Tuesday 7 April 2009

धधकते अंगारों पर नाचते हैं जाख देवता

केदारनाथ और मंदाकिनी घाटी में बैसाख माह विशेष रूप से पौराणिक मेलों के लिए जाना जाता है। गुप्तकाशी के जाखधार में लगने वाले जाख मेले की अलग ही पहचान है। इसके लिए नारायणकोटि, देवशाल और कोठेड़ा गांवों के लोग मेला शुरू होने के दस दिन पूर्व ही तैयारियों में जुट जाते हैं। मेले में प्रसिद्ध जाख देवता के पश्वा (जिस व्य1ित पर देवता अवतरित होता है।) मेले के दिन जलते आग के अंगारों में प्रविष्ठ होकर अद्भुत नृत्य प्रस्तुत करते हैं। बैसाख माह की दो गते यानि १५ अप्रैल को मेले का भव्य आयोजन होता है। देवशाल गांव के प्रसिद्ध विंधनिवासिनी मंदिर में जाख देवता के आचार्य देवशाली ब्राह्मण, कोठेड़ा के पुजारी और नारायणकोटि गांव के लोग सेवक के रूप में मां जगदंबा की पूजा-अर्चना करते हैं। इसी दौरान क्षेत्र में धान की बुआई का दिन भी तय किया जाता है। इस वर्ष २६ गते (८ अप्रैल) बुआई, २९ गते (११ अप्रैल) को पापड़ी त्यौहार और ३० गते (१२ अप्रैल) को अग्निकुंड हेतु लकड़ी लाने का दिन निश्चित किया गया है। देवशाल गांव में उपल4ध भोजपत्र पर अंकित लेखों में इस मेले की परंपरा का निर्वहन ग्रामीणों द्वारा वर्ष ११११ से करने का उल्लेख मिलता है। मेले के एक दिन पूर्व संक्रांति के दिन विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ अग्निकुंड में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। बाद में मेले के दिन जाख देवता के पश्वा इन धधकते अंगारों में अद्भुत नृत्य करते हैं। इस देवीय शक्ति को देखने के लिए दूर-दराज के गांवों से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़कर आती है। बाद में अग्निकुंड की अवशेष राख को लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

हेलीकॉप्टर से एक साथ होगी चार धाम की यात्रारुद्रप्रयाग।

इस वर्ष उ8ाराखंड के चारों धामों गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ में आने वाले तीथयात्रियों की यात्रा आसान होने जा रही है। इसके लिए पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड देहरादून और फाटा से चारों धामों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने जा रही है। हालांकि लोक सभा चुनाव होने के चलते सेवा १८ मई से शुरू होगी।२६ मई २००३ को अगस्त्यमुनि में स्थित अस्थाई हैलीपैड से पवन हंस के हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी। कंपनी इस बार देहरादून और फाटा से केदारनाथ धाम के साथ ही तीन अन्य धामों के लिए भी सेवा शुरू कर रही है। कंपनी ने फाटा से केदारनाथ धाम के यात्रा भाड़े को भी कम कर सात हजार रुपये कर दिया है। तीर्थयात्रियों के रुझाान को देखते हुए इस बार कंपनी द्वारा छह सीटर हैलीकॉप्टर की व्यवस्था की जा रही है। कंपनी के जनरल मैनेजर संजीव कुमार ने बताया १५ मई तक लोक सभा चुनाव होने के कारण सेवा देर से शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि मौसम ने साथ दिया तो इस बार फाटा के साथ ही देहरादून और अगस्त्यमुनि से भी सेवा शुरू की जाएगी। हालांकि इसके लिए अभी किराया तय नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि यात्रियों के रुझाान को देखते हुए फाटा से दो और देहरादून से एक हेलीकॉप्टर सेवा देगा। ज्ञात हो कि केदारनाथ धाम के कपाट ३० अप्रैल को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल जाएंगे।

यात्रा से पहले जगमग होगा बदरीधामगोपेश्वर।

चमोली जिले में कम हिमपात के चलते इस बार जहां सीमा सड़क संगठन को बदरीनाथ तक पहुंचने के लिए राजमार्ग से ग्लेशियर नहीं हटाने पड़ेंगे, वहीं विद्युत लाइन को भी कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है। जिससे बदरीनाथ में १५ से २० अप्रैल के बीच विद्युत आपूर्ती सुचारू कर दी जाएगी।जिले में हर साल भारी हिमपात के चलते यात्रा सीजन शुरू होने से पहले सीमा सड़क संगठन को राजमार्ग में कई स्थानों पर आए बड़े ग्लेशियरों को हटाने में काफी पसीना बहाना पड़ता था, लेकिन बताया गया है कि इस बार राजमार्ग में बदरीनाथ तक ग्लेशियर नहीं है। जबकि, विद्युत लाइन को भी कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है। विद्युत लाइन का जायजा लेकर बदरीनाथ से लौटे अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड गोपेश्वर नंदन सिंह खाती के अनुसार इस बार कम हिमपात के चलते विद्युत लाइन को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है। विद्युत लाइनें ठीक हैं केवल हनुमानचट्टी के पास विद्युत विभाग के तीन पोल क्षतिग्रस्त हुए हैं। जिसे शीघ्र ठीक कर १५ से २० अप्रैल के बीच बदरीनाथ धाम में विद्युत आपूर्ति सुचारू कर दी जाएगी। राजमार्ग में ग्लेशियर के बारे में श्री खाती ने बताया कि जोशीमठ से बदरीनाथ तक राजमार्ग में कम हिमपात के चलते ग्लेशियर नहीं है। उधर, अन्य विभागों जल संस्थान, स्वास्थ्य विभाग आदि ने भी यात्रा सीजन शुरू होने से पहले अपनी ओर से की जाने वाली तैयारियां शुरू कर दी हैं।

चौदह सौ जवान मेडिकल के लिए चयनितगौचर। तीन दिनों तक चली सेना की भर्ती रैली में चौदह सौ नौजवान मेडिकल के लिए चयनित किए गए। भर्ती निर्देशक एके चौहान के अनुसार आठ अप्रैल तक गौचर में युवाओं का मेडिकल होगा।मेडिकल के बाद चयनित नौजवानों की २६ अप्रैल को लैंसडाउन में लिखित परीक्षा आयोजित होगी।तीन दिन तक चली थलसेना की भर्ती में २७ हजार से अधिक युवाओं ने भाग लिया। इतनी अधिक सं2या में भर्ती के लिए नौजवानों के पहुंचने से भर्ती अधिकारी भी हैरान दिखे। पुलिस और प्रशासन द्वारा भर्ती के दौरान रहने खाने और शांति सुरक्षा के प्रयासों के बावजूद भी अव्यवस्थाएं व्याप्त रही। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, व्यवसायियों और सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य द्वारा किए गए रहने खाने की व्यवस्थाओं से कुछ युवाओं को राहत मिली। भर्ती में शिरकत करने वाले युवाओं में से अधिकांश ने भर्ती के दौरान सेना के जवानों द्वारा बदसलूकी और लाठियां भांजने की शिकायत की। कुछ नौजवान भीड़ में अपना सामान और शैक्षिक प्रमाण पत्र खोने से भी परेशान दिखे। तमाम अव्यवस्थाओं, मुसीबतों और हादसों के बावजूद भर्ती के लिए उमड़ी युवाओं की भीड़ ने पहाड़ के शिक्षित नौजवान की बेरोजगारी, मजबूरी और बेकारी की दास्तां बयां की है।

हमारा स्लोगन है- 'धार ऐंच पाणी ढाल पर डाला, बिजली बनाओ खाला-खाला'

वोट का अपना महत्व- सुंदरलाल बहुगुणा

(पदम विभूषण से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद्) हमें यह गर्व होना चाहिए कि हम लोकतांत्रिक प्रणाली के अंग हैं। लोकतंत्र में एक-एक वोट का अपना महत्व है। संविधान जनता को अपना नेता चुनने का अधिकार देता है। इस लोक जागरण का सबसे बड़ा पर्व चुनाव है। ऐसे में लक्ष्य यह होना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति की इस पर्व में भागीदारी हो। नागरिकों को उनके कत्र्तव्यों व अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन भय और लालच ताकतवर हो चुके हैं। राजनीतिज्ञों से अपेक्षाएं बेमानी हैं, लिहाजा प्राय: तटस्थ रहने की मनोवृत्ति वाले लोगों को अपनी भूमिका समझानी होगी और 'पीपुल मेनिफेस्टो' बनना चाहिए। राजनैतिक पार्टियों के घोषणा पत्र महज वोट जुटाने के लिए तैयार किए जाते हैं। पीपुल मेनिफेस्टो में जनपक्षीय सवालों को उठाकर प्रत्याशियों से पूछा जाना चाहिए कि वह आम आदमी के लिए क्या करेंगे। विश्व के कई देशों में चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार जनता के पास है। हमारे देश में भी यह अधिकार जनता को मिलना चाहिए। होता यह है कि जीतने के बाद प्रतिनिधि के मन में यह बात घर कर जाती है कि पांच साल तक उसे कोई नहीं हटा सकता। इसलिए लोकतंत्र की मजबूती के लिए जनता को 'रिकाल का अधिकार' जरूरी हो गया है। तभी लोकतंत्र सही मायने में सफल होगा। नीतिनियंता जिस बात को समझाने के बावजूद अंजान बन रहे हैं, वह है भविष्य में होने वाला गंभीर जल संकट। देश को बचाने के लिए मैं लंबे समय से हिमालय नीति बनाने की मांग कर रहा हूं। दुर्भाग्य यह है कि अभी तक इस मामले में खास प्रगति नहीं हुई। हमारा स्लोगन है- 'धार ऐंच पाणी ढाल पर डाला, बिजली बनाओ खाला-खाला'। इससे पर्वतीय क्षेत्र के लोग संपन्न होंगे और देश के अन्य क्षेत्रों को जरूरत का पानी मिल पाएगा। बड़े बांध कभी पेयजल संकट का स्थायी हल नहीं हो सकते। ऐसे बांध बेहद खतरनाक हैं। जर्मनी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। गंगा को अविरल बहने देने व हिमालय नीति का मसला इस चुनाव में बतौर मुद्दा उठना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर लडऩे से बेहतर है कि बुनियादी सवालों को उठाया जाए। इसलिए चुनाव ही वह मौका है और मेरी सबसे अपील है कि वोट अवश्य दें।

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