Thursday 30 April 2009

-सूचना आयोग-शासन का तर्क खारिज

राजधानी आयोग का मामला आठ मई को राज्य के मुख्य सचिव को देनी होगी सफाई राजधानी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के मामले में शासन अपनी ही लापरवाही की वजह से फंस गया है। राज्य सूचना आयोग ने शासन के तर्क खारिज कर दिए हैं। इस मामले में आयोग ने आठ मई को मुख्य सचिव को भी तलब किया है। शासन ने तर्क दिया कि 28 अप्रैल को राजधानी आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट के एजेंडे में शामिल कर लिया गया है, इसलिए उसकी प्रति नहीं दी जा सकती। आयोग ने यह कहकर शासन का तर्क खारिज कर दिया कि जब सूचनाधिकार की अर्जी आई थी व विभागीय अपील की सुनवाई हुई, उस वक्त दीक्षित आयोग की रिपोर्ट कैबिनेट के विचाराधीन नहीं थी। इसलिए उसे सूचना कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। मालूम हो कि भाकपा माले नेता इंद्रेश मैखुरी ने पिछले साल अगस्त में शासन से सूचनाधिकार के तहत वीरेंद्र दीक्षित आयोग की रिपोर्ट की मांग की थी, जो उन्हें नहीं मिली। इस मामले में आयोग ने शासन को रिपोर्ट मुहैया कराने व उसे वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के आदेश दिए, मगर शासन ने अब तक ऐसा नहीं किया। इस मामले में आयोग सामान्य प्रशासन विभाग को अर्थदंड की चेतावनी दे चुका है। मजेदार बात यह है कि लोक सूचनाधिकारी ने जुर्माने व हर्जाने के विरोध में कोई तर्क ही पेश नहीं किया। आयोग ने आदेश में कहा है कि अगर अगली सुनवाई में प्रतिवादी कोई तर्क पेश नहीं करते तो मान लिया जाएगा कि सामान्य प्रशासन विभाग को लोक सूचनाधिकारी पर 25 हजार रुपये जुर्माना और इंद्रेश मैखुरी को 50 हजार रुपये मुआवजा देना मंजूर है। वहीं, इसी तरह के एक अन्य मामले में सामान्य प्रशासन विभाग पर अर्थदंड हो चुका है।

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