Monday 18 May 2009

कांग्रेस को रास आया परिसीमन का गणित

कांग्रेस की जीत के भले ही कई कारण हो, पर एक बड़ा कारण नया परिसीमन भी रहा। नए परिसीमन की तस्वीर कांग्रेस के लिए मुफीद साबित रही। नए परिसीमन में मुस्लिम और दलित मतदाता बाहुल्य सीट रही हरिद्वार में इस बार देहरादून की पर्वतीय मतदाता बाहुल्य विधानसभा जुडऩे से समीकरण बदले है। पौड़ी सीट पर भाजपा का वोट बैंक माना जाने वाला देहरादून नगर हटकर नरेंद्रनगर, देवप्रयाग और नैनीताल जिले से रामनगर विधानसभा जुडऩे से इसका सियासी स्वरूप भी बदल गया है। वहीं टिहरी सीट पर देहरादून नगर का हिस्सा जुडऩे और टिहरी जिले की दो विधानसभा कटने से यहां का सियासी मिजाज भी बदल चुका है। परिसीमन की इस तस्वीर के बाद लोकसभा सीटों का जो नजारा बना है, वह हर तरह से कांग्रेस उ6मीदवारों के पक्ष में रहा है।नतीजों पर गौर करें, तो हरिद्वार सीट पर कांग्रेस के उ6मीदवार ने हालांकि हरिद्वार में भी काफी बढ़त ली, लेकिन इस सीट पर जुड़े नए हिस्से से उनको भारी वोट मिले। पर्वतीय मूल का उ6मीदवार होने का सीधा लाभ उन्हें इन सीटों से मिला। पौड़ी सीट पर देहरादून महानगर का हिस्सा कटने का आशातीत लाभ सतपाल महाराज को पौड़ी सीट पर मिला, इतिहास गवाह रहा है कि सतपाल महाराज हमेशा देहरादून में पिछड़ते रहे हैं। उन्हें भी सबसे बड़ा लाभ इस सीट पर रामनगर विधानसभा जुडऩे का मिला। रामनगर में मुस्लिम मतदाताओं का एकतरफा वोट उनके पक्ष में रहा। टिहरी सीट पर इस बार देहरादून का हिस्सा जुडऩा विजय बहुगुणा के लिए वरदान रहा। टिहरी और उ8ारकाशी में वोट के लिहाज से नुकसान में रहे बहुगुणा को देहरादून नगर में हर क्षेत्र में बढ़त मिली। इसी बढ़त के चलते वह उ8ारकाशी और टिहरी के अंतर को पाट पाए। कुल मिलाकर परिसीमन का पूरा गणित कम से इस बार, तो कांग्रेस के पक्ष में रहा है।

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