Wednesday 24 September 2008

वहाँ घरों में ताले नहींहोतेक्योंकि

किवाड़ों में कुण्डे नहीं होतेवहाँ खटखटाना शब्द भी नहीं होताक्योंकि

लोग अपने पहुँचने से भी पहलेबतियाने लगते हैं देहरी में बैठकरवहाँ चोरियाँ नहीं होतींक्योंकि

वहाँ तिजोरियाँ नहीं होतींकभी-कभी रात मेंकिवाड़ों पर अवरोध डाल दिये जाते हैंक्योंकि वहाँ बाघ होते हैंमगर अब वहाँ कुण्डे और ताले बिकने लगे हैं क्योंकि अब वहाँ शहरी दिखने लगे हैं

Sunday 21 September 2008

मेरठ में उत्तराखंड मंच ने १७ सितंबर को भव्य सांस्कृतिक कायॆकम का आयोजन किया