Thursday 29 January 2009

अमेरिका गुस्सा किलै आई त्वै..

श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। मुम्बई में आतंकी हमले में शहीद हुए जांबाजों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते उनकी याद में आयोजित सम्मेलन में कवियों ने बढ़ते आतंकवाद और उसके पोषक पाकिस्तान पर जमकर निशाने साधे। सांस्कृतिक सामाजिक मंच परिवेश द्वारा चेतना के स्वर को लेकर नर्सरी रोड स्थित मिलन केन्द्र में आयोजित कवि सम्मेलन में गढ़वाली भाषा के व्यंग्यकार देवेन्द्र उनियाल ने तीखे व्यंग्य कसते हुए कहा कि अमेरिका गुस्सा किलै आई त्वै, लंडेरू समझी पाली जै, वेन भोर्या बणि काटी त्वै..। व्यंग्यकार अवनीन्द्र उनियाल ने आतंकवाद को कुचलने की जरूरत बताते हुए कहा कि जी करता है हथियार लेकर मुम्बई में जाऊं, दुश्मन को अपनी जमीं से मार भगाऊं..। बदलते सांस्कृतिक परिवेश पर चिंता व्यक्त करते युवा कवि राजीव कगडियाल ने कहा कि हटुड़ भुटड़ नागा मोबाइल बरणाणी छन..। पत्रकार और कवि डा. उमाशंकर थपलियाल समदर्शी ने आतंकवाद पर करारी चोट करते कहा कि हनुमान भक्त ओबामा अमेरिका की गद्दी पर बैठेंगे, अर पैली चोट में पांच मिसाइल दागेंगे..। नरी लाल निर्वेद की रचना मेरे देश के वीरों तुम्हें प्रणाम, तुम्हीं हो देश की आन बान शान. और गोष्ठी के संयोजक डा. अशोक बडोनी की रचना हमें युद्ध नहीं शांति चाहिए, हमें सिकन्दर नहीं बुद्ध चाहिए.। नीरज नैथानी की कविता पहाड़ तुम्हारा दर्शन भी, अंतर विरोधों से भरा पड़ा है जो लगता करीब है वह उतनी दूर खड़ा है. और प्रो. मंजुला राणा की रचना सुख के बर्तन में, दुख का एक छेद रहता है.. श्रोताओं ने सराही। देवेन्द्र प्रसाद खंडूड़ी, इंद्रमोहन नैथानी, संदीप रावत, राजेश जैन, अम्बिका प्रसाद जोशी, सर्वेश, उमा घिल्डियाल, राकेश भट्ट, सुधीर सेमवाल, योगेश भट्ट ने भी अपनी कविताएं सुनाई।