Wednesday 18 March 2009

गढ़वाल की नारी, आधी आबादी पर पड़ेगी भारी

, देहरादून पौड़ी संसदीय सीट पर महिला मतदाताओं का जादू सिर चढ़कर बोलेगा। सर्विस मतदाताओं की भी चुनावी खेल को बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका रहेगी। इस सीट की श्रीनगर में सर्वाधिक तथा देवप्रयाग विधानसभा में सबसे कम मतदाता हैं। रोचक तथ्य यह है कि 14 विधानसभाओं में से 11 में महिला मतदाताओं का वर्चस्व है। पौड़ी सीट पर मतदाताओं का गणित कई सवालों को जन्म देने वाला है। हालांकि इस बार सीट की शक्ल कुछ नई है पर हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है। पिछले आम चुनाव में पौड़ी सीट पर 1081299 मतदाता थे, जिनकी संख्या बढ़कर 1085310 पहुंच गई है। संख्या में केवल 4011 की बढ़ोतरी हुई है। पिछले चुनाव की तर्ज पर ही इस बार महिला वोटरों की संख्या ज्यादा है। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 506307 तो महिला की 537404 हैं। इस श्रेणी में 31097 महिला मतदाता अधिक हैं। अब बात सर्विस मतदाताओं की। इनकी संख्या 12321 से बढ़कर 41599 पहुंच गई है। इसमें 29764 पुरुष तथा 11835 महिला मतदाता है। सामान्य व सर्विस मतदाताओं को मिलाकर जो परिदृश्य बना है, उसमें भी पुरुषों की तुलना में 13168 महिला मतदाता अधिक है। पौड़ी सीट में जो 14 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि दो तिहाई से अधिक सीटों पर महिला मतदाता अधिक हैं। 11 विधानसभा में महिला मतदाताओं का वर्चस्व है। इसमें बद्रीनाथ, थराली, कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, यमकेश्वर, पौड़ी, चौबट्टाखाल, श्रीनगर व लैंसडौन शामिल हैं। नरेंद्रनगर, कोटद्वार व रामनगर ही ऐसी सीटें हैं, जहां पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक है। एक तरह से मामूली तौर पर तराई के साथ लगे तीन विधानसभा क्षेत्रों में ही पुरुष बढ़त बना पाए हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं ही भारी पड़ी हैं। सर्विस मतदाताओं की संख्या राज्य के अन्य लोकसभा क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है, जिसकी चुनाव में विशेष भूमिका रहेगी। यह भी रोचक है कि उन्हीं क्षेत्रों में सर्विस मतदाता अधिक हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। कुल मिलाकर महिलाओं के मूड का इस सीट के चुनावी समर पर खासा असर रहेगा।

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