Monday 25 May 2009

खेतों में खेल कर ही शिखर पर पहुंचा मनीष

शतक वीर मनी के गांव में जश्न का माहौल बागेश्वर आईपीएल-टू के 20-20 में दक्षिण अफ्रीका में धूम मचाने वाले एकमात्र भारतीय शतक वीर मनीष पांडेय ने बागेश्वर के दूरस्थ ग्राम भीड़ी (दफौट) के गेहूं के खेतों से ही क्रिकेट का अपना सफर शुरू किया था। बचपन में मनीष गांव के खेतों में क्रिकेट खेला करता था। भीड़ी के इस लाल की सफलता पर पूरे गांव में जश्न का माहौल है। साथियों के बीच मनी के नाम से मशहूर मनीष को क्रिकेट का जुनून था। मनीष के चाचा पूर्व सैनिक मोहन चंद्र पांडेय व चाची खीमा देवी बताती हैैं कि मनीष बचपन में घर के पास ही गेहूं के खेत में खेला करता था। पुरानी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि मनीष के पिता कृष्णानंद पांडेय जब अवकाश में घर आते थे तो वह भी बच्चों के साथ ही क्रिकेट खेला करते थे। मनीष के पैतृक मकान में वर्तमान में कोई रहता नहीं है, लेकिन उसके चाचा व ताऊ ने विश्वास व्यक्त किया कि मनीष के पापा आकर जरूर इस मकान की मरम्मत कराएंगे तथा यहीं रहेंगे। मनीष की इस उपलब्धि पर गांव सहित पूरे इलाके में जश्न का माहौल है। चीड़ के बल्ले से खेलता था मनी बागेश्वर। क्रिकेट जगत का स्टार मनी बचपन में चीड़ के बल्ले से खेला करता था। मनीष के चाचा माधवानंद पांडे, हीरा बल्लभ पांडे, गिरीश चंद्र, मोहन चंद्र आदि ने बताया कि बचपन में मनीष घर के आस-पास ही घर में ही बनाये गये चीड़ के बल्ले से क्रिकेट खेला करता था। परिजनों ने उन खेतों को दिखाते हुए कहा कि यही वह खेत हैं, जहां से मनीष ने क्रिकेट का सफर शुरू किया था।

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