग में हजारों ब्रिटिश सैनिकों को जापान में कैद कर लिया गया, जिनमें राम सिंह बिष्ट भी शामिल थे। साल भर जेल में रहने के उपरांत पुन: अपने सामने सुभाष चन्द्र बोस को पाकर बंदी सैनिकों की बांछे खिल गई। नेताजी ने बंदी सैनिकों का आह्वान किया कि तुम मुझो खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इस पर हजारों सैनिकों ने खून से शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए व आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए। श्री सिंह राष्ट्रपति से पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। इंसेट ------ इनके लिए 9 के अंक का है खास महत्व जैंती (अल्मोड़ा): स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह बिष्ट के साथ 9 के अंक का विशेष महत्व है। श्री बिष्ट तारीख 9 महीना 9 सन् 1909 में पैदा हुए तथा 9 मई 1937 में ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए। कई साल अंडमान निकोबार, सिंगापुर, वर्मा की जेलों में बंद रहने के बाद 9 जनवरी 1945 को रिहा हुए। अब 9 अगस्त 2009 को राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किए जाएंगे। वर्तमान में संन्यासी जीवन बिता रहे राम सिंह बिष्ट उर्फ राम गिरि अपने जीवन की 100वीं वर्षगांठ भी राष्ट्रपति भवन में ही बिताएंगे।

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