Monday 31 August 2009

-35 ग्राम सभाओं को विस्थापन का इंतजार

-रुद्रप्रयाग में त्रासदी के दस वर्ष बाद भी 300 परिवारों का नहीं हो सका विस्थापन -सरकार ने पचीस हजार देकर पल्ला झााड़ा रुद्रप्रयाग, आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील जिले की पैंतीस ग्राम सभाओं को त्रासदी के दस वर्ष बीत जाने के बाद भी विस्थापन का इंतजार है। दैवीय आपदा पीडि़त करीब तीन सौ परिवार खुद को मझाधार में खड़ा महसूस कर रहे हैं। जहां तक सरकारी प्रयासों का सवाल है, तो सहायता के नाम पर ग्रामीणों को पचीस हजार की धनराशि देकर इतिश्री कर दी गई, लेकिन विस्थापन के लिए अब तक भूमि का चयन नहीं किया जा सका है। इतना ही नहीं, कई मामलों में पीडि़तों को महज साढ़े सात हजार रुपये ही दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में वर्ष 1998- 99 व 2001 में हुए भूस्खलनों ने ऊखीमठ विकासखंड के जुगासू, सरुणा बल्ला, गणगू, पिलौजी, खोनू, बेडूली, जग्गी बगवान, कालीमठ, स्यासू, ब्यूखी, रासी, कुणजेठी, कोटमा, उनियाणा, राऊलेक, सारी, सल्लू, रोडू ग्राम सभाओं को खासा नुकसान पहुंचाया था। इससे इन गांवों के 1564 परिवारों के अस्तित्व पर संकट गहरा गया था। इसके बाद वर्ष 2001 में ग्यारह ग्राम पंचायतों के 1300 परिवार भी भूस्खलन की जद में आए। इन सभी गांवों का केंद्र व राज्य सरकार की ओर से सर्वे कराया गया। इसमें 35 ग्राम सभाओं को भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील घोषित कर इनके विस्थापन को जरूरी बताया गया था। इसके लिए जिला प्रशासन ने भूमि चयन की प्र्रक्रिया पूरी कर शासन को भेज दी, लेकिन एक दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी ग्रामीण मौत के साए में जीने को विवश हैं। विस्थापन की बात करें, तो आज तक सरकार की ओर से भूमि का चयन नहीं किया गया। अलबत्ता विस्थापन के नाम पर इन परिवारों को पचीस हजार रुपये दिए गए हैं, जबकि कई परिवार ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा भी नहीं मिला है। ग्यारह ग्राम पंचायतों के बाशिंदों को तो मात्र साढ़े सात हजार रुपये ही मिल पाए हैं। बरसात के समय तो यहां के ग्रामीण कई रातें बिन सोए ही गुजारते हैं। भूस्खलन की संभावना हर समय यहां के लोगों को सताती रहती है। लगभग दो वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने भूकंप पीडि़तों के लिए दो करोड़ से अधिक मुआवजे की धनराशि दी, लेकिन यहां भी आधा से अधिक पीडि़तों तक यह राशि नहीं पहुंच सकी, इससे पीडि़तों में मायूसी है। दूसरी ओर, जखोली विकासखंड की चार ग्राम पंचायतें पांजणा, सिरवाड़ी, मखैत, घरणा भी भूस्खलन की जद में हैं।

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