Saturday 14 March 2009

तीन साल में 678 करोड़ लैप्स

, देहरादून अनुसूचित जाति व जनजाति की योजनाएं लागू करने में पहले कांग्रेस और अब भाजपा सरकार की कार्यशैली कमोवेश एक जैसी ही रही। पिछले तीन वर्षो में स्पेशल कंपोनेंट प्लान और ट्राइबल सब प्लान की 678.28 करोड़ की धनराशि लैप्स हुई है। इस वित्तीय वर्ष में भी योजनाओं में करीब बीस प्रतिशत धनराशि ही खर्च हो पाई है। अनुसूचित जाति और जनजाति के परिप्रेक्ष्य में लागू एससीएसपी(स्पेशल कंपोनेंट प्लान) और टीएसपी (ट्राइबल सब प्लान) की हालत राज्य में पिछले कई वर्षो से ठीक नहीं है। कांग्रेस शासन में भी इन योजनाओं का पूरा लाभ पात्रों तक नहीं पहुंचा और अब भाजपा-उक्रांद गठबंधन सरकार में भी यही स्थिति है। इन दोनों योजनाओं में वित्तीय स्वीकृति विभागवार होती है। इसके बावजूद कई विभागों को इन योजनाओं की तरफ झांकने की फुर्सत तक नहीं मिली। मौजूदा वित्तीय वर्ष में एससीएसपी के तहत 499.62 करोड़ तथा टीएसपी में 153 करोड़ का प्रावधान है। अब वित्तीय वर्ष में के कुछ दिन शेष बचे हैं और इन परिव्यय के सापेक्ष करीब बीस प्रतिशत ही खर्च हो पाया है। ऐसी स्थिति पिछले तीन वर्षो से है। वित्तीय वर्ष 2007-08 में एससीएसपी में स्वीकृत परिव्यय 749.82 के सापेक्ष 421.65 करोड़ ही अवमुक्त हुए और 328.17 करोड़ लैप्स हो गए। टीएसपी में 134.09 करोड़ के सापेक्ष 129.36 करोड़ खर्च हुआ और 4.73 करोड़ की धनराशि लैप्स हुई। कांग्रेस सरकार के समय में वर्ष 2006-07 में एससीएसपी में 720 करोड़ के सापेक्ष 434.63 करोड़ ही अवमुक्त हुए और 285.37 करोड़ की धनराशि लैप्स हुई। टीएसपी में 120 करोड़ के सापेक्ष 105.85 करोड़ ही खर्च हुए, जबकि 14.15 करोड़ लैप्स हो गए। वर्ष 2005-06 में एससीएसपी में 330 करोड़ के सापेक्ष 274.14 करोड़ अवमुक्त हुए। शेष 55.86 करोड़ की धनराशि लैप्स हो गई। इस वर्ष टीएसपी में स्वीकृति परिव्यय 70.05 करोड़ के सापेक्ष 70.57 करोड़ खर्च होना थोड़ी राहत देने वाला रहा। यदि दोनों योजनाओं में कांग्रेस व भाजपा की कार्यशैली पर ध्यान दिया जाए तो उसमें काफी एकरूपता बनी रही। दो वर्ष तक कांग्रेस ने लापरवाही दिखाई तो अब भाजपा भी उसी राह पर है।

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