Thursday 30 July 2009

घोषणा के बावजूद नहीं बन सका पक्षी विहार

-नरेंद्रनगर में पांच साल पूर्व सीएम एनडी तिवारी ने की थी घोषणा -पचास लाख रुपये का प्रस्ताव फांक रहा फाइलों की धूल , नरेंद्रनगर नई टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आगराखाल में पक्षी विहार बनाने की तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की घोषणा भी बेमानी साबित हो रही है। करीब पांच साल पूर्व की गई यह घोषणा अब तक अमलीजामा नहीं पहन सकी है। आलम यह है कि पक्षी विहार बनाने के लिए करीब पचास लाख रुपये का प्रस्ताव भी शासन स्तर पर फाइलों की धूल फांक रहा है। इससे स्थानीय युवाओं के रोजगार पाने के सपने भी चकनाचूर होते जा रहे हैं। उत्तराखंड की वादियों में हर साल लाखों देशी-विदेश पर्यटक हर वर्ष पहुंचते हैं। इनमें चार धाम यात्रियों के अतिरिक्त ऐसे लोग पहुंचते हैं, जो साहसिक खेलों के साथ पर्यटन की अन्य गतिविधियों में खास रुचि रखते हैं। इसी के तहत वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मुनिकीरेती में हर्बल पार्क उद्घाटन करते हुए आगराखाल में भी पक्षी विहार बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद नरेंद्रनगर वन प्रभाग ने 244.5 हेक्टेयर वन क्षेत्र में पक्षी विहार बनाने के लिए करीब 50 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी यह प्रस्ताव शासन की फाइलों में धूल फांक रहा है। पक्षी विहार में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी रखने की योजना है। इसके लिए बाकायदा तालाब बनाना भी प्रस्तावित है, जिसमें क्रीड़ा करते बत्तख व अन्य पक्षी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते। यही नहीं क्षेत्र में पर्यटकों की आमद से स्थानीय युवकों को भी रोजगार मिलता। वन विभाग ने भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई और अब तक पक्षी विहार अस्तित्व में नहीं आ सका है। उल्लेखनीय है कि पक्षी विहार के बनने से स्थानीय बेरोजगार युवाओं में रोजगार की आस जगी थी, लेकिन सरकारी बेरुखी से उनके अरमानों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक सुबोध उनियाल का कहना है कि पक्षी विहार की घोषणा आगरखाल व आस-पास क्षेत्र को विकसित करने के लिए की गई थी। स्वयं मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी, इसलिए इसे अमल में लाने के लिए प्रदेश सरकार को कार्य करना चाहिए। इस बाबत, प्रभागीय वनाधिकारी मुनिकीरेती गोपाल सिंह राणा का कहना है कि पक्षी विहार के लिए पानी की उपलब्धता बहुत जरूरी है। जिस स्थान पर पक्षी विहार प्रस्तावित है, वहां पर्याप्त पानी नहीं है। इसके चलते प्रस्ताव अभी तक विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि विहार को शासन स्तर पर मंजूरी दिलाने के प्रयास जारी है।

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