Saturday 21 February 2009

मुखिया विहीन हैं 48 महाविद्यालय

, हल्द्वानी राज्य में उच्च शिक्षा मजाक बनकर रह गयी है। महाविद्यालयों में अध्यापन तो दूर वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं हो पा रही है। विभागीय प्रोन्नति नहीं होने से राज्य के 48 कालेज बगैर प्राचार्य के संचालित हो रहे हैं। इनमें से 18 कालेजों में नियमित शिक्षक तक नहीं होने से परीक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। यह स्थिति तब है जब उच्च शिक्षा विभाग स्वयं सीएम के पास है और उन्होंने प्राचार्यो की नियुक्ति के लिए शीघ्र ही डीपीसी कराने के आदेश दे रखे हैं। उत्तराखंड में 65 राजकीय महाविद्यालय हैं। इनमें से स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्राचार्यो के 18 में से 14 पद रिक्त हैं तो 48 स्नातक महाविद्यालयों में प्राचार्यो के 34 पद खाली हैं। उच्च शिक्षा की इस अव्यवस्था का प्रभाव करीब 55 हजार छात्र-छात्राओं पर पड़ रहा है। इन महाविद्यालयों में प्राचार्यो की नियुक्ति की मांग सत्र शुरू होने के पहले से की जा रही थी। अब सत्र समाप्ति की ओर है और परीक्षाएं निकट हैं, पर हालात जस के तस हैं। आलम यह है कि राज्य के 18 महाविद्यालयों में नियमित प्राध्यापक ही नहीं हैं। इनमें लिपिकों के सहारे व्यवस्था संचालित हो रही है।

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