Saturday 25 July 2009

ढाबों में काम करने वाले बनेंगे टूरिज्म प्रोफेशनल

-पर्यटन व्यवसायियों की कार्यकुशलता बढ़ाने को मिलेगा निशुल्क प्रशिक्षण -पर्यटकों के अतिथि-सत्कार से लेकर मैनेजमेंट के गुर भी सीखेंगे कामगार -केंद्रीय वित्त पोषित योजना पर टिकी पर्यटन विकास परिषद की निगाहें सुभाष भट्ट, देहरादून प्रदेश के पर्यटन विकास परिषद की कोशिशें परवान चढ़ीं, तो पहाड़ी सूबे के होटलों व ढाबों में मेहनत करने वाले कामगार भी कुछ हद तक 'टूरिज्म प्रोफेशनल' बन जाएंगे। पर्यटन से जुड़े संगठित व असंगठित क्षेत्र के कामगारों की क्षमता विकास के मद्देनजर पर्यटन विकास परिषद एक ठोस कार्ययोजना बनाने जुटा है। मंशा यह है कि पर्यटन व्यवसाय से किसी न किसी रूप में जुड़े लोगों को कुछ ऐसा प्रशिक्षण दिया जाए, कि वे अपने अच्छे व्यवहार व बेहतर सेवाओं के बूते पर्यटकों का दिल जीतने में कामयाब तो हों ही, साथ ही पर्यटन व्यवसाय को पहाड़ी सूबे की आर्थिक रीढ़ बनाया जा सके। प्रदेश में पर्यटन से जुड़े संगठित व असंगठित क्षेत्र के कामगारों व कार्मिकों को व्यवहारिक तौर पर प्रशिक्षित करने के लिए पर्यटन विकास परिषद की निगाहें केंद्रीय वित्त पोषित 'कैपेसिटी बिल्डिंग फॉर सर्विस प्रोवाइडर्स' योजना पर टिकी है। गत वर्षों के शुरुआती अनुभव के बाद परिषद आगामी वर्ष के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसमें पर्यटन विभाग के उपक्रम गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊं मंडल विकास निगम के साथ-साथ अन्य संस्थाओं को भी शामिल किया जाएगा। दोनों निगमों के अलावा फॉरेस्ट ट्रेनिंग एकेडमी, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, भारतीय वन्यजीव संस्थान व पुलिस महकमे से प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रस्ताव मांगे गये हैं। योजना के तहत पर्यटक स्थलों व चारधाम यात्रा मार्गों पर संचालित होटलों-ढाबों, वाहन चालक-परिचालक, टूर ऑपरेटर्स, ट्रैवल्स एजेंटों, कुली-पोर्टर्स, राफ्टिंग कंपनियों के कार्मिकों समेत वन विभाग व पुलिस महकमे के कर्मचारियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण खासतौर पर बेहतर सत्कार व बेहतर सेवाएं देने पर केंद्रित होगा। साथ ही, पर्यटन क्षेत्र में सेवारत कामगारों की कार्यकुशलता व क्षमता विकास, इको-टूरिज्म के प्रति जागरूकता, हाई एल्टिट्यूड माउंटेन गाइड, हास्पिटेलिटी ट्रेनिंग, वाइल्ड लाईफ टूरिज्म, रिवर गाइड ट्रेनिंग जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल किए जाएंगे। पर्यटन विकास परिषद के संयुक्त निदेशक एके सिंह कहते हैं कि इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए ऐसे अशिक्षित लोगों को भी प्रोफेशनल बनाया जा सकेगा, जो पर्यटन क्षेत्र में रोजगार से जुड़े हैं। योजना के मसौदे को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। उच्चाधिकारियों की संस्तुति के बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। --- योजना के तहत प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम: -स्किल डेवलपमेंट फॉर सर्विस प्रोवाइडर्स -इको-टूरिज्म एवेयरनेस एंड ऑपरेशनल ट्रेनिंग -हाई एल्टिट्््यूड माउंन्टेन गाइड कोर्स -टूरिज्म एवेयरनेस प्रोग्राम फॉर नान-आर्गेनाईज्ड सेक्टर -हास्पिटेलिटी ट्रेनिंग प्रोग्राम -स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम फॉर पुलिस स्टॉफ -नेचर गाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम -बर्ड वाचिंग कैम्पस -वाइल्ड लाईफ टूरिज्म वर्कशॉप -रिवर गाइड ट्रेनिंग कोर्स

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