Friday 8 May 2009

थोड़ी सी चूक छात्रों के लिए बनी मुश्किल

भविष्य में सिर्फ तीन कैंपस तक ही सीमित रहेगी सेंट्रल यूनिवर्सिटी देहरादून। गढ़वाल स्टेट यूनिवर्सिटी के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनते व1त हुई चूक राज्य के विद्यार्थियों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। संस्थानों की संबद्धता, प्रवेश और परीक्षा जैसे मसले लटक गए हैं। संस्थान डिएफीलिएट हुए बगैर कहीं और जाने की स्थिति में नहीं हैं।गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी का क्षेत्राधिकार वही है, जो गढ़वाल विवि का रहा है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा लेने की पैरवी करने वाले विवि के अधिकारियों ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को न लंबित प्रकरणों की वास्तविक जानकारी दी, न ही उसके क्षेत्राधिकार की स्थिति स्पष्ट की। इसके चलते गढ़वाल स्टेट यूनिवर्सिटी के क्षेत्राधिकार वाले सातों जिले और १८९ संस्थान/कालेज सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दायरे में आ गए। ये संस्थान तब तक विवि से जुड़े रहने को मजबूर हैं, जब तक कि उन्हें डिएफीलिएट नहीं किया जाता। वहीं, गढ़वाल विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाने की शुरुआती पैरवी करने वाले तत्कालीन कुलपति प्रो. एसपी सिंह का कहना है कि संस्थानों की संबद्धता आदि के लिए सरकार को स्थायी व्यवस्था शीघ्र करनी होगी। चाहे नई एफीलिएटिंग यूनिवर्सिटी बनाकर अथवा वर्तमान में ही संचालित किसी स्टेट यूनिवर्सिटी से संस्थानों को जोड़े। भविष्य में सेंट्रल यूनिवर्सिटी सिर्फ तीन कैंपस तक ही सीमित रहनी है। तत्काल कोई विकल्प नहीं होने से गढ़वाल विवि की सारी व्यवस्थाएं कुछ समय के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी में लागू की गई है। संस्थानों की संबद्धता विस्तार, प्रवेश और परीक्षाओं के मामले में राज्य सरकार, सेंट्रल यूनिवर्सिटी दोनों को गंभीरता से चिंता करनी होगी और छात्र हित में व्यवस्था देनी चाहिए। समस्या परीक्षा और अध्ययन प्रणाली की देहरादून। स्टेट यूनिवर्सिटी में स्नातक और परास्नास्तक के परंपरागत पाठ्यक्रमों की अध्ययन और परीक्षा प्रणाली केंद्रीय विवि की प्रणाली से भिन्न है। केंद्रीय विवि में सेमेस्टर सिस्टम है। जबकि स्टेट यूनिवर्सिटीज में वर्ष में एक बार मु2य परीक्षा कराने की व्यवस्था है। सेंट्रल यूनिवर्र्सिटी से जुड़े कालेज और संस्थानों में पूर्ववत व्यवस्था रहेगी अथवा अब नई व्यवस्था बनेगी, इसे लेकर भी संशय बनी हुई है।

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