Tuesday 12 May 2009
बदरीनाथ: नहीं गूंजी सहस्रनाम की सदाएं
-एक साधु की शिकायत पर लिया गया निर्णय
-शिकायतकर्ता ने दिया सुप्रीम व हाईकोर्ट के निर्देश का हवाला
गोपेश्वर (चमोली): हिंदुओं की आस्था के प्रतीक बदरीधाम में इस बार आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने का माध्यम माने जाने वाले विष्णु सहस्रनाम पाठ के श्लोक व मंत्रों की आवाजें सुनाई नहीं दीं। कपाट खुलने से पूर्व श्री बदरीनाथ मंदिर में ध्वनिविस्तारक के प्रयोग पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के हवाले के आधार पर की गई एक साधु की शिकायत पर मंदिर समिति ने मंदिर परिसर में माइक व लाउडस्पीकर का प्रयोग बंद कर दिया। हालांकि, मंदिर के भीतर पाठ अब भी जारी है।
बदरीनाथ धाम में परंपरा के अनुरूप हर रोज सुबह कपाट खुलने से पूर्व व दोपहर में बदरीनाथ मंदिर से विष्णुसहस्त्रनाम पाठ होता था। यह ध्वनि मंदिर में लगे माइक व लाउडस्पीकरों के जरिए पूरी बदरीशपुरी में सुनाई देती थी। यही नहीं, स्थानीय व्यवसायी भी अपने प्रतिष्ठानों में सहस्त्रनाम पाठ की कैसेट, सीडी आदि चलाया कतरे थे। यह परंपरा पिछले कई वर्षों से अनवरत जारी थी, लेकिन इस बार कपाट खुलने से पूर्व एक विवाद के चलते सहस्त्रनाम पाठ बंद कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को सूचना के अधिकार के तहत मातृ सदन के एक साधु निगमानंद सरस्वती ने लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति के बारे में पूछा था। साधु ने तर्क दिया कि जब हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों के प्रयोग पर रोक के निर्देश दिए हैं, तो बदरीनाथ मंदिर में इनका प्रयोग कैसे किया जा रहा है। इसके बाद मंदिर समिति ने विवाद बढ़ता देख माइक हटा दिए।
मंदिर समिति के इस निर्णय से स्थानीय संत समाज में तीव्र आक्रोश है। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल बद्रीप्रसाद नंबुदरी ने कहा कि भगवान बदरी विशाल की नगरी में भगवान विष्णु का नाम नहीं गूंजेगा, तो क्या गूंजेगा। उन्होंने मंदिर समिति के निर्णय पर नाराजगी जताई। वहीं, पंडा पंचायत के बालकराम ध्यानी ने कहा कि बदरीशपुरी में मंदिर की परंपराओं से छेड़छाड़ करना उचित नहीं है। साधु समाज के शिवानंद सरस्वती ने कहा कि श्रद्धालु भगवान बदरीनारायण के जप के लिए ही बदरीनाथ आते हैं। ऐसे में यहां ध्वनि को बंद कराना अधार्मिक है। दूसरी ओर, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट ने बताया कि मंदिर के बाहर हालांकि विष्णुसहस्त्रनाम पाठ की ध्वनि नहीं सुनायी दे रही है, लेकिन मंदिर के भीतर यह पाठ बराबर चल रहा है।
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